चुनावी बॉन्ड में कथित घोटाले को लेकर कांग्रेस ने मोदी से मांगा जवाब, आरटीआई में हुआ खुलासा

By शीलेष शर्मा | Published: November 21, 2019 04:26 AM2019-11-21T04:26:25+5:302019-11-21T04:26:25+5:30

गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा  और रणदीप  सुरजेवाला ने सीधा आरोप लगाया कि सरकार द्वारा कॉरपोरेट टैक्स में सरकार ने जो छूट की घोषणा की वह इन चुनावी बॉन्डों का ही नतीजा था क्योंकि सरकार अपने चुनींदा उद्योगपतियों को इस हाथ दे रही थी और उस हाथ चुनावी बॉन्ड के जरिए ले रही थी. 

Congress asks Modi for alleged scam in electoral bond, revealed in RTI | चुनावी बॉन्ड में कथित घोटाले को लेकर कांग्रेस ने मोदी से मांगा जवाब, आरटीआई में हुआ खुलासा

आरबीआई के साथ-साथ चुनाव आयोग ने भी चुनावी बॉन्ड योजना पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई

Highlightsचुनावी बॉन्ड के कथित घोटाले को लेकर मोदी सरकार कटघरे में खड़ी हो गयी है.चुनावी बॉन्ड के जरिए विभिन्न औद्योगिक घरानों ने जो चंदा दिया उस कुल चंदे का 95 से 97 फीसदी रकम भाजपा के खाते में गई है.

चुनावी बॉन्ड के कथित घोटाले को लेकर मोदी सरकार कटघरे में खड़ी हो गयी है. चुनावी बॉन्ड को लेकर वित्त मंत्रालय सहित अन्य संस्थाओं ने जो सवाल खड़े किए है उससे चुनावी बॉन्ड में बड़े घोटाले की बू आने लगी है. आरटीआई से मिले जवाब के अनुसार चुनावी बॉन्ड के जरिए विभिन्न औद्योगिक घरानों ने जो चंदा दिया उस कुल चंदे का 95 से 97 फीसदी रकम भाजपा के खाते में गई है.

रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया ने चुनावी बॉन्ड को लेकर सबसे कड़ी आपत्ति दर्ज कराई उसने फाइलों पर लिखा कि आरबीआई को चुनावी बॉन्ड योजना पर ही आपत्ति है. क्योंकि इससे मनी लाउड्रिग को बढ़ावा मिलेगा  और यह इसे रोकने में सबसे बड़ा रोड़ा साबित होगा.

आरबीआई ने यह भी लिखा कि रिजर्व बैंक जो नोट जारी करती है उससे लोगों का भरोसा टूटेगा. साथ ही राजनीतिक दलों को उस चंदा देने वाले का नाम भी पता नहीं लग सकेगा. लेकिन 2017 में इन तर्को को सरकार द्वारा खारिज़ कर दिया गया. वित्तमंत्रालय ने आरबीआई के तर्को को सिरे से खारिज करते हुए इसे जारी रखने की बात कही.

आरबीआई के साथ-साथ चुनाव आयोग ने भी चुनावी बॉन्ड योजना पर अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि इससे काले धन को बढ़ावा मिलेगा साथ ही राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए चुनावी बॉन्ड के कारण फर्जी कंपनियों की बाढ़ खड़ी हो जाएगी. क्योंकि सरकार ने इस योजना के तहत 7.5 फीसदी शुद्ध लाभ की जो सीमा थी उसे समाप्त करने का प्रावधान किया है.

कांग्रेस ने आज इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरा और सीधे-सीधे आरोप लगाया कि अब तक के सबसे बड़े घोटाले में सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय का हाथ है क्योंकि इस योजना को लेकर जो भी दिशा-निर्देश जारी किये वो प्रधानमंत्री कार्यालय ने सीधे जारी किये. अपने आदेशों के पालन के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय ने रिजर्व बैंक और चुनाव आयोग पर दबाव डाला.

क्योंकि यह व्यवस्था लोकसभा चुनाव के लिए लाई गयी थी, लेकिन बाद में प्रधानमंत्री कार्यालय ने जोर जबरदस्ती कर कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनाव में भी जारी रखने का फरमान सुना दिया. जिस पर वित्तमंत्रालय के कुछ अधिकारियों ने कड़ी आपत्ति उठाई लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय ने उन आपत्तियों को दरकिनार किया तथा योजना को जारी रखने का हुकुम सुना दिया.

कांग्रेस ने पूछा कि आखिर प्रधानमंत्री मोदी और उनकी पार्टी भाजपा किन-किन औद्योगिक घरानों से पार्टी के लिए चंदा ले रहे थे, इसका संसद के दोनों सदनों में मोदी खुलासा करें. क्योंकि इस खुलासे के बाद ही यह पता चल सकेगा कि जिन चुनींदा औद्योगिक घरानों ने भाजपा को करोड़ों का चंदा दिया आखिर उसके बदले सरकार ने उन्हें क्या लाभ पहुंचाये.

गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा  और रणदीप  सुरजेवाला ने सीधा आरोप लगाया कि सरकार द्वारा कॉरपोरेट टैक्स में सरकार ने जो छूट की घोषणा की वह इन चुनावी बॉन्डों का ही नतीजा था क्योंकि सरकार अपने चुनींदा उद्योगपतियों को इस हाथ दे रही थी और उस हाथ चुनावी बॉन्ड के जरिए ले रही थी. 

Web Title: Congress asks Modi for alleged scam in electoral bond, revealed in RTI

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