सहकारी बैंक घोटालाः कोर्ट ने कहा- अजित पवार, 70 अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करो, 1,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का आरोप

By भाषा | Published: August 22, 2019 08:48 PM2019-08-22T20:48:21+5:302019-08-22T20:48:21+5:30

पूर्व उप मुख्यमंत्री पवार के अलावा मामले के अन्य आरोपियों में राकांपा नेता जयंत पाटिल तथा राज्य के 34 जिलों के विभिन्न वरिष्ठ सहकारी बैंक अधिकारी शामिल हैं। आरोपियों की मिलीभगत से 2007 से 2011 के बीच एमएससीबी को कथित तौर पर करीब 1,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का आरोप है।

Co-operative bank scam: Court said- register FIR against Ajit Pawar, 70 others, charges of loss of Rs 1,000 crore | सहकारी बैंक घोटालाः कोर्ट ने कहा- अजित पवार, 70 अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करो, 1,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का आरोप

निरीक्षण रिपोर्ट के बावजूद मामले में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई।

Highlightsआरोपियों की मिलीभगत से 2007 से 2011 के बीच एमएससीबी को कथित तौर पर करीब 1,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का आरोप है।आरोपपत्र में पवार तथा बैंक के कई निदेशकों सहित अन्य आरोपियों को नुकसान के लिये जिम्मेदार ठहराया गया।

बंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को राकांपा नेता अजित पवार तथा 70 से अधिक अन्य लोगों के खिलाफ महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (एमएससीबी) घोटाला मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया।

अदालत ने कहा कि इन लोगों के खिलाफ मामले में प्रथम दृष्टया ‘‘विश्वसनीय साक्ष्य’’ हैं। न्यायमूर्ति एस सी धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति एस के शिन्दे ने ईओडब्ल्यू को अगले पांच दिन के भीतर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया।

पूर्व उप मुख्यमंत्री पवार के अलावा मामले के अन्य आरोपियों में राकांपा नेता जयंत पाटिल तथा राज्य के 34 जिलों के विभिन्न वरिष्ठ सहकारी बैंक अधिकारी शामिल हैं। आरोपियों की मिलीभगत से 2007 से 2011 के बीच एमएससीबी को कथित तौर पर करीब 1,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का आरोप है।

नाबार्ड (नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डवलपमेंट) ने इसका निरीक्षण किया और अर्द्ध-न्यायिक जांच आयोग ने महाराष्ट्र सहकारी सोसायटी अधिनियम (एमसीएस) के तहत एक आरोपपत्र दाखिल किया।

आरोपपत्र में पवार तथा बैंक के कई निदेशकों सहित अन्य आरोपियों को नुकसान के लिये जिम्मेदार ठहराया गया। इसमें कहा गया था कि उनके फैसलों, कार्रवाइयों और निष्क्रियता से बैंक को नुकसान हुआ। नाबार्ड की ऑडिट रिपोर्ट में चीनी फैक्टरियों तथा कताई मिलों को रिण वितरित किए जाने, कर्ज के पुनर्भुगतान में और ऐसे रिणों की वसूली में आरोपियों द्वारा कई बैंक कानूनों और आरबीआई के दिशानिर्देशों का उल्लंघन किए जाने की बात सामने आई।

तब पवार बैंक के निदेशक थे। निरीक्षण रिपोर्ट के बावजूद मामले में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई। स्थानीय कार्यकर्ता सुरिन्दर अरोड़ा ने 2015 में इस मामले को लेकर ईओडब्ल्यू में एक शिकायत दर्ज कराई और एक प्राथमिकी दर्ज करने की मांग को लेकर उच्च न्यायालय में गुहार लगाई।

बृहस्पतिवार को उच्च न्यायालय ने कहा कि नाबार्ड की रिपोर्ट, शिकायत और एमसीएस कानून के तहत दाखिल आरोप पत्र प्रथम दृष्टया बताते हैं कि मामले में आरोपियों के खिलाफ ‘‘विश्वसनीय साक्ष्य’’ हैं।

Web Title: Co-operative bank scam: Court said- register FIR against Ajit Pawar, 70 others, charges of loss of Rs 1,000 crore

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