राफेल डील को लेकर कांग्रेस आज करेगी कैग से मुलाकात, सीतारमण का कहना- बेफिजूल की कोशिश
By पल्लवी कुमारी | Published: September 19, 2018 02:45 AM2018-09-19T02:45:20+5:302018-09-19T02:45:20+5:30
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक दिन पहले कहा कि चाहे कोई कैग और सीवीसी के पास जाए या नहीं लेकिन उनका संवैधानिक कर्तव्य पूरे सौदे तथा उसके सभी दस्तावेजों की जांच करना है।
नई दिल्ली, 19 सितंबर: राफेल सौदे पर नरेंद्र मोदी सरकार पर हमले तेज करते हुए कांग्रेस इस मुद्दे को बुधवार( 19 सितंबर) को कैग के समक्ष उठाएगी और इस मामले की विस्तृत जांच की मांग करेगी। खबरों के मुताबिक शीर्ष कांग्रेस नेता इस मुद्दे पर बुधवार को सुबह नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक से मुलाकात करेंगे। कांग्रेस ने फ्रांस की दसॉल्ट एविएशन से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है।
कांग्रेस का आरोप है कि सरकार ने राफेल डील अनिल अंबानी की कंपनी को दिया है, जिसे विमानों का कोई भी तजुरबा नहीं है। वहीं, यूपीए सरकार में 126 राफेल खरीदने की बात हुई थी तो सिर्फ 36 राफेल ही क्यों खरीदे जा रहे हैं। कांग्रेस का यह भी आरोप है कि इस सौदे के बारे में काफी कुछ देश की जनता से छिपाया जा रहा है।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक दिन पहले कहा कि चाहे कोई कैग और सीवीसी के पास जाए या नहीं लेकिन उनका संवैधानिक कर्तव्य पूरे सौदे तथा उसके सभी दस्तावेजों की जांच करना है। हालांकि रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने इस जांच की मांग को पूरी तरह खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि ये सभी जानकारियां पहले ही संसद में पेश की जा चुकी हैं।
निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को राफेल समझौते से जुड़े आरोपों की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने की विपक्ष की मांग को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा था कि इससे जुड़े सभी विवरण पहले से ही संसद के समक्ष रखे जा चुके हैं। उन्होंने संप्रग सरकार पर यह आरोप लगाते हुए निशाना साधा कि उसने हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को उस वक्त सहयोग नहीं दिया जब वह भारत में राफेल विमान बनाने के लिए फ्रांस की कंपनी ‘दसाल्ट एविएशन’ के साथ बातचीत कर रही थी।
सीतारमण ने इंडियन वीमेन प्रेस कॉर्प्स में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा, “संप्रग सरकार ने न तो भारतीय वायुसेना के बारे में सोचा और न ही एचएएल के बारे में। यह कहना कि हम एचएएल को ध्यान में नहीं रख रहे हैं, पूरी तरह गलत है।”
क्यों नहीं खरीदे गए 126 राफेल
गौरतलब है कि पिछले दिनों 36 राफेल के विमान डील पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने इंडियन एक्सप्रेस समाचार पत्र को दिए इंटरव्यू में बताया, जब 59000 करोड़ रुपये की लागत से भारत के लिए 36 लड़ाकू विमान खरीदे गए तब भारतीय वायु सेना (आईएएफ) की आधारभूत संरचना, अन्य तकनीकी आवश्यकताओं और इंफ्रास्ट्रक्चर इस बात की अनुमति नहीं दे रहे थे कि 36 से ज्यादा राफेल विमान खरीदे जाए।
उन्होंने कहा, 'हर बार जब आप एक स्क्वाड्रन (18 विमानों का मानक बेड़ा) शामिल करते हैं, तो कई अन्य सामानों की आपको जरूरत होती है। इसलिए अगर आपको कुछ जल्दी में करना होता है, पैरामीटर के एक सेट को देखते हुए फैसला करना पड़ता है।'
निर्मला सीतारमण ने बताया, 'जब आप भारतीय वायुसेना के तकनीकी विवरण के बारे में जानेंगे तो आपको पता चलेगा कि अगर इमरजेंसी हो तो आप हमेशा सिर्फ दो स्क्वाड्रन ही शामिल कर सकते हैं, दो से ज्यादा नहीं। इसी बात से यह साफ हो जाता है कि हमने सिर्फ दो के लिए हां क्यों किया।'
ए.के. एंटनी ने राफेल को लेकर कही ये बात
पूर्व रक्षामंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ए.के. एंटनी की टिप्पणी पर सीतारमण ने सीधा जवाब नहीं दिया। एंटनी ने कहा था कि यदि केंद्र की ओर से खरीदा जा रहा विमान वाकई सस्ता है तो उसने 126 की बजाए 36 ही विमान क्यों खरीदे।
उन्होंने कहा, “विमान खरीदना कोई साधारण खरीद प्रक्रिया नहीं है। इसके लिए एक तय प्रक्रिया है।”
एंटनी ने कहा था कि कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने हाल में दावा किया था कि नए समझौते में विमान की कीमत यूपीए सरकार के समय के समझौते में तय कीमत से नौ फीसदी सस्ती है। वित्त मंत्री ने कहा कि यह 20 फीसदी सस्ती है जबकि भारतीय वायुसेना के एक अधिकारी ने कहा कि यह 40 फीसदी सस्ती है, तो ‘‘अगर यह इतनी ही सस्ती है तो उन्होंने 126 से ज्यादा विमान क्यों नहीं खरीदे?’’
(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)