विक्रम विश्वविद्यालय मामला: एसओईटी की चार महिला अतिथि विद्वानों की शिकायत जांच में फर्जी निकली

By बृजेश परमार | Published: August 29, 2020 06:33 PM2020-08-29T18:33:57+5:302020-08-29T18:36:42+5:30

महिला अतिथि विद्वानों ने निदेशक डॉ. उमेश कुमार सिंह पर आरोप लगाए थे कि निदेशक ने उन्हें 4 फरवरी-2020 को संस्थान की स्टाफ मीटिंग में प्रताड़ित किया। जिस मीटिंग का हवाला, अतिथि विद्वानों ने दिया, उस मीटिंग में अन्य 5 और महिलाएँ एवं 15 से अधिक पुरुष अतिथि विद्वान एवं कर्मचारी भी मौजूद थे।

Complaint of four women guest scholars of SOET, found fake, untrue, baseless and fabricated in investigation | विक्रम विश्वविद्यालय मामला: एसओईटी की चार महिला अतिथि विद्वानों की शिकायत जांच में फर्जी निकली

विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा इस शिकायत की निष्पक्ष जांच हेतु एक जांच समिति गठित की गई थी।

Highlightsउज्जैन के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नालॉजी की चार महिला अतिथि विद्वानों की शिकायत एवं निदेशक डॉ. उमेश कुमार सिंह के ऊपर लगाए गए आरोप जांच मे असत्य, निराधार एवं मनगढ़ंत पाये गए। महिला अतिथि विद्वानों ने निदेशक डॉ. उमेश कुमार सिंह पर आरोप लगाए थे

उज्जैन: विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नालॉजी की चार महिला अतिथि विद्वानों की शिकायत एवं निदेशक डॉ. उमेश कुमार सिंह के ऊपर लगाए गए आरोप जांच मे असत्य, निराधार एवं मनगढ़ंत पाये गए। स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नालॉजी की चार महिला अतिथि विद्वान श्रीमती अमृता शुक्ला, श्रीमती नेहा सिंह, श्रीमती प्रतिभा सर्राफ एवं राशि चौरसिया ने शिकायत की थी। शिकायत की जानकारी लगने पर डॉ. सिंह ने कुलपति एवं कुलसचिव को अवगत कराया गया था कि 'अपनी अनुचित मांग की पूर्ति नहीं होने पर महिला अतिथि विद्वानों ने दुर्भावनावश एवं ब्लेकमेलिंग करने की नियत से झूठी शिकायत की है।

महिला अतिथि विद्वानों ने निदेशक डॉ. उमेश कुमार सिंह पर आरोप लगाए थे कि निदेशक ने उन्हें 4 फरवरी-2020 को संस्थान की स्टाफ मीटिंग में प्रताड़ित किया। जिस मीटिंग का हवाला, अतिथि विद्वानों ने दिया, उस मीटिंग में अन्य 5 और महिलाएँ एवं 15 से अधिक पुरुष अतिथि विद्वान एवं कर्मचारी भी मौजूद थे।

कथित घटना के बारे में शिक्षक संघ एवं कर्मचारी संघ के सदस्यों ने भी कुलपति को ज्ञापन देकर चिंता व्यक्त की थी कि ब्लेकमेलिंग की प्रवृत्ति एवं मानसिकता वाले अतिथि विद्वानों के इस प्रकार के कुत्सित एवं बदले की भावना से ग्रसित, निम्न-स्तरीय कृत्यों से संस्थानों एवं अध्ययनशालाओं में ईमानदारी से कार्य करवाना अत्यंत ही कठिन होने से ईमानदार एवं अनुशासनप्रिय शिक्षक एवं अधिकारी हतोत्साहित हो रहे हैं, अत: विश्वविद्यालय प्रशासन को इस घटना को गंभीरतापूर्वक लेना चाहिए एवं झूठी महिला अतिथि विद्वानों पर कठोर कार्यवाही करनी चाहिए।

विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा इस शिकायत की निष्पक्ष जांच हेतु एक जांच समिति गठित की गई थी। महिला अतिथि विद्वान आरोप लगाने के बाद जांच में सहयोग नहीं कर रही थी। कथन देने से भी इंकार कर रही थी एवं निरर्थक आपत्ति लगाकर जांच में विलंब कर रही थी। महिलाओं ने जांच हेतु गठित समिति पर ही आपत्ति लगा दी। महिला अतिथि विद्वानों की आपत्ति पर विश्वविद्यालय ने जांच समिति में सभी महिला सदस्यों को रखा, परंतु शिकायतकर्ता इस समिति के समक्ष भी उपस्थित नहीं हुई एवं पुन: आपत्ति लगा दी। विश्वविद्यालय ने शिकायतकर्ता महिलाओं की आपति पर पुन: नवीन समिति गठित की। परंतु, शिकायतकर्ता महिलाएँ सिर्फ आपत्ति एवं आरोप ही लगाती रही एवं कभी भी समिति के समक्ष उपस्थित नहीं हुई। महिला अतिथि विद्वानों का एकमात्र उद्देश्य द्वेषतापूर्वक डॉ. सिंह के ऊपर पुलिस कार्यवाही करवाकर प्रताड़ित करने का था। डॉ. सिंह पर दबाब बनाने के लिए इन अतिथि-विद्वानों ने माननीय न्यायालय (न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी) में भी अपना पक्ष रखकर निदेशक डॉ. सिंह के ऊपर प्रकरण दर्ज करने के लिए आवेदन दिया। परंतु, माननीय न्यायालय द्वारा भी महिलाओं का पक्ष सुनकर इनका आवेदन निरस्त/खारिज कर दिया गया था।

विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा गठित जांच समिति ने इस प्रकरण की जांच पूर्ण कर, जांच-प्रतिवेदन विश्वविद्यालय को प्रस्तुत किया। जांच प्रतिवेदन का भी निष्कर्ष है कि-
1. महिला अतिथि-विद्वानों ने डॉ. सिंह को फंसाने के इरादे से झूठी घटना को रचा। अतिथि विद्वानों द्वारा रचे गए इस षड्यंत्र के संबंध में डॉ. सिंह द्वारा अपने पक्ष में साक्ष्य के साथ स्पष्ट कर दिया गया है कि अतिथि-विद्वान, आपस में मिलीभगत कर झूठ बोल रहे हैं।
2. जांच में इस बात की पुष्टि होती है कि वास्तविक रूप में शिकायतकर्ताओं ने महिला पुलिस थाने में डॉ. सिंह को फंसाने एवं बदनाम करने के उद्देश्य से शिकायत की है, क्योंकि शिकायतकर्ता जो लाभ चाहते थे वह उन्हें नहीं मिल पाया था, अत: झूठी शिकायत दर्ज कराई।
3. जांच में यह निष्कर्ष है कि शिकायतकर्ताओं द्वारा, महिला पुलिस थाने में की गई शिकायत पूर्णत: फर्जी होकर डॉ. उमेश कुमार सिंह की छवि को धूमिल करने का प्रयास है।
4. अत:, जांच से यह निष्कर्ष निकलता है कि शिकायतकर्ता महिलाओं की शिकायत एवं डॉ. उमेश कुमार सिंह के ऊपर लगाए गए आरोप असत्य, निराधार एवं मनगढ़ंत है। अत:, शिकायतकर्ता महिलाओं की शिकायत खारिज किए जाने के योग्य है।
डॉ. सिंह के एडवोकेट शैलेन्द्र सिंह परिहार ने प्रकरण के बारे में बताया कि 4 फरवरी-2020 को मीटिंग में अतिथि विद्वान डॉ. सिंह पर वर्क-लोड बढ़ाने का दबाब बना रहे थे। अतिथि विद्वान बहस कर रहे थे कि निदेशक के कारण इनका 12 हजार रु. प्रतिमाह का आर्थिक नुकसान हो रहा है, अत:, अपनी अनुचित मांग की पूर्ति नहीं होने पर, महिला अतिथि-विद्वानों ने महिला थाने में झूठी शिकायत कर दी। कतिपय शिकायतकर्ताओं एवं इनके साथी में से अधिकांश के ऊपर झूठे शपथपत्र देने, नियम-विरुद्ध कार्य करने की शिकायतें भी प्राप्त हुई थी। अत:, अपनी अनुचित मांगों के पूर्ण नहीं होने पर एवं प्राप्त शिकायतों पर संभावित कार्यवाही के डर से सभी लोगों ने आपस में मिलकर/मिलीभगत कर निदेशक डॉ. सिंह को फंसाने का षड्यंत्र रचा, षड्यंत्र को अंजाम देने के इरादे से, अपने मौलिक अधिकारों का दुरुपयोग कर, बाहरी तत्वों से मिलकर, दबाब बनाने के इरादे से सरकारी कार्य मे हस्तक्षेप करवाकर दबाब बनवाया। जब इन लोगों का दबाब डाल कर कार्य नहीं हुआ तो इन लोगों ने 4 महिलाओं से महिला थाने में निदेशक की झूठी शिकायत कर दी।
जांच अधिकारी द्वारा जांच प्रतिवेदन में रेखांकित किया है कि घटना के समय उपस्थित स्वतंत्र साक्षियों के कथन एवं परिस्थितिजन साक्ष्य भी घटना के मनगढ़ंत एवं असत्य होने की पुष्टि करते हैं। जांच के दौरान, महत्वपूर्ण तथ्य यह भी देखने में आया है कि 4 शिकायतकर्ता महिला अतिथि विद्वानों के अलावा मीटिंग में उपस्थित अन्य सभी महिलाओं ने भी अपने कथन में शिकायतकर्ता 4 महिला अतिथि विद्वानों के आरोपों को असत्य एवं मनगढ़ंत बताया है।
जांच प्रतिवेदन में यह भी है उल्लेखित किया गया है कि जांच के दौरान संकलित तथ्य, रिकॉर्डिंग एवं परिस्थितियाँ भी यह दर्शाने के लिए पर्याप्त है कि वास्तविक रूप में शिकायतकर्ताओं द्वारा बताई गई कोई घटना घटित ही नहीं हुई। यह शिकायतकर्ता के स्वयं के दिमाग की उपज है, जो डॉ. सिंह के ऊपर अनावश्यक दबाव बनाने के उद्देश्य से प्रयोग में लायी गई। चूंकि निदेशक डॉ. सिंह द्वारा अतिथि-विद्वानों की अनुचित मांगे पूरी नहीं की गई, इसलिए बदले की दुर्भावना से एवं अनावश्यक दबाब बनाने के लिए झूठी घटना को रचा एवं डॉ. सिंह की झूठी शिकायत की गई है।
डॉ. सिंह के एडवोकेट श्री शैलेन्द्र सिंह परिहार ने बताया कि निदेशक डॉ. उमेश कुमार सिंह ने झूठी शिकायत करने वाली शिकायतकर्ता महिला अतिथि विद्वानों के विरुद्ध माननीय उच्च न्यायालय में एक याचिका भी दायर कर दी है, जिसमें शिकायतकर्ता महिला अतिथि विद्वानों को नोटिस भी जारी हो चुके हैं।
-वर्तमान में हमारे यहां कोई भी अतिथि विद्वान कार्यरत नहीं है। सत्र पूर्ण हो गया । नए सत्र के आदेश आने पर नियमानुसार रखेंगे।इन के बारे में सदन जो तय करेंगा वही करेंगे।चारों महिला अतिथि विद्वान पर विश्व विद्यालय कार्रवाई करेगा इस सवाल के जवाब में मुझे कोई टिप्पणी नहीं करना है।
 

Web Title: Complaint of four women guest scholars of SOET, found fake, untrue, baseless and fabricated in investigation

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