तीन तलाक: कांग्रेस सांसद हुसैन का विवादित बयान, 'श्रीराम चंद्र जी ने भी संदेह को लेकर छोड़ दिया था सीता को'
By पल्लवी कुमारी | Published: August 10, 2018 11:43 AM2018-08-10T11:43:32+5:302018-08-10T11:43:32+5:30
इस बिल को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने सांसदों के लिए थ्री लाइन व्हिप जारी किया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि राज्यसभा में ये विधेयक पास हो जाएगा।
नई दिल्ली, 10 अगस्त: राज्यसभा में आज (10 अगस्त) को नरेन्द्र मोदी सरकार तीन तलाक बिल पेश करेगी। इस बिल को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने सांसदों के लिए थ्री लाइन व्हिप जारी किया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि राज्यसभा में ये विधेयक पास हो जाएगा।
इस मामले को लेकर कांग्रेस के महाराष्ट्र से राज्यसभा सांसद हुसैन दलवाई ने एक विवादित बयान दे डाला है। हुसैन दलवाई ने कहा, महिलाओं के साथ बूरा बर्ताव हर धर्म में होता है महिलाओं से गलत व्यवहार और हमें सभी को बदलना होगा।
Women treated unfairly in all communities, not just Muslims, even Hindus, Christians, Sikhs etc. In every society, there is male domination. Even Shree Ram Chandra ji once left Sita ji after doubting her. So we need to change as a whole: Hussain Dalwai, Congress #TripleTalaqBillpic.twitter.com/dpuh0c3Jyu
— ANI (@ANI) August 10, 2018
दलवाई ने कहा, 'महिलाओं के साथ हर समुदाय में अनुचित व्यवहार किया जाता है, ऐसा सिर्फ इस्लाम में नहीं बल्कि हर धर्म में किया जाता था। हिंदू, ईसाई या सिख हर समाज में पुरुषों का वर्चस्व है। यहां तक कि श्रीराम चंद्र जी ने भी एक बार सीता को शक के आधार पर छोड़ दिया था। इसलिए हमें सभी को बदलने की जरुरत है।'
संसद के मानसून सत्र का शुक्रवार को अंतिम दिन है। अगर विधेयक ऊपरी सदन में पारित हो जाता है तो इसे संशोधन पर मंजूरी के लिए वापस लोकसभा में पेश करना होगा।प्रस्तावित कानून ‘‘गैरजमानती’’ बना रहेगा लेकिन आरोपी जमानत मांगने के लिए सुनवाई से पहले भी मजिस्ट्रेट से गुहार लगा सकते हैं। गैरजमानती कानून के तहत, जमानत पुलिस द्वारा थाने में ही नहीं दी जा सकती।
गुरुवार को केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि प्रावधान इसलिए जोड़ा गया है ताकि मजिस्ट्रेट ‘पत्नी को सुनने के बाद’ जमानत दे सकें। उन्होंने स्पष्ट किया, ‘‘लेकिन प्रस्तावित कानून में तीन तलाक का अपराध गैरजमानती बना रहेगा।’’
सूत्रों ने बाद में कहा कि मजिस्ट्रेट यह सुनिश्चित करेंगे कि जमानत केवल तब ही दी जाए जब पति विधेयक के अनुसार पत्नी को मुआवजा देने पर सहमत हो। विधेयक के अनुसार, मुआवजे की राशि मजिस्ट्रेट द्वारा तय की जाएगी।
एक अन्य संशोधन यह स्पष्ट करता है कि पुलिस केवल तब प्राथमिकी दर्ज करेगी जब पीड़ित पत्नी, उसके किसी करीबी संबंधी या शादी के बाद उसके रिश्तेदार बने किसी व्यक्ति द्वारा पुलिस से गुहार लगाई जाती है।
मंत्री ने कहा, ‘‘यह इन चिंताओं को दूर करेगा कि कोई पड़ोसी भी प्राथमिकी दर्ज करा सकता है जैसा कि किसी संज्ञेय अपराध के मामले में होता है। यह दुरुपयोग पर लगाम कसेगा।’’
तीसरा संशोधन तीन तलाक के अपराध को ‘‘समझौते के योग्य’’ बनाता है। अब मजिस्ट्रेट पति और उसकी पत्नी के बीच विवाद सुलझाने के लिए अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर सकते हैं। समझौते के योग्य अपराध में दोनों पक्षों के पास मामले को वापस लेने की आजादी होती है।
(भाषा इनपुट)
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