'कांग्रेस ने लोकतंत्र को किया कैद...', आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर पीएम मोदी ने इंदिरा सरकार पर साधा निशाना
By अंजली चौहान | Updated: June 25, 2025 10:33 IST2025-06-25T10:29:35+5:302025-06-25T10:33:59+5:30
Emergency 1975: प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि कोई भी भारतीय यह कभी नहीं भूलेगा कि किस तरह से “हमारे संविधान की भावना का उल्लंघन किया गया, संसद की आवाज को दबाया गया और अदालतों को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया”

'कांग्रेस ने लोकतंत्र को किया कैद...', आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर पीएम मोदी ने इंदिरा सरकार पर साधा निशाना
Emergency 1975: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इंदिरा गांधी सरकार के राज में लागू आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर बुधवार, 25 जून को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया। पीएम ने पोस्ट में लिखा, "कोई भी भारतीय यह कभी नहीं भूलेगा कि आपातकाल के दौरान संविधान की भावना का कैसे उल्लंघन किया गया।"
उन्होंने संवैधानिक सिद्धांतों को मजबूत करने की अपनी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कई पोस्ट कर मोदी ने कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र के इतिहास के सबसे अंधकारमय अध्याय में से एक है।
‘The Emergency Diaries’ chronicles my journey during the Emergency years. It brought back many memories from that time.
— Narendra Modi (@narendramodi) June 25, 2025
I call upon all those who remember those dark days of the Emergency or those whose families suffered during that time to share their experiences on social…
उन्होंने कहा कि आपातकाल में संविधान में निहित मूल्यों को दरकिनार कर दिया गया, मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया, प्रेस की स्वतंत्रता को दबा दिया गया और बड़ी संख्या में राजनीतिक दलों के नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों और आम नागरिकों को जेल में डाल दिया गया।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ऐसा लग रहा था जैसे उस समय सत्ता में बैठी कांग्रेस सरकार ने लोकतंत्र को बंधक बना लिया था।’’ मोदी सरकार ने पिछले साल घोषणा की थी कि आपातकाल की बरसी को ‘‘संविधान हत्या दिवस’’ के रूप में मनाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि 42वें संशोधन में संविधान में व्यापक परिवर्तन किए गए जो आपातकाल लगाने वाली कांग्रेस सरकार की चालों का एक प्रमुख उदाहरण है, जिसे जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने बाद में पलट दिया था। उन्होंने कहा कि गरीबों, हाशिए पर पड़े लोगों और दलितों को विशेष रूप से निशाना बनाया गया और उनकी गरिमा को ठेस पहुंचाई गई।
पीएम मोदी ने कहा, ‘‘हम अपने संविधान में निहित सिद्धांतों को मजबूत करने और विकसित भारत के अपने दृष्टिकोण को साकार करने के लिए मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराते हैं। हम प्रगति की नयी ऊंचाइयों को छूएं और गरीबों तथा दलितों के सपनों को पूरा करें।’’
आपातकाल के खिलाफ लड़ाई में डटे रहने वाले हर व्यक्ति को सलाम करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ये लोग पूरे भारत से, हर क्षेत्र से, हर विचारधारा से थे, जिन्होंने एक ही उद्देश्य से एक-दूसरे के साथ मिलकर काम किया और वह था: भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की रक्षा करना और उन आदर्शों को बनाए रखना जिनके लिए स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘यह उनका सामूहिक संघर्ष था जिसने यह सुनिश्चित किया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार लोकतंत्र बहाल करे। नए सिरे से चुनाव कराने पड़े, जिसमें वे (कांग्रेस पार्टी) बुरी तरह हार गए।’’
PM Narendra Modi tweets, "Today marks fifty years since one of the darkest chapters in India’s democratic history, the imposition of the Emergency. The people of India mark this day as Samvidhan Hatya Diwas. On this day, the values enshrined in the Indian Constitution were set… pic.twitter.com/uw43omZeAS
— ANI (@ANI) June 25, 2025
नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, "आज भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक, आपातकाल लागू होने के पचास साल पूरे हो गए हैं। भारत के लोग इस दिन को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाते हैं। इस दिन, भारतीय संविधान में निहित मूल्यों को दरकिनार कर दिया गया, मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया, प्रेस की स्वतंत्रता को खत्म कर दिया गया और कई राजनीतिक नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों और आम नागरिकों को जेल में डाल दिया गया। ऐसा लगा जैसे उस समय सत्ता में आई कांग्रेस सरकार ने लोकतंत्र को गिरफ्तार कर लिया था।"
बता दें कि पीएम मोदी सरकार ने पिछले साल घोषणा की थी कि आपातकाल की वर्षगांठ को "संविधान हत्या दिवस" के रूप में मनाया जाएगा।
इंदिरा गांधी सरकार ने 25 जून, 1975 को 'आंतरिक गड़बड़ी' का हवाला देते हुए आपातकाल की घोषणा की थी। यह 21 मार्च, 1977 तक जारी रहा, जिसके बाद नए चुनाव बुलाए गए। गांधी और कांग्रेस आपातकाल के बाद अपना पहला आम चुनाव हार गए और उनकी जगह जनता पार्टी गठबंधन ने ले ली, जिसमें भारतीय जनसंघ भी शामिल था, जो वर्तमान भाजपा का पूर्ववर्ती था।