कांग्रेस और मोदी सरकार के बीच बैंकों का पैसा लूटने वालों को लेकर तेज़ हुई जंग, सवालों का लगा तांता
By शीलेष शर्मा | Published: April 29, 2020 05:51 PM2020-04-29T17:51:33+5:302020-04-29T17:51:33+5:30
निर्मला सीतारमण सिर्फ़ यह कहती रहती हैं कि सारे ऋण यूपीए सरकार के कार्यकाल में दिये गये थे हम तो उस गंदगी को साफ़ कर रहे हैं। चिदंबरम ने पलट वार किया कि वित्त मंत्री एक तकनीकी बात कह रही हैं पर सवाल एक बड़े आयाम का है. भगोड़ों पर वो नियम लागू क्यों हो रहा है जो हज़ारों करोड़ का क़र्ज़ लेकर भाग चुके हैं.
नई दिल्ली: जानबूझ कर बैंकों का कर्ज़ डकारने वाले 50 प्रमुख उद्द्योगिक घरानों जिसमें स्वामी रामदेव से लेकर नीरव मोदी, मेहुल भाई, माल्या जैसे नाम शामिल हैं को लेकर कांग्रेस और सरकार के बीच जुबानी जंग तेज़ होती जा रही है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने राहुल को जवाब देने के लिये ट्वीट की झड़ी लगा दी ,फिर कांग्रेस कहाँ खामोश बैठने बाली थी,पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने निर्मला सीतारमण के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
रणदीप सुरजेवाला ने कहा वित्तमंत्री को देश को भटकाने की बजाय सच बताना चाहिये, 2014 से 2020 के बीच बैंक डिफॉल्टरों का 666000 करोड़ का कर्ज़ क्यों माँफ किया। यह सिस्टम की सफाई नहीं ,जनता की गाड़ी कमाई की सफ़ाई है।
चिदंबरम ने निर्मला सीतारमण पर सीधा हमला किया यह कहते हुये कि वे टेक्निकल रूल के पीछे क्यों छिप रही हैं. निर्मला सीतारमण द्वारा इस मामले में दी गयी सफाई पर टिप्पणी करते हुए चिदंबरम ने कहा, 'मैंने संसद में पूछा था कि 2004 से पहले, 2004 से 2014 तक के और 2014 के बाद के नॉन प्रोफिटेबल असेट जिसे हम एनपीए कहते हैं का पूरा ब्यौरा सरकार क्यों नहीं दे रहीं है। यह ब्यौरा सार्वजानिक हो तो ही पता लगेगा कि इस दौरान कितने लोन दिए गए?
निर्मला सीतारमण सिर्फ़ यह कहती रहती हैं कि सारे ऋण यूपीए सरकार के कार्यकाल में दिये गये थे हम तो उस गंदगी को साफ़ कर रहे हैं। चिदंबरम ने पलट वार किया कि वित्त मंत्री एक तकनीकी बात कह रही हैं पर सवाल एक बड़े आयाम का है. भगोड़ों पर वो नियम लागू क्यों हो रहा है जो हज़ारों करोड़ का क़र्ज़ लेकर भाग चुके हैं.
वित्त मंत्री टेक्निकल रूल के पीछे क्यों छिप रही हैं. यह नियम उन सभी डिफ़ॉल्टर पर लागू हो सकता है जिनकी संपत्ति यहाँ है और उससे यहां पर रिकवरी हो सकती है.इसके जबाब में निर्मला सीतारमण ने यह गिनाना शुरू किया कि उनकी मोदी सरकार ने कार्यवाही कर ऐसे डिफॉल्टरों की संपत्ति से कितनी बसूली अब तक की है। यह जंग फ़िलहाल थमने के आसार नज़र नहीं आ रहे क्योंकि दोनों तरफ़ से तलवारें खींची हुयी हैं।