कांग्रेस ने अडानी विवाद पर घेरा मोदी सरकार को, जयराम रमेश बोले- "सुप्रीम कोर्ट की नियुक्त विशेषज्ञ समिति सरकार के लिए 'क्लीन चिट' पैनल साबित होगी, जेपीसी के बिना नहीं बनेगी बात"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 22, 2023 05:26 PM2023-03-22T17:26:49+5:302023-03-22T17:30:27+5:30
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अडानी विवाद में बुधवार को कहा कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ही इस विवाद में दूध का दूध और पानी का पानी कर सकती है क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति तो सरकार के लिए "क्लीन चिट" पैनल साबित होने वाली है।

फाइल फोटो
दिल्ली:नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अडानी विवाद पर संसद से सड़क तक विरोध कर रही देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने बुधवार को पत्रकार वार्ता करके स्पष्ट कर दिया है कि वो इस विवाद में मोदी सरकार को कोई रियायत देने के पक्ष में नहीं है। कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस संबंध में नियुक्त की गई विशेषज्ञ समिति से सरकार अडानी को 'क्लीन चिट' दिलाएगी, इस कारण कांग्रेस विवाद के सभी पहलुओं को देखते हुए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग पर अडिग है।
कांग्रेस की ओर से लगातार अडानी विवाद में सरकार को घेर रहे मीडिया सेल के प्रभारी और वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने बुधवार को जोर देकर कहा कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ही अडानी विवाद में दूध का दूध और पानी का पानी कर सकती है क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति तो सरकार के लिए "क्लीन चिट" पैनल साबित होने वाली है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने दावा किया कि मोदी सरकार चाहती है कि कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल अडानी विवाद में की जा रही जेपीसी की मांग को वापस ले लें और बदले में वह संसद में राहुल गांधी से माफी मामले की मांग को वापस ले लेगी। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी या कांग्रेस की ओर से माफी मांगने का कोई सवाल नहीं है और न ही पार्टी अडानी विवाद पर जेपीसी की मांग से कोई समझौता करने जा रही है।
रमेश ने कांग्रेस द्वारा 'हम अडानी के हैं कौन' के तहत पूछे गए सवालों की संख्या 100 तक पहुंचाने के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस ने अडानी मुद्दे के संबंध में 5 फरवरी से अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 99 सवाल किए थे।
उन्होंने कहा, "हम 100वें और अंतिम प्रश्न के साथ 'हम अडानी के हैं कौन' की श्रृंखला समाप्त करते हुए सरकार से यह जानना ताहते हैं कि क्या आप अपने विवादों से निकलने के लिए कब तक जांच एजेंसियों की विशाल सेना का सहारा लेंगे।"
जयराम रमेश ने पत्रकारों से बात करते हुए दावा किया कि दुर्भाग्य से 2 मार्च को अडानी विवाद में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति के पास इन एजेंसियों पर कोई औपचारिक अधिकार नहीं है। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा, "आपने जांच एजेंसियों को विपक्षी दलों, नागरिक समाज और स्वतंत्र व्यवसायों के खिलाफ उकसावे भरे एक्शन लेने में कभी कोई संकोच नहीं किया। अब हम आपसे अपील करते हैं कि कुछ तो शर्म करिये उनका उपयोग करने में। आप जिस तरह से भ्रष्टाचार के नाम पर बेशर्म तरीके से जांच करवा रहे हैं, सारा देश उसे देख रहा है।"
कांग्रेस नेता ने भाजपा पर तीखा आरोप लगाते हुए कहा, "विपक्ष अडानी विवाद में सुप्रीम कोर्ट से निष्पक्ष जांच की प्रार्थना कर रहा है लेकिन सवाल उठता है कि सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ समिति जांच करे कैसे क्योंकि जांच एजेंसियों पर अधिकार क्षेत्र उनके पास नहीं है। इस कारण सरकार की सीधी मंशा है कि वो क्रोनिज्म और राजनीतिक हस्तक्षेप के जरिये लगातार अपने मित्रों को 'समृद्ध' करे।"
जयराम रमेश ने प्रेस कांफ्रेंस के अंत में जोर देकर कहा कि इन सभी पहलूओं को ध्यान में रखते हुए स्पष्ट है कि अडानी विवाद की जांच केवल और केवल संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से ही करना उचित होगा क्योंकि इससे पहले भी कांग्रेस और भाजपा के नेतृत्व वाली सरकारें अतीत में शेयर बाजार के हेरफेर के सभी विवादों में जेपीसी जांच करने पर सहमत हुई हैं।