किसान विरोधी कानून के खिलाफ कांग्रेस ने उठाई आवाज, सड़कों पर उतरे किसान
By प्रदीप द्विवेदी | Published: September 17, 2020 08:35 PM2020-09-17T20:35:42+5:302020-09-17T20:35:42+5:30
कांग्रेस के लोक सभा में नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस विधेयक को लेकर सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा , "हरित क्रांति को हारने की घिनौनी भाजपा साजिश है , तीन काले कानून जिससे खेत खलियान को पूँजीपतियों के हाथ गिरवी रखने का षडयंत्र किया जा रहा है "
नई दिल्ली: देश का किसान सड़कों पर और सरकार संसद में किसानों से जुड़े विधेयक को पारित कराने में जुटी थी , जिसे लेकर देश भर का किसान द्वारा और सहमा हुआ है। इसकी झलक राहुल ने ट्वीट कर दी, "मोदी जी ने किसानों की आय दुगनी करने का वादा किया था लेकिन मोदी सरकार के काले क़ानून किसान खेतिहर मज़दूर का आर्थिक शोषण करने के लिए बनाये जा रहे हैं। ये जमींदार का नया रूप है और मोदी जी के कुछ मित्र नए भारत के जमींदार होंगे। कृषि मंडी हटी, देश की खाद्य सुरक्षा मिटी " .
सरकार का समर्थन करने वाली अकाली दल पार्टी भी इस मुद्दे पर सरकार के साथ खड़े होने को तैयार नहीं है। कांग्रेस के लोक सभा में नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस विधेयक को लेकर सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा , "हरित क्रांति को हारने की घिनौनी भाजपा साजिश है , तीन काले कानून जिससे खेत खलियान को पूँजीपतियों के हाथ गिरवी रखने का षडयंत्र किया जा रहा है "
लोक सभा का हवाला देते हुए अधीर ने कहा , "आज बाहुबली मोदी सरकार ने संसद में किसान और खेती विरोधी एक क्रूर काला अध्याय लिख डाला " उनका मानना था कि बहुमत के ज़रिये हमारी बुलंद आवाज़ को नहीं दबाया जा सकता। उन्होंने सात मुद्दों पर विरोध जताते हुए साफ़ किया कि किस तरह किसानों की खेती को पूँजीपतियों के लिए खोलने का असर होगा। दरअसल सरकार नए कानून के ज़रिये , अनुबंध खेती के माध्यम से किसान को पूँजीपतियों के हाथों बेचे का सिलसिला शुरू कर रही है।
ग़ौरतलब है कि मोदी सरकार एक नए संशोधन विधेयक के ज़रिये , किसान की खेती को मंडियों की जगह अनुबंध पर आधारित बिक्री के लिए खोल रही है जिससे राज्यों को मंडी से मिलने वाला राजस्व समाप्त होगा तो दूसरी तरफ फसल पकने से पहले ही पूंजीपति किसानों की फसल का सौदा करने के लिए स्वतंत्र होंगे।