कांग्रेस ने मोदी पर कसा तंज, कहा- PM डरो मत, 'हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन' के निर्यात से बैन हटाना भारतीयों के स्वास्थ्य को खतरे में डाल सकता है
By रामदीप मिश्रा | Published: April 8, 2020 03:06 PM2020-04-08T15:06:23+5:302020-04-08T15:06:23+5:30
भारत मलेरिया के इलाज में उपयोग होने वाली हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का सबसे बड़ा विनिर्माता है। इस दवा को अब कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज में पासा पलटने वाला माना जा रहा है और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इसी दवा की आक्रमक तरीके से मांग कर रहे हैं।
नई दिल्लीः भारत ने मानवीय आधार पर पड़ोसी देशों सहित अन्य को मलेरिया की दवा पेरासिटामोल और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन निर्यात करने का फैसला किया, जिसके बाद से कांग्रेस देश की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमलावर है और ट्विटर पर लगातार #PMDaroMat (पीएम डरो मत) हैशटैग के साथ ट्वीट कर रही है।
कांग्रेस ने बुधवार को ट्वीट करते हुए कहा, 'आज देश कोविड़-19 के कारण नाजुक दौर से गुजर रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय 'हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन' के उपयोग की सिफारिश करता है। 'हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन' के निर्यात से आंशिक रूप से प्रतिबंध हटाया जाना देश के नागरिकों के स्वास्थ्य को खतरे में डाल सकता है।'
कांग्रेस ने कहा, 'हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात की अनुमति नहीं देने पर अमेरिका भारत को प्रतिशोध की धमकी देता है। इसके बाद निर्यात पर से आंशिक रूप से प्रतिबंध हटाया जाना सरकार का निंदनीय कदम है। भारत ने बिना किसी व्यापार समझौते के राष्ट्रपति ट्रंप की यात्रा के लिए 120 करोड़ रुपये खर्च किए।'
उसने कहा, 'प्रधानमंत्री को निश्चित रूप से राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता देनी चाहिए। केंद्र सरकार ने 19 मार्च तक PPE के निर्यात को मंजूरी दे रखी थी, जिसके परिणामस्वरूप हमारे स्वास्थ्य कर्मी PPE किट की कमी से जूझ रहे हैं। फिर से ऐसी गलती करना सरकार की अपरिपक्वता को दर्शा रहा है।'
आज देश कोविड़-19 के कारण नाजुक दौर से गुजर रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय 'हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन' के उपयोग की सिफारिश करता है।
— Congress (@INCIndia) April 8, 2020
'हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन' के निर्यात से आंशिक रूप से प्रतिबंध हटाया जाना देश के नागरिकों के स्वास्थ्य को खतरे में डाल सकता है।#PMDaroMatpic.twitter.com/VZKrBMJlFw
आपको बता दें, भारत मलेरिया के इलाज में उपयोग होने वाली हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का सबसे बड़ा विनिर्माता है। इस दवा को अब कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज में पासा पलटने वाला माना जा रहा है और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इसी दवा की आक्रमक तरीके से मांग कर रहे हैं। ट्रंप की इस दवा की मांग के बाद भारत इसके निर्यात पर पाबंदी हटाने को सहमत हो गया है।
इससे पहले, कोरोना वायरस महामारी के बीच इस दवा समेत दो दर्जन से अधिक रसायनों के निर्यात पर पाबंदी लगाई गई थी। निर्यात पर पाबंदी हटाने से पहले अधिकारियों ने इस बात का आकलन किया कि कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए देश को इस दवा की कितनी जरूरत है।
अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि कोरोना वायरस वैश्विक महामारी से निपटने में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की मदद करने की भारत की प्रतिबद्धता के अनुरूप यह फैसला किया गया है। 'हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन' मलेरिया के इलाज में प्रयुक्त होने वाली पुरानी और सस्ती दवा है। पिछले महीने, भारत ने हाइड्रोक्सीलक्लोरोक्वीन के निर्यात पर रोक लगा दी थी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, 'भारत का रुख हमेशा से यह रहा है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुटता एवं सहयोग दिखाना चाहिए। इसी नजरिए से हमने अन्य देशों के नागरिकों को उनके देश पहुंचाया है। वैश्विक महामारी के मानवीय पहलुओं के मद्देनजर, यह तय किया गया है कि भारत अपने उन सभी पड़ोसी देशों को पेरासिटामोल और एचसीक्यू (हाइड्रोक्लोरोक्वीन) को उचित मात्रा में उपलब्ध कराएगा जिनकी निर्भरता भारत पर है।