नागरिकता संशोधन विधेयकः शाह ने कहा- बेखौफ रहे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोग, भयभीत होने की जरूरत नहीं, भय का माहौल दूर करेंगे

By भाषा | Published: December 9, 2019 06:44 PM2019-12-09T18:44:51+5:302019-12-09T18:44:51+5:30

गृह मंत्री ने कहा कि मेघालय को छठी अनुसूची के तहत संरक्षण प्राप्त है और यह विधेयक छठी अनुसूची पर लागू नहीं होता है। उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश बंगाल फ्रंटियर नियमन अधिनियम के तहत है। बाद में भी यह कानून ही प्रदेश पर लागू होगा।

Citizenship Amendment Bill: Shah said - the people of North East region who are feeling fearless, do not need to be afraid, will remove the atmosphere of fear | नागरिकता संशोधन विधेयकः शाह ने कहा- बेखौफ रहे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोग, भयभीत होने की जरूरत नहीं, भय का माहौल दूर करेंगे

शाह ने इसके साथ ही कहा कि बंगाल और पूर्वोत्तर के लोगों तक यह बात पहुंचायी जानी चाहिए कि वे जिस तारीख से यहां आए हैं, उसी तारीख से नागरिकता के पात्र हैं।

Highlightsपूर्वोत्तर की सामाजिक, भाषाई विशिष्टता के संरक्षण को प्रतिबद्ध, मणिपुर को मिलेगा इन लाइन परमिट : शाह।उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में भी लोगों की चिंताओं का ध्यान रखा गया है।

पूर्वोत्तर क्षेत्र की सामाजिक एवं भाषाई विशिष्टता के संरक्षण की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि अब मणिपुर को भी इनर लाइन परमिट व्यवस्था में शामिल किया जायेगा।

नागरिकता संशोधन विधेयक को चर्चा एवं पारित होने के लिये लोकसभा में रखते हुए अमित शाह ने कहा, ‘‘ पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोगों के मन में भय का माहौल खड़ा करने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन किसी को भयभीत होने की जरूरत नहीं है।

इस विधेयक में हम पूर्वोत्तर के लोगों की सामाजिक एवं भाषाई विशिष्टता का संरक्षण कर रहे हैं। ’’ शाह ने कहा कि नगालैंड और मिजोरम इनर लाइन परमिट के माध्यम से संरक्षित हैं और आगे भी रहेंगे। ‘‘ मणिपुर के लोगों की भावनाओं को देखते हुए हम उन्हें भी इनर लाइन परमिट में शामिल कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि मणिपुर के लोग काफी समय से मांग कर रहे थे और अब उनकी मांग पूरी होने जा रही है। गौरतलब है कि पूर्वोत्तर में कुछ इलाकों में पहाड़ी क्षेत्रों में जाने के लिए मूल निवासियों को छोड़ बाहरी लोगों को इनर लाइन परमिट लेना पड़ता है।

गृह मंत्री ने कहा कि मेघालय को छठी अनुसूची के तहत संरक्षण प्राप्त है और यह विधेयक छठी अनुसूची पर लागू नहीं होता है। उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश बंगाल फ्रंटियर नियमन अधिनियम के तहत है। बाद में भी यह कानून ही प्रदेश पर लागू होगा। उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में भी लोगों की चिंताओं का ध्यान रखा गया है। उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक के दायरे से असम में स्वायत्त जिला परिषद को बाहर रखा गया है।

गृह मंत्री ने कांग्रेस के सदस्य गौरव गोगोई के बयान के जवाब में कहा, ‘‘ मैं पूछना चाहता हूं कि असम समझौते के इतने वर्षों बाद तक उसके प्रावधानों को लागू क्यों नहीं किया गया ? क्या एनआरसी लागू किया गया ?’’ उन्होंने कहा कि अब हम समस्याओं का समाधान निकाल रहे हैं, तब वे विरोध क्यों कर रहे हैं। हमारे प्रयासों के फलस्वरूप असम के छह समुदायों को लाभ होगा। शाह ने इसके साथ ही कहा कि बंगाल और पूर्वोत्तर के लोगों तक यह बात पहुंचायी जानी चाहिए कि वे जिस तारीख से यहां आए हैं, उसी तारीख से नागरिकता के पात्र हैं।

उन्होंने कहा कि इस विधेयक पर विभिन्न राजनीतिक दलों, मुख्यमंत्रियों एवं समूहों के साथ पिछले एक महीने में 119 घंटे तक चर्चा की गई और उनके सुझावों को इस विधेयक में शामिल किया गया है। शाह ने कहा कि मोदी सरकार के नेतृत्व में हम उन लोगों को अधिकार देने जा रहे हैं जिनकी सालों से इस बारे में मांग थी। उन्होंने कांग्रेस की ओर इशारा करते हुए कहा कि जो आज विधेयक का विरोध कर रहे हैं, उनकी सरकारों के समय पहले भी ऐसा होता रहा है।

शाह ने कहा कि 1947 के समय देश में सभी शरणार्थियों को स्वीकार किया गया। उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह और लालकृष्ण आडवाणी भी उसी श्रेणी में आते हैं। जो क्रमश: देश के प्रधानमंत्री और उप प्रधानमंत्री के पदों तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि इसके बाद भी कई बार ऐसा हुआ। तब किसी ने शरणार्थियों को नागरिकता दिये जाने का विरोध नहीं किया, हमने भी नहीं किया। शाह ने कहा कि हम समझते थे कि यातना सह रहे ऐसे लोग कहां जाएंगे। 

Web Title: Citizenship Amendment Bill: Shah said - the people of North East region who are feeling fearless, do not need to be afraid, will remove the atmosphere of fear

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