नागरिकता संशोधन बिल: विपक्षियों ने बीजेपी को घेरने के लिए बनाया आठ सूत्रीय एजेंडा
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 6, 2019 10:08 AM2019-12-06T10:08:16+5:302019-12-06T10:08:16+5:30
Citizenship Amendment Bill: विपक्ष ने नागरिकता संशोधन बिल पर बीजेपी को घेरने के लिए आठ सूत्रीय एजेंडा बनाया है
नई दिल्ली: विपक्ष के कड़े विरोध की परवाह नहीं करते हुए विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) विधेयक नौ दिसंबर को लोकसभा में पेश किए जाने की संभावना है। वहीं, अगले दिन इसे सदन में चर्चा और पारित कराए जाने के लिए लिया जा सकता है।
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने संसद भवन परिसर में विपक्ष के नेताओं के साथ बैठक कर नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर रणनीति पर चर्चा की।
बैठक में तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, सपा, आम आदमी पार्टी सहित 12 विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए। सूत्रों के अनुसार विपक्षी दलों की बैठक में नागरिकता विधेयक के मुद्दे पर भाजपा को घेरने के लिए आठ सूत्रीय एजेंडे पर सहमति बनी।
इस विधेयक का संसद के निचले सदन में पारित होना लगभग तय है कि क्योंकि वहां भाजपा और उसके सहयोगी दल के पास प्रचंड बहुमत है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को इस विधेयक को अपनी मंजूरी दी थी. यह विधेयक नागरिकता अधिनियम,1955 में संशोधन का प्रस्ताव करता है।
बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में धार्मिक अत्याचार के चलते भारत आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का इसमें प्रावधान किया गया है, भले ही उनके पास उपयुक्त दस्तावेज नहीं हों।
सरकार को विधेयक के राज्यसभा में पास होने की उम्मीद
केंद्र सरकार बीजद और टीआरएस जैसे क्षेत्रीय दलों के समर्थन से इस विधेयक के राज्यसभा में पारित होने के प्रति भी आश्वस्त है। इन पार्टियों ने अतीत में अक्सर ही सत्तारूढ़ दल का संसद में साथ दिया है। हालांकि, विधेयक का कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस जैसी (भाजपा की) सख्त विरोधी पार्टियों ने जोरदार विरोध करते हुए दावा किया है कि नागरिकता धर्म के आधार पर नहीं दी जा सकती।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सरकार ने गुरुवार को कार्य मंत्रणा समिति में विभिन्न दलों के नेताओं को सूचित किया कि वह मंगलवार को निचले सदन में इस विधेयक को चर्चा के लिए लाएगी।
सरकार की ओर से नागरिकता संशोधन विधेयक संसद में पेश किए जाने की तैयारी के बीच कांग्रेस ने इस मुद्दे पर रणनीति तय करने के लिए शुक्रवार को प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं के साथ बैठक की।
इस विधेयक को विभाजनकारी और भेदभावपूर्ण करार देने वाली कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया कि वह संसद में इसका विरोध करेगी।