कांग्रेस की डूबती नैया के खेवनहार अशोक गहलोत बन सकते हैं मुख्यमंत्री, जानें इनके लाइफस्टाइल के बारे में कुछ बातें
By स्वाति सिंह | Published: December 12, 2018 09:28 AM2018-12-12T09:28:07+5:302018-12-12T09:28:07+5:30
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ट नेता अशोक गहलोत की कुल संपति लगभग 6 करोड़ 44 लाख रुपये की है लेकिन वावजूद इसके इनके पास कोई कोई गाड़ी नहीं है।
राजस्थान विधानसभा चुनावी नतीजों के बाद यह साफ़ हो गया है कि यहां कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। इस चुनाव में कांग्रेस ने चुनावी मैदान में दो दिग्गजों को उतारा था। एक अशोक गहलोत और दूसरे सचिन पायलट। दोनों ही नेताओं का सियासी सफर बेहद ही उम्दा है।
अशोक गहलोत तो दो बार राज्य के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। आइए जानते हैं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ट नेता अशोक गहलोत के बारे कुछ बातें। अशोक गहलोत को घूमना-फिरना बेहद पसंद है। यही नहीं एक बहुत दिलचस्प बात यह है कि जहां भी जाते हैं बिस्कुट का पैकेट जरुर रखते हैं। क्योंकि उन्हें कड़ाकेदार चाय पसंद है और वह चाय के साथ बिस्कुट खाना पसंद करते हैं।
इनकी कुल संपति लगभग 6 करोड़ 44 लाख रुपये की है लेकिन वावजूद इसके इनके पास कोई कोई गाड़ी नहीं है। अशोक गहलोत के पिता पेशे से जादूगर थे। बताया जाता है कि गहलोत ने भी अपने पिता से यह हुनर सीखा था। यही नहीं बल्कि कुछ समय तक तो उन्होंने जादूगरी में अपना हाथ भी आजमाया था।
गहलोत का लाइफस्टाइल बेहद साधारण है इसके कारण इन्हें राजस्थान का गांधी भी कहा जाता रहा है।अशोक गहलोत सबसे पहले 1980 में संसद चुने गए थे।वह लगातार चार बार सांसद रहने का मौका मिला है।इसके बाद साल 1999 से लेकर अभी तक सरदारपुरा सीट से पांच बार विधानसभा चुनाव जीता है। यूपीए सरकार के दौरान केंद्र में भी गहलोत ने अहम भूमिका निभाई है। साल 1982 से 1993 के बीच उन्होंने पर्यटन, नागरिक उड्डयन, स्पोर्ट्स और टेक्सटाइल्स मंत्रालय संभाला है। बाद में साल 2004 से 2009 तक उन्होंने दिल्ली के महासचिव पद पर और सेवा दल सेल में कार्यरत रहे है।
गहलोत ने साइंस और लॉ में ग्रैजुएट गहलोत अर्थशास्त्र में मास्टर्स की डिग्री ली है। अपनी पढाई पूरी होने के बाद सीधा राजनीति में कूद पड़े।गहलोत समाजसेवा करने लगे।पूर्वी बंगाल शरणार्थी संकट के वक्त उन्होंने काफी लोगों की मदद की थी।संयोजवश उस वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से इनका सामना हुआ और वह गहलोत को कांग्रेस में ले आईं।राजनीति में गहलोत कर्तव्यनिष्ठा से तो सभी बखूबी वाकिफ हैं।