दिल्ली: CWC की बैठक में महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा, वेणुगोपाल ने कहा- कल होगा फैसला
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 21, 2019 10:49 AM2019-11-21T10:49:38+5:302019-11-21T10:49:38+5:30
चुनाव में भाजपा-शिवसेना गठबंधन को बहुमत मिला था, लेकिन ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद पर शिवसेना के दावे के बाद दोनों के रास्ते अलग हो गए।
कांग्रेस की सर्वोच्च नीति निर्धारण इकाई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक खत्म हो चुकी है। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास 10 जनपथ पर हुई बैठक में महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति और कुछ अन्य मुद्दों पर चर्चा की गई। बैठक के बाद पार्टी के नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि बैठक में सीडब्ल्यूसी के सदस्यों को महाराष्ट्र की मौजूदा राजनीति से अवगत कराया गया।
समाचार एजेंसी एएनआई न्यूज एजेंसी के मुताबिक वेणुगोपाल ने कहा कि आज कांग्रेस-एनसीपी की चर्चा रहेगी। वहीं उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि कल मुंबई में शायद हमारा फैसला होगा। वहीं, बैठक में शामिल कांग्रेस वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने महाराष्ट्र में सरकार गठन पर कहा कि आज वर्किंग कमिटी की बैठक में इस पर चर्चा हुई है और आगे क्या करना है यह भी तय हुआ है। अब उसी के अनुसार हम आगे का कदम तय करेंगे।'
Congress leader KC Venugopal on CWC meeting: We have apprised the CWC members of the latest political situation in Maharashtra. Today, Congress-NCP discussion will continue. I think, tomorrow, we will probably have a decision in Mumbai. pic.twitter.com/mmzeQ73ND5
— ANI (@ANI) November 21, 2019
Mallikarjun Kharge, Congress on #Maharashtra govt formation: The Congress Working Committee today discussed and decided what steps need to be taken ahead. We will now take steps as decided in the meeting. pic.twitter.com/Z9h9KFrqoT
— ANI (@ANI) November 21, 2019
दरअसल, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेताओं की मैराथन बैठक और सोनिया गांधी से हरी झंडी मिलने के बाद दोनों पार्टियों ने बुधवार को ऐलान किया कि वह जल्द ही राज्य में शिवसेना के साथ मिलकर नयी सरकार का गठन करेगी।
दोनों पार्टियों के नेता बृहस्पतिवार शाम फिर बैठक करने वाले हैं। गत 24 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से सरकार गठन को लेकर लगातार असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। चुनाव में भाजपा-शिवसेना गठबंधन को बहुमत मिला था, लेकिन ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद पर शिवसेना के दावे के बाद दोनों के रास्ते अलग हो गए।