बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई के फैसले से महागठबंधन में भी तकरार, माले ने जताई नाराजगी

By एस पी सिन्हा | Published: April 25, 2023 08:57 PM2023-04-25T20:57:12+5:302023-04-25T20:59:19+5:30

महागठबंधन में शामिल भाकपा-माले ने नीतीश सरकार की नियत पर सवाल उठाते हुए कहा है कि आनंद मोहन समेत 27 कैदियों की रिहाई का आदेश भेदभाव वाला फैसला है। 

Controversy in the Grand Alliance over the decision to release Bahubali leader Anand Mohan, Male expressed his displeasure | बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई के फैसले से महागठबंधन में भी तकरार, माले ने जताई नाराजगी

बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई के फैसले से महागठबंधन में भी तकरार, माले ने जताई नाराजगी

Highlightsभाकपा-माले ने कहा- आनंद मोहन समेत 27 कैदियों की रिहाई का आदेश भेदभाव वाला फैसला हैकहा - सरकार शराबबंदी कानून के तहत जेलों में बंद दलित-गरीब कैदियों की रिहाई का आदेश जारी करे28 अप्रैल को भाकपा-माले के सभी विधायक पटना में एक दिन का सांकेतिक धरना देंगे

पटना:बिहार में गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णैया हत्याकांड के दोषी आनंद मोहन की रिहाई के बाद अब सत्तारूढ़ महागठबंधन में घमासान बढ़ता जा रहा है। महागठबंधन में शामिल भाकपा-माले ने नीतीश सरकार की नियत पर सवाल उठाते हुए कहा है कि आनंद मोहन समेत 27 कैदियों की रिहाई का आदेश भेदभाव वाला फैसला है। 

सरकार 14 साल की सजा काट चुके सभी दलित-गरीबों और शराबबंदी कानून के तहत जेलों में बंद दलित-गरीब कैदियों की रिहाई का आदेश जारी करे। माले के 12 विधायकों ने 28 अप्रैल को मुख्यमंत्री के समक्ष धरना देने का ऐलान किया है। भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने मीडिया से बात करते हुए सरकार द्वारा 14 वर्ष से अधिक की सजा काट चुके 27 बंदियों की रिहाई में बहुचर्चित भदासी (अरवल) कांड के 6 टाडाबंदियों को रिहा नहीं किए जाने पर गहरा क्षोभ प्रकट किया। 

उन्होंने कहा कि सरकार आखिरकार टाडाबंदियों की रिहाई क्यों नहीं कर रही है? जबकि वे सभी दलित-अतिपिछड़े और पिछड़े समुदाय के हैं और उन्होंने कुल मिलाकर 22 साल की सजा काट ली है। यदि परिहार के साल भी जोड़ लिए जाएं तो यह अवधि 30 साल से अधिक हो जाती है। सब के सब बूढ़े हो चुके हैं और गंभीर रूप से बीमार हैं। 

उन्होंने कहा कि भाकपा-माले विधायक दल ने विधानसभा सत्र के दौरान और कुछ दिन पहले ही टाडा बंदियों की रिहाई की मांग पर मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी और एक ज्ञापन भी सौंपा था। उम्मीद की जा रही थी कि सरकार उन्हें रिहा करेगी, लेकिन उसने उपेक्षा का रूख अपनाया। सरकार के इस भेदभावपूर्ण फैसले से न्याय की उम्मीद में बैठे उनके परिजनों और हम सबको गहरी निराशा हुई है। 

माले ने कहा है कि 1988 में भदासी कांड में अधिकांशतः दलित-अतिपिछड़े समुदाय से आने वाले 14 लोगों को फंसा दिया गया था। उनके ऊपर टाडा कानून उस वक्त लाद दिया गया था, जब पूरे देश में वह निरस्त हो चुका था। 4 अगस्त 2003 को सबको आजीवन कारावास की सजा सुना दी गई थी। सजा पाने वाले 14 लोगों में से अब सिर्फ 6 लोग ही बचे हुए हैं, बाकि लोगों की मौत उचित इलाज के अभाव में हो चुकी है। 

माले ने कहा है कि इसी मामले में एक टाडा बंदी त्रिभुवन शर्मा की रिहाई पटना उच्च न्यायालय के आदेश से 2020 में हुई। इसका मतलब है कि सरकार के पास कोई कानूनी अड़चन भी नहीं है। हमने मुख्यमंत्री से साफ कहा था कि जिस आधार पर त्रिभुवन शर्मा की रिहाई हुई है, उसी आधार पर शेष टाडाबंदियों को भी रिहा किया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। 

माले ने एलान किया है कि सरकार की भेदभावपूर्ण कार्रवाई के खिलाफ 28 अप्रैल को भाकपा-माले के सभी विधायक पटना में एक दिन का सांकेतिक धरना देंगे और धरना के माध्यम से शेष बचे 6 टाडाबंदियों की रिहाई की मांग उठायेंगे। माले ने इसके साथ ही 14 साल की सजा काट चुके सभी दलित-गरीबों और शराबबंदी कानून के तहत जेलों में बंद दलित-गरीब कैदियों की रिहाई की मांग भी सरकार से की है।
 

Web Title: Controversy in the Grand Alliance over the decision to release Bahubali leader Anand Mohan, Male expressed his displeasure

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