राजस्थान-एमपी-छत्तीसगढ़ के चक्कर में सबसे मजबूत प्रदेश को भूली कांग्रेस, उखड़ सकती है 10 साल की सत्ता!
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 10, 2018 09:04 AM2018-12-10T09:04:08+5:302018-12-10T10:54:12+5:30
Congress in Mizoram Vidhan Sabha Chunav 2018: मिजोरम की मौजूदा सरकार का कार्यकाल इस साल 15 दिसंबर को खत्म हो रहा है. यहां कांग्रेस के लल थनहवला अभी मुख्यमंत्री हैं.
मिजोरम में 28 नवंबर को विधानसभा चुनाव हुआ था और 11 दिसंबर को पांचों राज्यों के चुनावी नतीजों के साथ ही यहां भी अगली सरकार का रास्ता साफ होगा. मिजोरम की मौजूदा सरकार का कार्यकाल इस साल 15 दिसंबर को खत्म हो रहा है. यहां कांग्रेस के लल थनहवला अभी मुख्यमंत्री हैं.
मिजोरम भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां महिला वोटरों की संख्या पुरुषों से ज्यादा है. निर्वाचन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार मिजोरम में वोटरों की कुल संख्या मात्र 7.68 लाख है. इनमें से 3.93 लाख महिला वोटर हैं और 3.74 पुरुष वोटर हैं. मिजोरम विधानसभा में कुल 40 सीटें हैं, जिनमें से 39 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व हैं. वहीं लोकसभा में पूरे राज्य से केवल 1 सीट है.
दरअसल, पिछले करीब एक दशक से मिजोरम में कांग्रेस ही सत्ता में है. हालांकि भाजपा इस बार अपनी जगह बनाने के लिए पूरा प्रयास कर रही है. 2011 की जनगणना के अनुसार, 87.16 फीसदी मिजोरम की जनसंख्या ईसाई थी और ज्यादातर रिपोर्ट्स यही कहती हैं कि आज भी मिजोरम के ज्यादातर लोगों को भाजपा से परहेज ही है. वहां कांग्रेस के खिलाफ कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं है.
हालांकि दो मामलों में कांग्रेसी सरकार को असफलता हाथ लगी है, राज्य का मूलभूत विकास और शराबबंदी. मिजोरम की सड़कें भी खराब हालत में हैं और कांग्रेस सरकार के पिछले 10 वर्षों के कार्यकाल में उनमें कोई खास बदलाव नहीं हुआ है. इसके साथ ही मिजोरम में शराब से होने वाली मौतों में लगातार बढ़ोतरी हुई है. कांग्रेस ने ही अपने कार्यकाल के दौरान शराब से प्रतिबंध हटा दिया था.
इन सारे मुद्दों का प्रयोग कर कांग्रेस के खिलाफ अपनी जगह बना पाना भाजपा के लिए बहुत मुश्किल होगा. हालांकि मिजो नेशनल फ्रंट जरूर इसमें सफल हो सकता है. वैसे भी नॉर्थ-ईस्ट का यह राज्य 1984 से ही कांग्रेस और मिजो नेशनल फ्रंट के हाथों में सत्ता बदलता रहा है.
2013 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के वोट प्रतिशत और सीटें दोनों ही बढ़े थे. कांग्रेस को इन चुनावों में 34 सीटें और 45 फीसदी वोट मिले थे, जबकि मिजो नेशनल फ्रंट का वोट प्रतिशत गिरकर 29 फीसदी हो गया था. उसे 5 सीटों पर कामयाबी मिली थी. मिजोरम के एक मात्र सांसद भी कांग्रेसी ही हैं.
नॉर्थ-ईस्ट का अपना आखिरी गढ़ बचाने की चुनौती भाजपा यहां पर अपनी स्थिति मजबूत करने के पूरे प्रयास कर रही है. इसी संबंध में अमित शाह ने मिजोरम की राजधानी एजल में 7,000 भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और मुख्यमंत्री लल थनहवला पर एक भ्रष्ट और वंशवादी राजनीति करने का आरोप लगाया था.
उन्होंने दावा किया था कि मुख्यमंत्री अपने छोटे भाई को अगला मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं. जो उनकी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री था. हालांकि मात्र 7.68 लाख वोटरों वाले इस छोटे से राज्य मिजोरम में कांग्रेस के सामने नॉर्थ-ईस्ट का अपना आखिरी गढ़ बचाने की चुनौती है.