Corona Crisis: लॉकडाउन में घर वापसी का सहारा बनी साइकिल, मार्केट में बढ़ गई डिमांड

By भाषा | Published: May 15, 2020 03:22 PM2020-05-15T15:22:29+5:302020-05-15T15:22:29+5:30

कोविड-19 लॉकडाउन में फंसे प्रवासी श्रमिकों को घर पहुंचाने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलवाए जाने, प्रदेश सरकार द्वारा कई जगहों पर बसें भेजे जाने और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस निर्देश के बावजूद की यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी को पैदल, साइकिल या मोटरसाइकिल से घर ना लौटना पड़े प्रवासी कामगारों के लिए साइकिल घर लौटने का महत्वपूर्ण साधन बन गया है।

Corona Crisis: Cycle become homecoming support in lockdown demand increased in market | Corona Crisis: लॉकडाउन में घर वापसी का सहारा बनी साइकिल, मार्केट में बढ़ गई डिमांड

लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों का सहारा बनी साइकिल।

Highlightsबड़ी संख्या में प्रवासी कामगार घर लौटने के लिए सैकड़ों किलोमीटर की लंबी साइकिल यात्रा पर निकल पड़े हैं। इसकी वजह से नयी-पुरानी साइकिल की मांग भी अचानक बढ़ गई है।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस निर्देश के बावजूद की यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी को पैदल, साइकिल या मोटरसाइकिल से घर ना लौटना पड़े प्रवासी कामगारों के लिए साइकिल घर लौटने का महत्वपूर्ण साधन बन गया है।

बलरामपुर। कोविड-19 लॉकडाउन में फंसे प्रवासी श्रमिकों को घर पहुंचाने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलवाए जाने, प्रदेश सरकार द्वारा कई जगहों पर बसें भेजे जाने और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस निर्देश के बावजूद की यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी को पैदल, साइकिल या मोटरसाइकिल से घर ना लौटना पड़े प्रवासी कामगारों के लिए साइकिल घर लौटने का महत्वपूर्ण साधन बन गया है।

बड़ी संख्या में प्रवासी कामगार घर लौटने के लिए सैकड़ों किलोमीटर की लंबी साइकिल यात्रा पर निकल पड़े हैं। इसकी वजह से नयी-पुरानी साइकिल की मांग भी अचानक बढ़ गई है। उत्तराखंड में मजदूरी करने वाले राजन अपने आठ साथियों के साथ 10 मई को बिहार के बक्सर स्थित अपने घर के लिए साइकिल यात्रा पर निकले हैं। ये लोग 1100 किलोमीटर लंबा सफर साइकिल से तय करेंगे। बृहस्पतिवार सुबह बलरामपुर पहुंचे राजन ने बताया कि लॉकडाउन के बाद जब घर वापस लौटने के लिये कोई साधन मिलता नहीं दिखा तो आठों ने बचे हुए पैसे जमा कर उससे चार साइकिलें खरीदी और उनसे गंतव्य की ओर निकल पड़े। उन्होंने बताया कि एक वक्त पर एक व्यक्ति साइकिल चलाता है और दूसरा पीछे कैरियर पर बैठा रहता है, ऐसे करके दो लोग बारी-बारी से 50-50 किलोमीटर तक साइकिल चलाते हैं।

इधर, बलरामपुर चीनी मिल में मजदूरी करने वाले बरसाती ने बताया कि मिल 12 मई को बंद हो गई, लेकिन उसे घर वापस का कोई साधन नहीं मिला। अब उन्होंने एक साइकिल खरीदी है और उसी से घर जाने की सोच रहे हैं। उन्होंने कहा कि साइकिल से जाने में परेशानी तो होगी लेकिन लोगों से दूरी बनी रहेगी और कोरोना वायरस से संक्रमण का खतरा भी नहीं रहेगा।

हरियाणा के रोहतक में मजदूरी करने वाले राधेश्याम के सामने लॉकडाउन के कारण रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया। वतन वापसी के लिये कोई साधन नहीं मिला तो साइकिल खरीद कर अपनी पत्नी के साथ 900 किलोमीटर का सफर तय करके घर लौट आए। तुलसीपुर शुगर कम्पनी के कल्याण अधिकारी ने बताया, ‘‘कम्पनी में करीब 105 मजदूर काम करते हैं। आस-पास के जिलों के श्रमिकों को सरकारी बसों के जरिये उनके घर भेजा गया है। बिहार के 10 मजदूरों ने सामाजिक दूरी अपनाने के लिए साइकिल से घर जाने की इच्छा जताई। इस पर उन्हें नई साइकिल खरीद कर और रास्ते में खाने-पीने का खर्च देकर बृहस्पतिवार को भेजा गया है।’’

बड़ी संख्या में श्रमिक साइकिलें खरीद कर अपने घरों को लौट रहे हैं। कोरोना वायरस संक्रमण संकटकाल में लॉकडाउन की काली छाया से लाखों उघोग धंधो पर भले ही संकट के बादल छाए गए हो लेकिन साइकिल कारोबार में तेजी आई है। बड़े पैमाने पर श्रमिक साइकिल खरीद रहे हैं। बलरामपुर में साइकिल व्यवसाई आमिर का कहना है कि सरकार की तरफ से लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद साइकिल ब्रिकी में तेजी आई है। पहले जहाँ हर रोज 8 से 10 साइकिलें बिकती थीं वहीं आज 30 से 35 साइकिलें बिक रही हैं। कम पैसे होने की वजह से लोग पुरानी साइकिल भी खरीद रहे हैं। साइकिलों की ब्रिकी बढ़ने के कारण साइकिल बांधने वाले अतिरिक्त कारीगरों को लगाना पड़ा है जिससे उनकी रोजी रोटी भी चल पड़ी है।

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