उत्तर प्रदेश कांग्रेस के इन 11 उम्रदराज नेताओं को ‘अनुशासनहीनता’ के मामले में पार्टी ने दिया नोटिस

By भाषा | Published: November 21, 2019 10:58 PM2019-11-21T22:58:40+5:302019-11-22T06:03:44+5:30

नेताओं को भेजे नोटिस में कहा गया कि अनुशासन समिति के संज्ञान में अखबारों के जरिए आया है कि आप अनावश्यक रूप से लगातार यूपीसीसी से जुड़े अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के फैसलों का सार्वजनिक बैठकें कर विरोध करते आए हैं।

Congress issues show cause notices to 11 state party leaders for indulging in anti-party activities | उत्तर प्रदेश कांग्रेस के इन 11 उम्रदराज नेताओं को ‘अनुशासनहीनता’ के मामले में पार्टी ने दिया नोटिस

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के इन 11 उम्रदराज नेताओं को ‘अनुशासनहीनता’ के मामले में पार्टी ने दिया नोटिस

Highlightsहाल ही में बुलाई गई दो बैठकों में उम्रदराज नेताओं की अनुपस्थिति के कारण पार्टी ने यह कदम उठाया है।युवाओं को तरजीह देने वाली प्रदेश की नयी कमेटी बनाये जाने के बाद वरिष्ठ नेता हाशिये पर डाले जाने से काफी नाखुश हैं।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने गुरुवार को पार्टी के 11 वरिष्ठ नेताओं को अनुशासनहीनता के चलते नोटिस जारी कर 24 घंटे में स्पष्टीकरण मांगा। पार्टी की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया, "अनुशासन समिति के सदस्य अजय राय पूर्व विधायक द्वारा उत्तर प्रदेश की प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव श्रीमती प्रियंका गांधी व प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के निर्देश पर विगत दिनों में अनुशासनहीनता करने पर नोटिस जारी कर चौबीस घण्टे में स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने हेतु जवाब मांगा गया है।"

विज्ञप्ति में कहा गया कि संतोष सिंह (पूर्व सांसद), सिराज मेंहदी (पूर्व एमएलसी), रामकृष्ण द्विवेदी (पूर्व गृहमंत्री), सत्य देव त्रिपाठी (पूर्व मंत्री), राजेन्द्र सिंह सोलंकी (सदस्य एआईसीसी), भूधर नारायण मिश्र (पूर्व विधायक), हाफिज मोहम्मद उमर (पूर्व विधायक), विनोद चौधरी (पूर्व विधायक), नेक चन्द्र पाण्डेय (पूर्व विधायक), स्वयं प्रकाश गोस्वामी (पूर्व अध्यक्ष युवा कांग्रेस), संजीव सिंह (पूर्व जिलाध्यक्ष गोरखपुर) को नोटिस जारी किया गया है।

नेताओं को भेजे नोटिस में कहा गया कि अनुशासन समिति के संज्ञान में अखबारों के जरिए आया है कि आप अनावश्यक रूप से लगातार यूपीसीसी से जुड़े अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के फैसलों का सार्वजनिक बैठकें कर विरोध करते आए हैं। इसमें कहा गया कि इन बैठकों और मीडिया बयानों से कांग्रेस की छवि धूमिल हुई है। आप जैसे वरिष्ठ नेताओं से यह उम्मीद नहीं थी। आपका बर्ताव पार्टी की नीतियों और विचारों के खिलाफ है। नोटिस में कहा गया कि यह बर्ताव अनुशासनहीनता के दायरे में आता है। आप 24 घंटे में स्पष्ट करें कि आपके खिलाफ क्यों न अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।

इस संबंध में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय सचिव सह-प्रभारी धीरज गुर्जर ने नयी दिल्ली में बताया कि ‘‘कई लोगों’’ के खिलाफ ‘‘अनुशासनहीनता’’ के मामले में नोटिस जारी हुआ है। उत्तर प्रदेश को लेकर सवाल करने पर उन्होंने कहा, ‘‘पार्टी में चाहे कोई कितना भी वरिष्ठ सदस्य हो, अनुशासनहीनता के मामले में उसके खिलाफ कार्रवाई जरुर होगी।’’ एआईसीसी में उत्तर प्रदेश (पश्चिमी) के प्रभारी गुर्जर ने इस संबंध में और कोई जानकारी नहीं दी। हालांकि, ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख अजय कुमार लल्लू द्वारा हाल ही में बुलाई गई दो बैठकों में उम्रदराज नेताओं की अनुपस्थिति के कारण पार्टी ने यह कदम उठाया है।

इस बीच उत्तर प्रदेश कांग्रेस की नयी कमेटी गठित होने के बाद हाशिये पर डाले गये पार्टी के वरिष्ठ नेता अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने की योजना बना रहे हैं ताकि उनसे यह पूछ सकें कि अब उनकी संगठन में क्या भूमिका होगी। गौरतलब है कि हाल ही में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी द्वारा अक्टूबर में युवाओं को तरजीह देने वाली प्रदेश की नयी कमेटी बनाये जाने के बाद वरिष्ठ नेता हाशिये पर डाले जाने से काफी नाखुश हैं।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले पूर्व विधान परिषद सदस्य सिराज मेंहदी ने कहा, ''मेरी किसी से कोई लड़ाई नहीं है, मैं पिछले 30-40 साल से पार्टी के लिये काम कर रहा हूं। मैं केवल यह जानना चाहता हूं कि मुझे पता चले कि पार्टी में मेरी अब क्या भूमिका है।'' कमेटी के गठन के बाद ही सिराज मेंहदी ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक भावुक पत्र भी भेजा था।

उन्होंने कहा था कि नयी उप्र कांग्रेस कमेटी में शिया समुदाय को कोई पद नहीं दिया गया है जबकि भारतीय जनता पार्टी ने केंद्र और प्रदेश में शिया समुदाय को मुख्य पदों पर रखा है। मेंहदी ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी में 50 साल से अधिक आयु वाले लोगों के लिये अब कोई जगह नहीं है। एक अन्य वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद राजेश मिश्रा ने भी सलाहकार समिति का सदस्य बनने में असमर्थता जतायी थी। उन्होंने उप्र कांग्रेस कमेटी गठित होने के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि ''मैं इस स्थिति में नही हूं कि प्रियंका गांधी को कोई सलाह दे सकूं।'' यह मुद्दा हाल ही में उप्र कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू द्वारा आयोजित दो बैठकों में उजागर हुआ जब इन बैठकों में बहुत कम नेता शामिल हुये। पूर्व विधायकों, विधानपरिषद सदस्यों और सांसदों तथा पिछले तीन बार से चुनाव लड़ने वाले पार्टी नेताओं की बैठक में केवल 53 लोग ही शामिल हुये।

एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ''बुधवार को आयोजित कांग्रेस बैठक में 325 नेताओं को बुलाया गया था लेकिन केवल 53 लोग ही इसमें शामिल हुये। इससे कुछ दिन पहले 75 जिलों के कांग्रेस अध्यक्षों की बैठक में केवल 17 ही बैठक में शामिल हुये थे।'' एक अन्य पार्टी नेता ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से समय लेने के लिये एक पत्र तैयार किया गया है ताकि उन्हें इन सब बातों से अवगत कराया जा सके। उन्होंने कहा कि बीस वरिष्ठ नेताओं का एक प्रतिनिधि मंडल सोनिया जी से मिलेगा और इस संबंध में पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री राम कृष्ण द्विवेदी के नाम से एक पत्र कांग्रेस अध्यक्ष को भेजा जा रहा है। सात अक्टूबर को उप्र कांग्रेस कमेटी का नया अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को बनाया गया था और कमेटी में व्यापक परिवर्तन करते हुये चार उपाध्यक्ष, 12 महासचिव, 24 सचिव बनाये गये थे। इससे पहले उप्र में कांग्रेस की जिम्मेदारी राजबब्बर संभाल रहे थे। इस बारे में जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष लल्लू से बात की गयी तो उन्होंने कहा, ''कांग्रेस एक संयुक्त परिवार की तरह है और परिवार में मतभेद होना स्वभाविक है, क्योंकि हमारे संगठन में लोकतंत्र है।''

Web Title: Congress issues show cause notices to 11 state party leaders for indulging in anti-party activities

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