नागरिकता संशोधन विधेयक पर पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुला सकती है मोदी सरकार

By भाषा | Published: January 19, 2019 05:24 AM2019-01-19T05:24:21+5:302019-01-19T05:24:21+5:30

लोकसभा में यह विवादित विधेयक आठ जनवरी को पारित हुआ था। संसद के ऊपरी सदन में इस विधेयक को पारित कराने की कोशिश को लेकर असम और मिजोरम समेत पूर्वोत्तर राज्यों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। 

Citizenship bill: Centre likely to call Northeast CMs' meeting to resolve concerns | नागरिकता संशोधन विधेयक पर पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुला सकती है मोदी सरकार

नागरिकता संशोधन विधेयक पर पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुला सकती है मोदी सरकार

नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर जारी प्रदर्शनों के मद्देनजर केंद्र सरकार इससे जुड़ी चिंताओं पर बातचीत के लिए जल्द ही पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुला सकती है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह द्वारा यहां मिजोरम और मेघालय के मुख्यमंत्रियों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद इस संबंध में फैसला किया गया। 

लोकसभा में यह विवादित विधेयक आठ जनवरी को पारित हुआ था। संसद के ऊपरी सदन में इस विधेयक को पारित कराने की कोशिश को लेकर असम और मिजोरम समेत पूर्वोत्तर राज्यों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। 

उच्च पदस्थ सरकारी सूत्र ने बताया, ‘‘ बैठक में इस विधेयक पर गंभीरता से चर्चा हुई। केंद्र सरकार ने दोनों मुख्यमंत्रियों को आश्वासन दिया कि वह इस विधेयक पर आगे बढ़ने से पहले पूर्वोत्तर की चिंताओं पर गौर करेंगे।' 

सूत्र ने बताया, ‘‘ इस बात की ज्यादा संभावना है कि इस चिंता को दूर करने के लिए सभी पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक शीघ्र बुलाई जाए।' इस बैठक के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने कहा, ‘‘ अगर इस विधेयक को वापस लेने के लिए सकारात्मक कदम नहीं उठाया जाता है तो पूर्वोत्तर राज्यों को मजबूर होकर कदम उठाना होगा।' 

मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा ने कहा कि केंद्र सरकार को यह सूचना दी गई है कि सभी पूर्वोत्तर राज्य इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं और इसे प्रस्तावित ढंग से संशोधित नहीं किया जाना चाहिए।' 

नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 बांग्लादेश, पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के कारण भाग कर आए हिंदु, जैन, इसाई, सिख, बौद्ध एवं पारसियों को वैध दस्तावेज न होने की सूरत में भी भारत में छह साल के निवास के बाद भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान करता है। 

प्रस्तावित संशोधन मौजूदा कानून के तहत नागरिकता पाने के लिए ऐसे लोगों के भारत में 12 साल के निवास की अनिवार्यता को घटाता है।

Web Title: Citizenship bill: Centre likely to call Northeast CMs' meeting to resolve concerns

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