नागरिकता विधेयकः दिल्ली में रह रहे पाकिस्तानी हिंदुओं की बस्ती में मना जश्न, एक महिला ने अपनी बेटी का नाम रखा 'नागरिकता
By भाषा | Published: December 12, 2019 05:59 AM2019-12-12T05:59:38+5:302019-12-12T05:59:38+5:30
नागरिकता (संशोधन) विधेयक पर बुधवार को जब राज्यसभा में चर्चा चल रही थी उस समय दिल्ली में मौजूद पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी रेडियो से चिपके ध्यान से बहस सुन रहे थे जबकि कुछ फोन पर खबर देख रहे थे क्योंकि यह विधेयक भारत को आशियाना बनाने की उनकी इच्छा पर मुहर लगाने वाला था।
राज्यसभा से नागरिकता (संशोधन) विधेयक पारित होते ही दिल्ली के मजनू का टीला इलाके में वर्षों से रहे पाकिस्तानी हिंदुओं की बस्ती में उत्सव का माहौल हो गया। उन्होंने अपनी खुशी का इजहार पटाखें जलाकर, सीटी और ताली बजाकर किया। बच्चों ने अपनी खुशी तिरंगे के साथ पटाखे जलाकर प्रकट की और ‘‘भारत माता की जय’’ और ‘‘जय हिंद’’ के नारे लगाए। वहीं, बड़े बुजुर्गों ने एक दूसरे को बधाई दी और मिठाइयां बांटी। यहां रहने वाले एक परिवार ने संसद से विधेयक पारित होने के बाद अपनी बेटी का नाम ‘‘नागरिकता’’ रखा।
बेटी की दादी मीरा दास ने कहा कि बच्ची का जन्म सोमवार को हुआ था और परिवार ने उसका नाम ‘‘नागरिकता’’ रखने का फैसला किया जो राज्यसभा से अब पारित हो चुका है। मीरा ने भी लोकसभा में विधेयक के पारित होने की मन्नत मांगी थी और उस दिन उपवास रखा था। उन्होंने कहा, ‘‘ सुरक्षित पनाहगाह की तलाश में हम आठ साल पहले भारत आए थे। यह हमारा एकमात्र घर है लेकिन नागरिकता नहीं मिलने की वजह से हम दुखी थे। अब गर्व से कह सकते हैं कि हम भारतीय हैं और हम पक्षी की तरह उड़ सकते हैं।’’
Delhi: A Pakistani Hindu refugee woman living at Majnu ka Tila today named her two-day old daughter 'Nagarikta'. The woman said, "It is my earnest wish that the #CitizenshipAmendmentBill2019 Bill passes in Parliament". The Bill was passed in Parliament today. pic.twitter.com/JsT17rrSEz
— ANI (@ANI) December 11, 2019
नागरिकता (संशोधन) विधेयक पर बुधवार को जब राज्यसभा में चर्चा चल रही थी उस समय दिल्ली में मौजूद पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी रेडियो से चिपके ध्यान से बहस सुन रहे थे जबकि कुछ फोन पर खबर देख रहे थे क्योंकि यह विधेयक भारत को आशियाना बनाने की उनकी इच्छा पर मुहर लगाने वाला था। मजनू का टीला इलाके में टेंट, बिना प्लास्टर की दीवार और टिन की चादरों से बनी छत के नीचे गुजर बसर कर रहे 750 पाकिस्तानी हिंदू पड़ोसी देश से शरण की आस में आए थे। कई अन्य रोहिणी सेक्टर नौ एवं ग्यारह, आदर्श नगर और सिग्नेचर ब्रीज के आसपास रह रहे हैं।
पाकिस्तान से आए हिंदुओं में शामिल 42 वर्षीय सोना दास 2011 में सर्द रात में धार्मिक यात्रा के नाम पर 15 दिनों के वीजा पर कपड़े के झोले के साथ हैदराबाद पाकिस्तान से आए थे और उन्हें नहीं पता था कि उनके और परिवार का भविष्य क्या होगा। आठ साल में कई बार प्रदर्शन और अदालती मुकदमों के बाद दास पत्नी और नौ बच्चों के साथ रह रहे हैं और उनको उम्मीद है कि इस विधेयक से उनकी जिंदगी में स्थिरता आएगी।
दास कहते हैं, ‘‘हम चूल्हे पर खाना पकाते हैं और सौर ऊर्जा से चार्ज होने वाली बैटरी की मदद से घर में रोशनी करते हैं। केवल दो या तीन घरों में ही टेलीविजन है। नगर निगम ने पानी की व्यवस्था की है लेकिन सीवर की सुविधा नहीं है। सरकार हमारी नहीं सुनती क्योंकि हमारे पास मतदान का अधिकार नहीं है।’’
उल्लेखनीय है कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक में 31 दिसंबर 2014 तक भारत में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिमों को नागरिकता देने का प्रावधान है। यह विधायक सोमवार को लोकसभा से पारित हो चुका है। विधेयक के संसद के दोनों सदनों से पारित होने पर इन देशों से आए गैर मुस्लिमों के लिए भारत की नागरिकता पाने के लिए केवल पांच साल तक ही देश में रहने की अर्हता होगी जबकि पहले यह मियाद 11 साल थी।
इस विधेयक को लेकर देश के कई हिस्सों में विरोध हो रहा है विपक्षी नेता इसे अनैतिक बता रहे हैं लेकिन मजनू के टीले में माहौल एकदम अलग है। खिड़कियों से झांकती महिलाएं और घुमावदार सड़कों पर दौड़ते बच्चे खराब रास्तों के बावजूद मीडिया के लोगों के साथ पूरे इलाके में उत्साह के साथ नजर आए। वे मंदिर में प्रार्थना कर रहे हैं, ‘‘जय हिंद और ‘‘जय श्रीराम’’ के नारे लगा रहे हैं। वहां जमे कुछ लोग जिनमें में अधिकतर दैनिक कामगार हैं बुधवार को चर्चा कर रहे थे कि राज्यसभा में विधेयक पारित होने पर उनकी जिंदगी में क्या बदलाव आएगा। वर्ष 2013 में 484 पाकिस्तानी हिंदुओं के साथ आए धर्मवीर बागड़ी ने कहा, ‘‘अगर हमें नागरिकता मिली तो अंतत: मुश्किल के दिन खत्म हो जाएंगे ।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ गैर सरकारी संगठन बहुत दयालु हैं जो मूलभूत स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराते हैं। कुछ लोग हैं जो हमारे मुद्दे को उठाते हैं।’’ झोले में गर्म कपड़े और मिठाईयां लेकर आए दंपति भूपिंदर सरीन (45) और रीमा सरीन (43) ने उन दिनों को याद किया जब वे आठ साल पहले दिसंबर की कंपकपाती सर्दी में दास और अन्य पाकिस्तानी हिंदुओं से मिले थे। भूपिंदर ने बताया, ‘‘दिसंबर की रात थी, बारिश हो रही थी और इन लोगों के पास कोई ठौर ठिकाना नहीं था। वे पेड़ के नीचे कांप रहे थे। तभी वहां पर गुजरने के दौरान मेरी नजर उन पर पड़ी। मैंने अपने दोस्त को बुलाया और हमनें अलाव और खाने की व्यवस्था की। जो प्यार के रिश्ते की शुरुआत उस रात हुई वह दिनोदिन और मजबूत होती चली गई।’’
गत वर्षों में भूपिंदर ने यमुना किनारे रह रहे हिंदुओं की जरूरतों के बारे में विभिन्न मंत्रालयों, राजनेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और गैर सरकारी संगठनों को लिखा। रीमा ने बताया, कुछ गैर सरकारी संगठनों, विश्वविद्यालय छात्रों, सेवानिवृत्त शिक्षकों और अस्पताल कर्मी सामने आए और उनकी थोड़ी बेहतर जिंदगी के लिए मदद की।
नया पथ नामक गैर सरकारी संगठन के संजय गुप्ता ने बताया कि उनके संगठन ने पाकिस्तान से आए हिंदुओं के आधार कार्ड आवेदन, दीर्घकालिक वीजा, बैंक खाता और अन्य कानूनी मामलों में मदद की। पाकिस्तानी शरणार्थी रजनी बागड़ी(26) ने कहा भारतीय मतदाता पहचान पत्र से बहुत मदद मिलेगी जो उसके भारतीय नागरिक होने का सबूत है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सरकार से मांग है कि हमें नागरिकता दें और ठीक ढंग से पुनर्वास करे।’’ बागड़ी ने कहा, ‘‘सरकार की कई योजनाएं हैं जो हमारी पहुंच से दूर है। अगर हमें नागरिकता मिलती है तो राजनीतिक पार्टियां और सरकार हम पर ध्यान देंगी।’’