मणिपुर में 12वीं की परीक्षा में भाजपा के चुनाव चिह्न, नेहरु को लेकर सवालों से भड़की कांग्रेस
By भाषा | Published: February 25, 2020 04:38 AM2020-02-25T04:38:04+5:302020-02-25T04:38:04+5:30
भाजपा ने सोमवार को कहा कि बोर्ड परीक्षा में राजनीति विज्ञान के प्रश्नपत्र में सवालों के चयन में उसकी कोई भूमिका नहीं है जो शनिवार को हुई थी और इस बारे में संबंधित प्राधिकारियों से पूछा जाना चाहिए। चार..चार अंकों वाले दो सवाल सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे।
मणिपुर में विपक्षी कांग्रेस ने राज्य बोर्ड की 12 वीं कक्षा की परीक्षा में पूछे गए सवालों पर तीखी प्रतिक्रिया जतायी है जिसमें छात्रों से सत्ताधारी भाजपा का चुनाव चिह्न बनाने और राष्ट्रनिर्माण में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के दृष्टिकोण की चार नकारात्मक बातों का विश्वलेषण करने को कहा गया था।
भाजपा ने सोमवार को कहा कि बोर्ड परीक्षा में राजनीति विज्ञान के प्रश्नपत्र में सवालों के चयन में उसकी कोई भूमिका नहीं है जो शनिवार को हुई थी और इस बारे में संबंधित प्राधिकारियों से पूछा जाना चाहिए। चार..चार अंकों वाले दो सवाल सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे।
इसमें छात्रों से भाजपा का चुनाव चिह्न बनाने और राष्ट्रनिर्माण में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के दृष्टिकोण की चार नकारात्मक बातों का विश्लेषण करने को कहा गया था। कांग्रेस नेता के. जॉयकिशन ने सवालों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए रविवार को कहा था कि विद्यार्थियों के मन में, ‘‘खास तरह की राजनीतिक मानसिकता’’ बिठाने के लिए परीक्षा के प्रश्नपत्रों में कुछ सवाल शामिल किए गए।’’ यद्यपि भाजपा प्रवक्ता चोंगथम बिजॉय ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘प्रश्नों के चयन से हमारा कोई लेना-देना नहीं है।
संबंधित अधिकारियों ने प्रश्न तैयार किए और इस बारे में उन्हीं से पूछा जाना चाहिए।’’ उच्च माध्यमिक शिक्षा परिषद् (स्कूल) के प्रमुख एल महेंद्र सिंह ने पीटीआई-भाषा से कहा, “इन प्रश्नों को परीक्षा नियंत्रक ने तैयार किया था और ‘पार्टी सिस्टम इन इंडिया’ पाठ से लिया गया था जो कि राजनीति विज्ञान पाठ्यक्रम का हिस्सा है।”
एक अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा कि पूर्व में भी इस तरह के प्रश्न पूछे गए हैं जैसे भाकपा का चुनाव चिह्न और संयुक्त राष्ट्र के लोगो का चित्र बनाने को कहा गया था। प्रदेश भाजपा महासचिव एन निंबुस सिंह ने कहा कि नेहरु को लेकर सवाल में कुछ भी गलत नहीं है। उन्होंने कहा कि चूंकि स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री ने राष्ट्रनिर्माण में एक भूमिका निभायी, उनके नेतृत्व में व्यवस्था में कुछ सकारात्मक के साथ ही कुछ नकारात्मक चीजें हो सकती हैं।