आदिवासियों और वन अधिकारियों के बीच झड़प, कांग्रेस नेताओं ने की कार्रवाई की मांग

By भाषा | Published: July 13, 2019 08:25 PM2019-07-13T20:25:48+5:302019-07-13T20:25:48+5:30

Clashes between tribals and forest officials, Congress leaders demand action | आदिवासियों और वन अधिकारियों के बीच झड़प, कांग्रेस नेताओं ने की कार्रवाई की मांग

आदिवासियों और वन अधिकारियों के बीच झड़प, कांग्रेस नेताओं ने की कार्रवाई की मांग

कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले के एक गांव में अतिक्रमण हटाने के अभियान के दौरान वन अधिकारियों द्वारा आदिवासियों पर कथित तौर पर पैलेट गन का इस्तेमाल करने को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री कमलनाथ से संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की शनिवार को मांग की।

मालूम हो कि नौ जुलाई मंगलवार को बुरहानपुर जिले के सिवाल गांव में अतिक्रमण हटाने गये वन विभाग के अमले ने आदिवासी किसानों के खिलाफ कथित रुप से पैलेट गन का इस्तेमाल किया था। आदिवासी वर्ग से ताल्लूक रखने वाले कांग्रेस के विधायक हीरालाल अलावा ने शनिवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ को एक पत्र लिखकर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया। शनिवार को वरिष्ठ नेताओं दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ट्वीट करके इस घटना में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

हीरालाल अलावा के पत्र को टैग करते हुए दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया, ‘‘कमलनाथ जी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार की प्राथमिकता आदिवासी विकास और उनके अधिकारों का संरक्षण है। जो घटना हुई है वह मौजूदा शासन की घोषित नीति के विरुद्ध है, अत: निंदनीय है और शासन को दोषी अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करनी चाहिये।’’

दिग्विजय के ट्वीट के बाद सिंधिया ने अपने ट्वीट में इस मुद्दे पर कहा, ‘‘आदिवासी, जन-जातियों की प्रगति व कल्याण, मध्यप्रदेश सरकार की प्राथमिकता है। बुरहानपुर में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना निंदनीय है। मुख्यमंत्री से निवेदन करता हूं कि मामले की पारदर्शी और निष्पक्ष रूप में जांच हो और दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।’’ अपने पत्र में कुक्षी के कांग्रेस विधायक अलावा ने कहा कि इस घटना में चार आदिवासी किसान घायल हो गए।

पत्र में अलावा ने कहा कि वन अधिकार अधिनियम के अनुसार पीड़ित वन अधिकार के दावेदार हैं और 1988-89 के सबूत दावों में पेश किये हैं। एक ओर मप्र शासन ने वन अधिकार के लिये खारिज हुए और लंबित दावों के पुन: निरीक्षण की प्रक्रिया शुरु कर की है जिसके अंतर्गत एक मई 2019 को सभी कलेक्टरों को आदेशित भी किया है कि इस प्रक्रिया के पूरे होने तक किसी को बेदखल नहीं किया जाये, लेकिन दूसरी ओर वन विभाग का आतंक जारी है।

उन्होंने कहा कि कानून के अनुसार अगर वन अधिकार के पात्रता को लेकर किसी भी व्यक्ति या विभाग को आपत्ति हो तो वह ग्रामसभा के सामने आपत्ति या अपील पेश कर सकता है। लेकिन वन, राजस्व एवं पुलिस अधिकारियों ने कोई अपील करने के बजाय आदिवासियों बलपूर्वक हटाने का प्रयास किया। अलावा ने कहा कि पीड़ित वन अधिकार कानून के तहत जमीन के दावेदार थे।

इस बीच, बुरहानपुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) अजय सिंह ने शनिवार को पीटीआई से कहा कि घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए हैं और दोनों पक्षों... वन विभाग और ग्रामीणों... की शिकायतों पर प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। पुलिस अधिकारी ने कहा कि ग्रामीणों ने दावा किया कि वन विभाग का अमला उनकी जमीन पर वृक्षारोपण के लिये आया था। जबकि वन अधिकारियों ने कहा कि ग्रामीणों ने पथराव शुरू कर दिया। इसके बाद उन्हें आत्मरक्षा में बारह बोर की बंदूक का इस्तेमाल करना पड़ा। 

Web Title: Clashes between tribals and forest officials, Congress leaders demand action

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