अकाली दल पर बरसे नवजोत सिंह सिद्धू, कहा-किसानों के असली गुनहगार, बादलों ने तीन काले कृषि कानूनों की 'नींव' रखी
By सतीश कुमार सिंह | Published: September 15, 2021 05:13 PM2021-09-15T17:13:48+5:302021-09-15T17:15:18+5:30
पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब सरकार से केंद्र के ''अन्याय'' के खिलाफ लड़ने का अनुरोध किया।
चंडीगढ़ः अकाली दल पर तीखा प्रहार करते हुए पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने बुधवार को कहा कि बादलों ने तीन काले कृषि कानूनों की 'नींव' रखी और इनके ब्लू प्रिंट की मदद से केंद्र की मोदी सरकार ने चाक-चौबंद कृषि अधिनियमों के लिए रोड मैप तैयार किया।
नवजोत सिद्धू ने कहा कि सर्वदलीय बैठक के दौरान, 10 कृषि कानूनों पर प्रस्ताव पारित किया गया था। सुखबीर सिंह बादल ने नाम वापस ले लिया। अध्यादेशों का समर्थन किया, यह तर्क देते हुए प्रस्ताव का विरोध किया कि अध्यादेश में कुछ भी गलत नहीं है, इसे किसान समर्थक कहा।
It's Congress that brought MSP, mandi, National Food Security Act...The Public Distribution System (PDS) was also brought by the Congress: Navjot Singh Sidhu, Punjab Congress chief pic.twitter.com/t65JBv5lBG
— ANI (@ANI) September 15, 2021
पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि यह कांग्रेस है जो एमएसपी, मंडी, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम लाई। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) भी कांग्रेस द्वारा लाई गई। सिद्धू ने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को पत्र लिखकर किसानों की मांगों पर काम करने की मांग की, जिनमें आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज 'अनुचित' प्राथमिकी को रद्द करने की मांग शामिल है।
सिद्धू ने कहा कि कांग्रेस हर स्तर पर कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के साथ खड़ी है। उन्होंने राज्य सरकार से कहा, ''हमें और अधिक करना चाहिए'' और ''पंजाब में तीन काले कानूनों को किसी भी कीमत पर लागू नहीं होने देना चाहिए।'' सिद्धू ने 32 कृषि निकायों के प्रतिनिधियों से मुलाकात के दो दिन बाद मुख्यमंत्री को पत्र लिखा।
प्रतिनिधियों ने मुलाकात के दौरान अपनी मांगों को उठाया था। मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में सिद्धू ने कहा, ''आपसे अनुरोध है कि आप 32 किसान यूनियनों द्वारा बुलाई गई बैठक में उठाई गईं मांगों पर ध्यान दें और आवश्यक कार्रवाई करें।''
सिद्धू ने कहा कि किसान नेताओं ने राज्य में आंदोलन के दौरान हिंसा के मामलों के कारण किसान संघों के खिलाफ दर्ज ''अन्यायपूर्ण और अनुचित'' प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की।'' उन्होंने कहा कि कांग्रेस और राज्य सरकार ने केन्द्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों को समर्थन दिया है।