अल्पेश ठाकोर और धवलसिंह झाला का दांव पड़ा उल्टा, मंत्री पद तो दूर बीजेपी में शामिल होना कठिन, विधायक भी नहीं रहे
By महेश खरे | Published: July 10, 2019 08:24 AM2019-07-10T08:24:13+5:302019-07-10T08:24:13+5:30
भाजपा के शीर्ष नेताओं के सामने अल्पेश ने 5 से 15 विधायकों के कांग्रेस से इस्तीफा देकर साथ आने का दावा किया था. लेकिन राज्यसभा उपचुनाव में उनके साथ मात्र धवल सिंह झाला ने ही क्रॉस वोटिंग कर कांग्रेस से इस्तीफा दिया.
गुजरात में राज्यसभा उपचुनाव में क्रॉस वोटिंग कर विधायकी से इस्तीफा देने वाले अल्पेश ठाकोर का सियासी दांव कहीं उल्टा तो नहीं पड़ गया? भाजपा में भी उनको पद मिलने पर असमंजस बना हुआ है. चर्चा तो यहां तक है कि अब उन्हें मंत्री पद नहीं, ठाकोर-कोली विकास निगम का चेयरमैन बनाया जाएगा. यही नहीं, विधानसभा उपचुनाव में उन्हें राधनपुर क्षेत्र भी छोड़ना पड़ सकता है.
बीजेपी के शीर्ष नेताओं के सामने अल्पेश ने 5 से 15 विधायकों के कांग्रेस से इस्तीफा देकर साथ आने का दावा किया था. लेकिन राज्यसभा उपचुनाव में उनके साथ मात्र धवल सिंह झाला ने ही क्रॉस वोटिंग कर कांग्रेस से इस्तीफा दिया. इस कारण जो बीजेपी नेता अल्पेश को मंत्री पद से नवाजने के वादे कर रहे थे अब वे पीछे हट रहे हैं.
भाजपा में शामिल करने का ही विरोध
खबर तो यहां तक है कि अल्पेश को बीजेपी में शामिल करने के सवाल पर ही कार्यकर्ता विरोध दर्ज करा रहे हैं. नेतृत्व को इस बात का भी डर है कि यदि अल्पेश को मंत्री बनाया गया तो भाजपा कार्यकर्ताओं का असंतोष बढ़ सकता है. वैसे भी बीजेपी में तीन-चार बार विधानसभा चुनाव जीत चुके नेता भी अभी मंत्री पद के इंतजार में हैं.
कांग्रेस से आए दो नेता हैं मंत्री
अल्पेश के पद पर पुनर्विचार का एक बड़ा कारण यह भी बताया जा रहा है कि विजय रुपाणी सरकार में पहले से ही कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होकर दो नेता कुंवरजी वावलिया और जवाहर चावड़ा मंत्री बने हैं. अगर कांग्रेस से आने वाला तीसरा चेहरा मंत्री बना तो वर्षों से पद की लालसा मन में पाले भाजपाइयों में असंतोष और हताशा बढ़ सकती है.
धवल के पद पर असमंजस अल्पेश ठाकोर के साथ वायड की विधायकी से इस्तीफा देने वाले धवल सिंह झाला को बीजेपी में मिलने वाले पद पर अभी असमंजस छाया है. भाजपा के सूत्र तो यह भी कह रहे हैं कि विधानसभा उपचुनाव में उनको बीजेपी का टिकट मिलना भी अभी तय नहीं है. यह स्थिति बीजेपी में दोनों नेताओं के खिलाफ उठ रहे स्वर के कारण बनी है.