धर्मांतरण, अंतर जातीय प्रमाण पत्र का आधार नहीं : मद्रास उच्च न्यायालय
By भाषा | Published: November 25, 2021 07:00 PM2021-11-25T19:00:27+5:302021-11-25T19:00:27+5:30
चेन्नई, 25 नवंबर मद्रास उच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि व्यक्ति द्वारा धर्मांतरण करने से उसकी जाति नहीं बदलती और इसके आधार पर अंतर जातीय प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति एस.एम.सुब्रमण्यम ने यह फैसला पिछले सप्ताह मेट्टुर तालुका के सेलम कैंप निवासी एस पॉल राज की रिट याचिका खारिज करते हुए दिया। याचिकाकर्ता ने याचिका में 19 जून 2015 को सेलम जिला प्रशासन द्वारा जारी आदेश को रद्द करने और अधिकारियों को उसे अंतर जातीय प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।
याचिकाकर्ता आदि-द्रविड़ समुदाय से संबंध रखता है और उसने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया है। उसे 30 जुलाई 1985 को समाज कल्याण विभाग द्वारा जारी सरकारी आदेश के तहत पिछड़े वर्ग का प्रमाण पत्र जारी किया गया है। उसने हिंदू धर्म के अरुणथाथियार समुदाय से संबंध रखने वाली महिला से शादी की है।
याचिकाकर्ता की पत्नी को अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (संशोधन) अधिनियम, 1976 के तहत अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी किया गया है। इसलिए याचिकाकर्ता ने 28 दिसंबर, 1976 को कार्मिक और प्रशासन सुधार विभाग द्वारा जारी सरकारी आदेश के आधार पर अंतर जातीय प्रमाण पत्र जारी करने का आवेदन किया था, ताकि सरकारी नौकरी में लाभ ले सके।
हालांकि, सेलम जिला प्रशासन ने जून 2015 में याचिकाकर्ता के आवेदन को रद्द कर दिया जिसके बाद उसने उच्च न्यायालय का रुख किया था।
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