बीजेपी नहीं ये गठबंधन डुबा सकता है कांग्रेस की लुटिया, मायावती-अखिलेश होंगे विरोधी खेमे में?
By जनार्दन पाण्डेय | Published: December 21, 2018 05:10 PM2018-12-21T17:10:17+5:302018-12-21T17:10:17+5:30
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पहले ही पूरे विपक्ष को एक साथ लाकर महागठबंधन करने की जुगत में हैं। कांग्रेस की सहालकार सोनिया गांधी भी यह आह्वान पहले ही कर चुकी हैं।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) अगले सप्ताह ओडिशा और पश्चिम बंगाल के अपने समकक्ष सहित बसपा और सपा प्रमुख से मुलाकात करेंगे। दरअसल, राव ने लोकसभा चुनाव के लिए गैर कांग्रेसी और गैर भाजपाई क्षेत्रीय दलों को साथ लाने की दिशा में काम करने की घोषणा की थी।
केसीआर के कार्यालय से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, राव भुवनेश्वर में 23 दिसंबर को ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से और अगले दिन कोलकाता में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात करेंगे।
तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के प्रमुख राव 25 दिसंबर से अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान बसपा की सुप्रीमो मायावती और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात करेंगे। उनकी इस कवायद को कांग्रेस और भाजपा को छोड़कर क्षेत्रीय दलों को साथ लाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है ।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पहले ही पूरे विपक्ष को एक साथ लाकर महागठबंधन करने की जुगत में हैं। कांग्रेस की सहालकार सोनिया गांधी भी यह आह्वान पहले ही कर चुकी हैं।
लेकिन हालिया कांग्रेस की तीन राज्यों की जीत में एमपी में कांग्रेस को बहुमत जुटाने के लिए समर्थन देने के बाद भी अखिलेश और मायावती मुख्यमंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह नहीं गए।
इसके बाद खबर आई कि यूपी में सीटों का बंटवारा खुद ही कर लिए। इसमें सिवाय अमेठी और रायबरेली के लिए बाकी सभी जगहों पर अपने प्रत्याशी उतारेंगे।
ऐसे में अगर चुनावों के पहले कांग्रेस इन दलों को नहीं साध पाती तो ये बीजेपी से बड़ी चुनौती साबित होंगे। क्योंकि कांग्रेस इस वक्त किसी हाल में बीजेपी को रोकना चाहती है। लेकिन कांग्रेस के सामने यह धर्म संकट खड़ा हो जाएगा कि इस गठबंधन को अपना समर्थन दे, या इनके खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारे। क्योंकि कांग्रेस इन दलों के महागठबंधन में शामिल होने की बांट जोह रही है।
(समाचार एजेंसी भाषा के साथ)