विधानसभा में हारे चेहरों पर लोकसभा में दांव लगाएगी कांग्रेस, दिग्विजय सिंह भी लड़ सकते हैं चुनाव

By राजेंद्र पाराशर | Published: February 10, 2019 07:04 PM2019-02-10T19:04:43+5:302019-02-10T19:05:20+5:30

2003 में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने विधानसभा चुनाव हारने के बाद 10 साल तक चुनाव न लड़ने की प्रतिज्ञा की थी. इसके तहत वे 15 साल तक चुनाव नहीं लड़े. अब कांग्रेस उन्हें फिर से लोकसभा में मैदान में उतारना चाह रही है.

CONGRESS will give opportunity to defeated MLAS in Lok Sabha, Digvijay singh will fight election | विधानसभा में हारे चेहरों पर लोकसभा में दांव लगाएगी कांग्रेस, दिग्विजय सिंह भी लड़ सकते हैं चुनाव

विधानसभा में हारे चेहरों पर लोकसभा में दांव लगाएगी कांग्रेस, दिग्विजय सिंह भी लड़ सकते हैं चुनाव

मध्यप्रदेश कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में राज्य की 29 सीटों में से 20 से ज्यादा सीटों पर जीत का लक्ष्य तय किया है. इसके लिए कांग्रेस विधानसभा चुनाव में जो दिग्गज नेता हारे थे, उन नेताओं को लोकसभा में मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है. वहीं दल बदल कर आने वाले नेताओं को भी मौका देने का फैसला कांग्रेस ने किया है.

मध्यप्रदेश कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव को लेकर सक्रियता बढ़ा दी है. कांग्रेस द्वारा राज्य की 29 में 24 सीटों पर जीत का लक्ष्य तय किया गया है. इस लक्ष्य को पाने के लिए कांग्रेस पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरने का फैसला कर रही है. कांग्रेस द्वारा राहुल गांधी के दौरे बाद यह भी तय किया गया है कि जल्द ही लोकसभा के प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की जाए, ताकि उम्मीदवारों को अधिक से अधिक समय मतदाता के बीच मिल सके.

हारे उम्मीदवारों पर दांव 

कांग्रेस नेताओं की माने तो आधा दर्जन लोकसभा सीटों पर कांग्रेस विधानसभा चुनाव में हारे उम्मीदवारों पर दांव लगाने की तैयारी कर चुकी है. इनमें सीधी से अजय सिंह, मुरैना से रामनिवास रावत, सतना से राजेन्द्र सिंह, दमोह से मुकेश नायक, खण्डवा से अरुण यादव, खजुराहो से हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए डा. रामकृष्ण कुसमरिया के नाम शामिल बताए जा रह हैं. डा. रामकृष्ण कुसमरिया को भाजपा ने जब टिकट नहीं दिया था तो वे दमोह और पथरिया से बागी होकर चुनाव मैदान में उतरे थे, वे चुनाव तो नहीं जीत पाए, मगर उन्होंने दोनों ही स्थानों पर भाजपा प्रत्याशी को हराने में अहम भूमिका का निर्वाह किया था.

दिग्विजय के नाम पर विचार

2003 में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने विधानसभा चुनाव हारने के बाद 10 साल तक चुनाव न लड़ने की प्रतिज्ञा की थी. इसके तहत वे 15 साल तक चुनाव नहीं लड़े. अब कांग्रेस उन्हें फिर से लोकसभा में मैदान में उतारना चाह रही है. दिग्विजय सिंह को राजगढ़ संसदीय क्षेत्र से मैदान में उतारने की बात कही जा रही है. सिंह खुद भी इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि अगर पार्टी हाईकमान उन्हें चुनाव लड़ने का आदेश देगा तो वे अवश्य चुनाव लड़ेंगे. इसके पूर्व वे चुनाव न लड़ने की बात कहकर पट्ठे तैयार करने की बात कहते रहे हैं. मगर इन दिनों सिंह चुनाव लड़ने की बात कहने लगे हैं.

सिंधिया बदल सकते हैं अपना संसदीय क्षेत्र

सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी रणनीति के तहत अपना संसदीय क्षेत्र गुना बदलकर ग्वालियर से लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. सूत्रों की माने तो ग्वालियर-चंबल अंचल में आने वाली सभी चारों सीटों पर सिंधिया कांग्रेस का कब्जा चाहते हैं. फिलहाल ग्वालियर, मुरैना और भिंड सीटों पर भाजपा का कब्जा है, जबकि गुना से सिंधिया स्वयं चुनाव जीते थे. सूत्रों की माने तो सिंधिया ग्वालियर से चुनाव मैदान में उतरकर गुना संसदीय क्षेत्र से पत्नी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया या फिर अपने समर्थक को चुनाव मैदान में उतार सकती है. सिंधिया किसी भी हार में इस अंचल में कांग्रेस का परचम फहराना चाहते हैं और इसकी वे पूरी तैयारी भी कर चुके हैं.

 

Web Title: CONGRESS will give opportunity to defeated MLAS in Lok Sabha, Digvijay singh will fight election