राफेल पर कैग की रिपोर्ट को लेकर कांग्रेस का हल्ला बोल, रणदीप सुरजेवाला ने कहा- खुल रही है डील की क्रोनोलॉजी
By विनीत कुमार | Published: September 24, 2020 12:06 PM2020-09-24T12:06:41+5:302020-09-24T12:06:41+5:30
राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर कैग की रिपोर्ट को लेकर एक बार फिर राजनीति गर्मा गई है। कांग्रेस ने कैग की रिपोर्ट का हवाला देकर नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला है।
राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की एक रिपोर्ट के बाद कांग्रस ने बीजेपी और केंद्र सरकार पर हमला बोला है। दरअसल, कैग की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि समझौते के तहत दसॉल्ट एविएशन और यूरोप की मिसाइल निर्माता कंपनी एमबीडीए ने सौदे के तहत भारत को उच्च प्रौद्योगिकी की पेशकश के अपने ऑफसेट दायित्वों को पूरा नहीं किया है।
इसे लेकर कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने गुरुवार को ट्वीट किया। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी डिफेंस डील की क्रोनोलॉजी खुल रही है। उन्होंने लिखा, 'CAG रिपोर्ट ने स्वीकारा है कि राफेल ऑफसेट में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर अभी पूरा नहीं हुआ है। पहले मेक इन इंडिया अब मेक इन फ्रांस हो गया है और अब DRDP को टेक ट्रांसफर भी नहीं किया गया। इस पर भी मोदीजी कहेंगे – 'सब चंगा सी।'
Chronology of biggest Defense deal continues to unfold.
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) September 24, 2020
The new CAG report admits that ‘technology transfer’ shelved in #Rafale offsets.
1st, ‘Make in India’ became ‘Make in France’.
Now, DRDO dumped for tech transfer.
Modi ji will say-सब चंगा सी !https://t.co/5vUkRsuIa7
वहीं, पी चिंदबरम ने भी हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट किया, 'ऑफसेट दायित्वों को 23-9-2019 को शुरू होना चाहिए था और पहली वार्षिक प्रतिबद्धता 23-9-2020 तक पूरी होनी चाहिए थी, जो कि कल थी। क्या सरकार बताएगी कि वो दायित्व पूरा हुआ कि नहीं? क्या CAG ने 'जटिल समस्याओं का पिटारा' खोलने वाली रिपोर्ट दी है?'
चिदंबर ने आगे लिखा, 'CAG ने पाया कि राफेल विमान के विक्रेताओं ने ऑफसेट अनुबंध के तहत 'प्रौद्योगिकी हस्तांतरण' की पुष्टि नहीं की है।'
राफेल सौदे पर क्या है कैग की रिपोर्ट
कैग की रिपोर्ट बुधवार को सामने आई। कैग की संसद में पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि उसे विदेशी विक्रेताओं द्वारा भारतीय उद्योगों को उच्च प्रौद्योगिकी हस्तांतरित करने का एक भी मामला नहीं मिला है। दसॉ एविएशन राफेल जेट की विनिर्माता कंपनी है, जबकि एमबीडीए ने विमान के लिये मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति की है।
कैग ने कहा है, ‘36 मध्यम मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) से संबंधित ऑफसेट अनुबंध में विक्रेताओं ‘मैसर्स दसॉ एविएशन और मैसर्स एमबीडीए ने शुरुआत में डीआरडीओ को उच्च प्रौद्योगिकी प्रदान करके अपने ऑफसेट दायित्व के 30 प्रतिशत का निर्वहन करने का प्रस्ताव किया था।’
कैग के अनुसार, ‘डीआरडीओ लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के लिये इंजन (कावेरी) के स्वदेशी विकास में तकनीकी सहायता प्राप्त करना चाहता है। अब तक विक्रेताओं ने इस तकनीक के हस्तांतरण की पुष्टि नहीं की है।’
गौरतलब है राफेल विमान सौदे के तहत पांच विमान भारत आ चुके हैं और भारतीय वायुसेना में शामिल भी हो गए हैं। पूरी खेप 2021 के आखिर तक आने की उम्मीद है। राफेल सौदे पर पूर्व में भी कांग्रेस की ओर से भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जाते रहे हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने राफेल सौदे का मुद्दा खूब उछाला था।
(पीटीआई इनपुट)