CAB पर बहस के बीच जानिए क्या है आर्टिकल-6, जो पाकिस्तान से पलायन करके आने वालों को देता है भारतीय नागरिकता का अधिकार
By अभिषेक पाण्डेय | Published: December 11, 2019 01:44 PM2019-12-11T13:44:22+5:302019-12-11T13:44:22+5:30
Article 6: नागरिकता संशोधन बिल को लेकर देश में जारी बहस के बीच जानिए क्या है संविधान का आर्टिकल 6 और क्यों है ये चर्चा में
नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर देश में जमकर हंगामा मचा है। इस विधेयक से 1955 के नागरिकता बिल में संशोधन करके पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होकर भारत आने वाले अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है।
इस बिल को लेकर जारी विवाद के बीच ये जानना जरूरी है कि संविधान में नागरिकता को लेकर क्या प्रावधान बनाए गए थे।
खासतौर पर संविधान के आर्टिकल 6 के बारे में जानना जरूरी, जो पाकिस्तान से पलायन करके भारत में बसने वालों को कुछ शर्तों के साथ भारतीय नागरिकता का अधिकार देता है।
संविधान के पार्ट II के आर्टिकल 5 से 11 तक नागरिकता के नियमों को स्पष्ट किया गया है। इनमें आर्टिकल-6 सीएबी को लेकर जारी बहस को लेकर महत्वपूर्ण है, जो आजादी से पहले पाकिस्तान से पलायन करके भारत में बसने वालों को नागरिकता का अधिकार देता है।
आइए जानें क्या कहते हैं आर्टिकल-6 के नियम
संविधान का आर्टिकल 6 संविधान लागू होने से पहले पाकिस्तान से पलायन करके भारत में बस जाने वाले नागरिकों को निम्न शर्तों के साथ भारत की नागरिकता का अधिकार देता है-
इसके मुताबिक, कोई भी ऐसा व्यक्ति जो अब पाकिस्तान में शामिल कर लिए गए क्षेत्र से पलायन करके भारतीय क्षेत्र में बस गया हो, उसे भारतीय संविधान के लागू होने पर निम्न शर्तों के साथ भारतीय नागरिक माना जाएगा, अगर-
a.वह व्यक्ति या उसके माता-पिता या उसके दादा-दादी या नाना-नामी में से किसी एक का जन्म भारत में ही हुआ हो, भारत सरकार अधिनियम, 1935 (मूल रूप से अधिनियमित); और
b.
(i) उस मामले में जहां ऐसा व्यक्ति 19 जुलाई, 1948 से पहले पलायन कर चुका है, वह
अपने प्रवास की तारीख के बाद से भारत के क्षेत्र का साधारणतया निवासी रहा है, या
(ii) उस मामले में जहां ऐसा व्यक्ति 19 जुलाई, 1948 को या उसके बाद विस्थापित हो गया हो, उसे सरकार के द्वारा निर्धारित तरीके से और इस संविधान के प्रारंभ से पहले भारतीय गणराज्य की सरकार द्वारा नियुक्त एक अधिकारी के सामने उसके द्वारा किए गए आवेदन के बाद, उसे ऐसे अधिकारी द्वारा भारत के नागरिक के रूप में पंजीकृत किया गया है।
बशर्ते कि कोई भी व्यक्ति तब तक पंजीकृत नहीं होगा, जब तक वह आवेदन की तारीख से कम से कम छह महीने पहले से भारत का निवासी न रहा हो।
वहीं मोदी सरकार द्वारा संसद में पेश नागरिकता संशोधन बिल में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होकर भारत आने वाले गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान है। विपक्षी दल इस बिल में मुस्लिमों को शामिल न करने को लेकर इसे धर्मनिरपेक्षता के सिद्धातों के खिलाफ बताते हुए इसका विरोध कर रहे हैं।