मुसलमान कभी जमीन का मोहताज नहीं रहा, कानून की नजर में बाबरी मस्जिद थी, है और कयामत तक रहेगी: मौलाना मदनी

By भाषा | Published: November 16, 2019 04:00 AM2019-11-16T04:00:55+5:302019-11-16T04:00:55+5:30

मदनी ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को ‘‘समझ से परे’’ बताते हुए कहा जमीयत ने एक समिति बनाई है जो तथ्यों और प्रमाणों के आधार पर निष्कर्ष निकालेगी कि इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर की जाए या नहीं।

committee will consider review petition on the decision SC on Ayodhya Verdict: Maulana Arshad Madni | मुसलमान कभी जमीन का मोहताज नहीं रहा, कानून की नजर में बाबरी मस्जिद थी, है और कयामत तक रहेगी: मौलाना मदनी

मुसलमान कभी जमीन का मोहताज नहीं रहा, कानून की नजर में बाबरी मस्जिद थी, है और कयामत तक रहेगी: मौलाना मदनी

Highlightsमुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ जमीन देने के न्यायालय के आदेश पर मदनी ने कहा, मुसलमान कभी जमीन का मोहताज नहीं रहा। मदनी ने कहा, कानून और न्याय की नजर में बाबरी मस्जिद थी, है और कयामत तक रहेगी।

 जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने शुक्रवार को कहा कि जमीयत ने एक समिति बनायी है जो तथ्यों के आधर पर यह तय करेगी कि अयोध्या मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के हाल के निर्णय पर पुनर्विचार के लिए याचिका दायर की जाये या नहीं। उच्चतम न्यायालय के हालिया फैसले की समीक्षा के लिए मौलाना अरशद मदनी की अध्यक्षता में शुक्रवार को जमीयत के केंद्रीय कार्यालय में आपात बैठक आयोजित की गई। इसके बाद जारी बयान में मदनी ने यह बात कही।

मदनी ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को ‘‘समझ से परे’’ बताते हुए कहा जमीयत ने एक समिति बनाई है जो तथ्यों और प्रमाणों के आधार पर निष्कर्ष निकालेगी कि इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर की जाए या नहीं।

मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ जमीन देने के न्यायालय के आदेश पर मदनी ने कहा, ‘‘मुसलमान कभी जमीन का मोहताज नहीं रहा। उन्होंने कहा कि ये जमीन सुन्नी वक्फ़ बोर्ड को दी जानी है और मेरी राय है कि बोर्ड को जमीन स्वीकार नहीं करनी चाहिए।’’

मदनी ने एक सवाल के जवाब में कहा, "बाबरी मस्जिद मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय अदालत में ले जाने की बात बेमानी है। उन्होंने कहा कि अदालत हमारी है, मुल्क हमारा है और हम उच्चतम न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं। हम जो भी कदम उठाएंगे, देश के संविधान और कानून के अनुसार उठाएंगे।"

मदनी ने कहा, ‘‘कानून और न्याय की नजर में बाबरी मस्जिद थी, है और कयामत तक रहेगी। फिर चाहे उसको कोई भी नाम या स्वरूप क्यों ना दे दिया जाए।’’ 

Web Title: committee will consider review petition on the decision SC on Ayodhya Verdict: Maulana Arshad Madni

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे