Coronavirus: बेंगलुरु में 61 साल के कोरोना मरीज की मौत के बाद हुआ उसका पोस्टमार्टम, सामने आई एक चौंकाने वाली जानकारी

By विनीत कुमार | Published: October 24, 2020 10:51 AM2020-10-24T10:51:42+5:302020-10-24T10:51:42+5:30

Coronavirus: कोरोना वायरस को लेकर कई तरह के शोध दुनिया के कई हिस्सों में जारी हैं। अब एक कोरोना पीड़ित शख्स की मौत के बाद हुई ऑटोप्सी में वायरस को लेकर नई जानकारी सामने आई है।

Cornavirus research autopsy shows covid 19 victim had no virus on his skin face but in throat and nose | Coronavirus: बेंगलुरु में 61 साल के कोरोना मरीज की मौत के बाद हुआ उसका पोस्टमार्टम, सामने आई एक चौंकाने वाली जानकारी

कोरोना मरीज की मौत के बाद हुए ऑटोप्सी में मिली नई जानकारी (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsकोरोना मरीज की मौत के बाद हुई उसी ऑटोप्सी में आई चौंकाने वाली जानकारीमृतक के चमड़े पर नहीं मिला वायरस पर गले, नाक और मुंह में था मौजूद, पांच जगह से लिए गए थे स्वैब

बेंगलुरु में 61 साल के एक कोरोना मरीज की मौत के बाद हुए उसके शव के पोस्मार्टम के बाद इस वायरस को लेकर नई जानकारी सामने आई है। बेंगलुरु में पहली बार किसी कोरोना मरीज के शव का पोस्टमार्टम किया गया है। इस पोस्टमार्ट में ये बात सामने आई है कि शख्स की मौत के बाद कोरोना वायरस उसके चमड़े पर नहीं बल्कि नाक, मुंह और गले में मौजूद था। 

डेक्कन हेराल्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार ये ऑटोप्सी ऑक्सपोर्ड मेडिकल कॉलेज के फॉरेंसिक मेडिसिन के हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉक्टर दिनेश राव द्वारा किया गया।

ये ऑटोप्सी कोरोना मरीज की मौत के 16 से 18 घंटे बाद किया गया। इस ऑटोप्सी के जरिए ये पता करने की कोशिश की गई कि मौत के बाद इंसान के शरीर में कितनी देर तक कोरोना वायरस सक्रिय रहता है और फिर इसमें दूसरे लोगों तक फैलने की कितनी क्षमता होती है।

पांच स्वैब, पांच अलग-अलग नतीजे

रिपोर्ट के अनुसार मृतक के शरीर के अलग-अलग हिस्सों से पांच स्वैब लिए गए थे और इन सभी के नतीजे भी बेहद अलग-अलग आए। एक स्वैब जहां नाक से लिया गया था वहीं अन्य मुंह, गला, फेफरे की सतह, रेस्पायरेट्री पैसेज और चमड़े की सतह (मुंह और गर्दन) से लिए गए।

डॉ राव के अनुसार, 'परीक्षण के बाद मेरे लिए हैरान करने वाली बात ये रही कि वायरस अभी भी नाक, मुंह और गले में मौजूद था।'

बता दें कि कोविड के मामले सामने आने के बाद से ही कई लोग कोरोना पीड़ितों का शव अपने क्षेत्र में लोग दफनाने या जलाने से भी इनकार कर रहे हैं। इस बारे में पूछे जाने पर डॉ. राव ने कहा कि वैज्ञानिक डाटा के अनुसार नए नियमों को बनाने की जरूरत है।

डॉ. राव ने कहा, 'ये अब बहुत जरूरी है कि हम उसे फॉलो करना बंद करें जो आईसीएमआर और WHO इस बारे में कह रहे हैं। हमें अपना शोध करने की जरूरत है। आईसीएमआर की नीति कहती है कि हमें शव को नहीं छूना चाहिए। लेकिन जब पूछा जाता है कि क्यों, तो वे कहते हैं कि WHO ऐसा कहता है इसलिए। उन्हें ऐसे शोध करने से कौन रोक रहा है। मेरी स्टडी बताती है कि चेहरे और गर्दन पर कोई वायरस नहीं था, फिर हम शरीर क्यों नहीं छू सकते?'

ड़ॉ राव ने इस बात पर भी जोर दिया कि ये पता लगाया जाना चाहिए कि वायरस कब तक रहता है और इसी के हिसाब से नीति बनाए जाने चाहिए।

इस ऑटोप्सी के बाद ये बात भी सामने आई है कि कोरोना वायरस फेफड़ों का कैसा हाल कर देता है। डॉक्टर राव के अनुसार जिस शख्स की ऑटोप्सी की गई उसका फेफड़े किसी 'लैदर की बॉल' की तरह सख्त हो चुके थे। फेफड़ों में हवा भरने वाला हिस्सा खराब हो चुका था और कोशिकाओं में खून के थक्के बन चुके थे।

Web Title: Cornavirus research autopsy shows covid 19 victim had no virus on his skin face but in throat and nose

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