WEF रिपोर्ट का दावा, अभी भी कार्यस्थल पर स्त्री-पुरुष में समानता आने में लगेंगे 200 से ज्यादा साल
By भाषा | Published: December 18, 2018 03:34 PM2018-12-18T15:34:56+5:302018-12-18T15:34:56+5:30
डब्ल्यूईएफ ने पाया कि मौजूदा समय में जिस दर से सुधार किये जा रहे हैं उस हिसाब से दुनिया भर के सभी क्षेत्रों में मौजूद स्त्री-पुरुष असमानता को अगले 108 सालों में दूर नहीं किया जा सकेगा।
महिलाएं लंबे समय से कार्यस्थल पर समान व्यवहार और वेतन की मांग कर रही हैं। हालांकि, स्त्री-पुरुष के बीच समानता के इस लक्ष्य को हासिल करने में अभी सदियां लगेंगी। एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) ने मंगलवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि 2017 के मुकाबले इस साल वेतन समानता के मोर्चे पर कुछ सुधार हुआ है।
हालांकि, उसने चेताया कि राजनीति में महिलाओं का घटता प्रतिनिधित्व और शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में असामनता के चलते यह सुधार धूमिल हो गये हैं।
डब्ल्यूईएफ ने पाया कि मौजूदा समय में जिस दर से सुधार किये जा रहे हैं उस हिसाब से दुनिया भर के सभी क्षेत्रों में मौजूद स्त्री-पुरुष असमानता को अगले 108 सालों में दूर नहीं किया जा सकेगा। जबकि कार्यस्थल पर असमानता को खत्म करने में 202 साल लगने की उम्मीद है। डब्ल्यूईएफ ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में 149 देशों में स्त्री-पुरुष के बीच चार क्षेत्रों में मौजूद असमानताओं का जिक्र किया है। ये क्षेत्र शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक अवसर और राजनीतिक सशक्तिकरण हैं।
मंच ने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य और राजनीतिक भागीदारी में पिछले वर्षों में सुधार हुआ था। हालांकि, इस साल इन तीनों क्षेत्रों में महिलाओं की स्थिति में गिरावट रही। सिर्फ आर्थिक अवसरों के क्षेत्र में स्त्री-पुरुष असामनता को कम करने में कुछ प्रयास किये गये हैं। हालांकि वैश्विक स्तर पर वेतन में अंतर मामूली कम होकर करीब 51 प्रतिशत है।
डब्ल्यूईएफ ने कहा कि वैश्विक स्तर पर नेतृत्व की भूमिका में महिलाओं की संख्या बढ़कर 34 प्रतिशत हो गयी है। रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि पश्चिमी यूरोपीय देश स्त्री-पुरुष असमानता को 61 वर्षों में पाट सकते है। पश्चिमी एशिया और उत्तरी अफ्रीका को इसमें 153 साल लगेंगे।
स्त्री पुरुष समानता के मामले में एक बार नॉर्डियक देश शीर्ष पर है। सबसे ज्यादा समानता आइसलैंड में है। उसके बाद नोर्वे, स्वीडन और फिनलैंड है। सर्वेक्षण में सीरिया, इराक, पाकिस्तान और अंत में यमन सबसे नीचे रहा।