संसद की स्थायी समितियों में नियुक्ति को लेकर भाजपा और कांग्रेस में घमासान
By शीलेष शर्मा | Published: September 14, 2019 08:58 PM2019-09-14T20:58:21+5:302019-09-14T20:58:21+5:30
हाल में हुई नियुक्तियों में लोकसभा की स्थायी समिति में सूचना प्रौद्योगिकी और राज्यसभा में गृह मंत्रालय की स्थायी समिति के अध्यक्ष का पद ही कांग्रेस को दिया गया है. जिसके तहत सूचना प्रौद्योगिकी में शशि थरूर और गृह मंत्रालय की समिति में आनंद शर्मा को अध्यक्ष नियुक्त किया गया है.
संसद की स्थायी समितियों में नियुक्तियों को लेकर भाजपा के नेतृत्व वाली मोदी सरकार और कांग्रेस के बीच तीखी जंग शुरू हो गई है. इस जंग की शुरुआत उस समय हुई जब सरकार ने महत्वपूर्ण मंत्रालयों की संसदीय समितियों से अध्यक्ष का पद कांग्रेस से छीन कर भाजपा नेताओं के नाम कर दिया.
उल्लेखनीय है कि हाल में हुई नियुक्तियों में लोकसभा की स्थायी समिति में सूचना प्रौद्योगिकी और राज्यसभा में गृह मंत्रालय की स्थायी समिति के अध्यक्ष का पद ही कांग्रेस को दिया गया है. जिसके तहत सूचना प्रौद्योगिकी में शशि थरूर और गृह मंत्रालय की समिति में आनंद शर्मा को अध्यक्ष नियुक्त किया गया है.
जबकि पिछले लोकसभा में कांग्रेस के पास वित्त, विदेश और रक्षा मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभाग थे. जिसमें वीरप्पा मोईली वित्त मंत्रालय की समिति और शशि थरूर विदेश मंत्रालय की स्थायी समिति के अध्यक्ष थे.
सरकार के इस फैसले से नाराज हो कर कांग्रेस के लोकसभा में नेता अधीर रंजन चौधरी ने संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी को आज एक कड़ा पत्र लिख डाला.
अधीररंजन चौधरी ने लोकमत से बातचीत करते हुए कहा कि उन्होंने अपने पत्र में सरकार के इस फैसले पर कड़ी आपत्ति उठाई है तथा सरकार को यह बता दिया है कि संख्याबल के आधार पर संसदीय लोकतंत्र नहीं चलता.
दरअसल सरकार की ओर से दलील दी जा रही है कि अब भाजपा और उसके सहयोगी दलों की सदस्य संख्या दोनों सदनों में पहले से कही अधिक बढ़ चुकी है अत: महत्वपूर्ण मंत्रालयों की स्थायी समिति के अध्यक्ष का पद कांग्रेस को नहीं दिया जा सकता.
अधीर रंजन ने सरकार की इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि पिछली लोकसभा की तुलना में कांग्रेस ने भी अपनी सदस्य संख्या में इजाफा किया है. अत: जो मंत्रालयों की स्थायी समिति का अध्यक्ष पद उस समय दिया गया था उसे वापस क्यों लिया जा रहा है.
कांग्रेस नेता ने पत्र लिखकर सरकार से अपने फैसले पर पुन:विचार करने को कहा है तथा यह भी चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने अपना फैसला नहीं बदला तो कांग्रेस संसद के अंदर उसका पुरजोर विरोध करेगी.
अधीर रंजन ने तर्क दिया कि क्योंकि कांग्रेस ने स्थायी समितियों में रहते हुए राफेल और डोकलाम जैसे मुद्दों को उठाया जो सरकार के लिए मुश्किल का कारण बने से चिढ़कर ही सरकार इन महत्वपूर्ण मंत्रालयों की स्थायी समिति का अध्यक्ष पद कांग्रेस से छिन रही है.