पुलवामा के आरोपी को जमानत कैसी मिली, क्या है इसका राज मोदी सरकार हटाए पर्दा, कांग्रेस ने उठाए सवाल
By शीलेष शर्मा | Published: February 29, 2020 09:42 AM2020-02-29T09:42:31+5:302020-02-29T09:42:31+5:30
14 फरवरी 2019 को पुलवामा जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर करीब 2500 जवानों को लेकर 78 बसों में सीआरपीएफ की 76 वीं बटालियन का काफिला गुजर रहा था। सड़क की दूसरी तरफ से आकर जैश-ए- मोहम्मद के आतंकी की कार ने सीआरपीएफ जवानों के काफिले को टक्कर मारा। घटना में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे।
28 फरवरी जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी युसूफ चोपान को अदालत से जमानत दिए जाने को लेकर मोदी सरकार सवालों के घेरे में आ गई है. दरअसल यह आरोप एनआईए की भूमिका को लेकर उठ रहे हैं. क्योंकि एनआईए अदालत में युसूफ के खिलाफ एक साल बीत जाने के बाद भी आरोप पत्र दाखिल नहीं कर सकी. नतीजा नियमों के अनुसार आरोप पत्र दाखिल न होने पर इतने लंबे समय के बाद युसूफ को स्वभाविक तौर पर जमानत मिलनी तय थी. एनआईए ने आरोप पत्र क्यों दाखिल नहीं किया इसका कोई जवाब न तो सरकार के पास है और न एनआईए के पास. लेकिन अदालत में जो दलील दी गई उसके अनुसार एनआईए ने स्वीकार किया कि उसके पास युसूफ के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं.
जिसके अभाव में वह एक साल तक आरोप पत्र दाखिल नहीं कर सका. युसूफ का संबंध जैश-ए-मोहम्मद से होने की पुष्टि हो चुकी है. एनआईए यह जानते हुए कि युसूफ के तार जैश से जुडे हुए हैं फिर वह आरोप पत्र क्यों नहीं दाखिल कर सकी? गौरतलब है कि पुलवाम में आतंकी हमले के पीछे एनआईए पहले ही जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन का नाम ले चुकी है और सरकार ने भी जैश को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था. संसद में उठेगा मामला : दो मार्च से शुरू होने वाले संसद के सत्र में अब यह मुद्दा दिल्ली की हिंसा के साथ-साथ जोर-शोर से उठेगा.
कांग्रेस ने इस मुद्दे को उठाते हुए सरकार पर हमला बोला है. पार्टी के नेता और सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने सवालों की बौछार करते हुए सरकार से पूछा है कि वह यह साफ करे कि युसूफ चोपान जैश का सदस्य है या नहीं? सरकार बताए. पुलवामा और संसद में हुए हमले में जैश की भूमिका थी या नहीं यह भी साफ किया जाए. आखिर एक साल तक युसूफ के खिलाफ आरोप पत्र क्यों नहीं दाखिल किया गया? क्या पुलवामा की घटना देश के खिलाफ आतंकी हमले का मामला था या नहीं? दस्तावेज में न किसी का नाम, न किसी की मोहर : यह विवाद उस समय और तेज हो गया जब गत दिवस एनआईए की ओर से एक दस्तावेज जारी किया गया, जिस पर न तो किसी का नाम था, न किसी की मोहर, न किसी का पद, इस अज्ञात दस्तावेज को सरकारी संस्थाओं द्बारा प्रचारित और प्रसारित किया गया.
कांग्रेस ने पूछा है कि आखिर यह किसने किया? क्यों औपचारिक तौर पर इस दस्तावेज को जारी नहीं किया गया? यदि यह औपचारिक नहीं था तो सरकार ने इसका खंडन क्यों नहीं किया? सरकार यह भी साफ करे जो प्रथम सूचना रपट यूसुफ के खिलाफ दायर की गई है क्या उसमें पुलवामा का जिक्र है या नहीं. युसूफ को बचाने की कोशिश की जा रही :
सूत्र बताते हैं कि अदालत में दी गई एफआईआर की प्रति में युसूफ को पुलवामा की घटना से जोड़ते हुए मामला दर्ज किया गया है. लेकिन अब सरकार उसको छिपाने में लगी है. हालांकि कांग्रेस सीधे-सीधे तो नहीं पूछ रही लेकिन वह अपना शक जाहिर कर रही है कि कहीं पुलवामा की घटना एक सुनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा तो नहीं थी जिसके कारण युसूफ को बचाने की कोशिश की जा रही है.