आज था जस्टिस दीपक मिश्रा का लास्ट वर्किंग डे, कोर्ट में हुए भावुक, वकील गाने लगा गाना, रिटायरमेंट प्लान पर दिया ये जवाब
By भाषा | Published: October 1, 2018 08:25 PM2018-10-01T20:25:24+5:302018-10-01T20:25:24+5:30
जस्टिस दीपक मिश्रा 10 अक्टूबर 2011 को पदोन्नति प्राप्त कर सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे। 28 अगस्त 2017 को देश के प्रधान न्यायाधीश बने थे।
नयी दिल्ली, एक अक्तूबर: निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने सोमवार को अंतिम बार न्यायालय में तीन सदस्यीय पीठ की अध्यक्षता की और इस दौरान उनके साथ उनके उत्तराधिकारी न्यायमूर्ति रंजन गोगोई थे।
पिछले दस दिन में आधार, समलैंगिकता, विवाहेत्तर, कोरेगांव-भीमा हिंसा की जांच के दौरान पांच कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी और सबरीमला जैसे विषयों पर महत्वपूर्ण फैसले सुनाने वाली पीठों की अध्यक्षता करने वाले सीजेआई मिश्रा महज 25 मिनट तक चली अदालत की कार्यवाही के दौरान भावुक नजर आए।
इसी दौरान न्यायमूर्ति मिश्रा के दीर्घआयु की कामना करते हुये जब एक वकील गाना गाने लगा तो उन्होंने उसे रोक दिया । उन्होंने कहा कि वह दिल से बोल रहे हैं और शाम को अपने दिमाग से बोलेंगे।
हालांकि, प्रधान न्यायाधीश ने शाम को उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन द्वारा उनके सम्मान में आयोजित विदाई समारोह में कहा कि अब उन्होंने अपने दिमाग से बात नहीं करने का फैसला किया है और वह दिल से ही बात करेंगे।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के साथ न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, जो तीन अक्तूबर को प्रधान न्यायाधीश पद ग्रहण करेंगे, और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर आज पीठ में शामिल थे।
जस्टिस दीपक मिश्रा ने नया केस लेने से किया इनकार
पीठ ने सोमवार को कार्यवाही शुरू होते ही स्पष्ट किया कि वह तत्काल सुनवाई वाला कोई मामले नहीं लिया जायेगा और ऐसे मामलों की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष तीन अक्तूबर को हो सकेगी।
तभी अचानक, अधिवक्ता आरपी लूथरा ने वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह तथा अधिवक्ता प्रशांत भूषण के निवर्तमान सीजेआई के खिलाफ किए गए दो कथित विवादित ट्वीट का जिक्र किया। इनमें कोरेगांव-भीमा मामले समेत न्यायमूर्ति मिश्रा के हाल के फैसलों की आलोचना की गई थी।
अधिवक्ता ने कहा कि अदालत कथित विवादित ट्वीटों का संज्ञान ले। लेकिन इस पर पीठ ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
दिन में बाद में प्रधान न्यायाधीश ने शीर्ष अदालत परिसर में पत्रकारों से भी मुलाकात की परंतु न्यायपालिका के मुखिया के रूप में अपने अनुभवों सहित सारे सवालों को टाल गये।
रिटायरमेंट प्लान पर जस्टिस दीपक मिश्रा ने दिया ये जवाब
एक पत्रकार ने जब यह पूछा कि सेवानिवृत्त होने के बाद का उनकी क्या योजना है? प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ज्योतिषशास्त्र विज्ञान नहीं है, फिर भी लोग इसमें विश्वास करते हैं। मैं कोई ज्योतिषी नहीं हूं।’’
न्यायमूर्ति मिश्रा को 17 जनवरी 1996 को उड़ीसा उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। इसके बाद उनका मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में तबादला हो गया था। वह 19 दिसंबर 1997 को स्थायी न्यायाधीश बने थे।
उन्होंने 23 दिसंबर 2009 को पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का पदभार ग्रहण किया था। वह 24 मई 2010 को दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने थे।
न्यायमूर्ति 10 अक्टूबर 2011 को पदोन्नति प्राप्त कर शीर्ष अदालत में पहुंचे थे और 28 अगस्त 2017 को देश के प्रधान न्यायाधीश बने थे।