नागरिकता संशोधन विधेयक पर लोकसभा में अमित शाह का जवाब, कहा- अब इस देश में एक भी घुसपैठिया नहीं बचेगा
By रामदीप मिश्रा | Published: December 9, 2019 10:54 PM2019-12-09T22:54:41+5:302019-12-10T00:11:51+5:30
नागरिकता संशोधन विधेयकः अमित शाह ने कहा कि इस देश का विभाजन धर्म के आधार पर न होता तो मुझे बिल लाने की जरूरत ही नहीं होती। सदन को ये स्वीकार करना होगा कि धर्म के आधार पर विभाजन हुआ है। जिस हिस्से में ज्यादा मुस्लिम रहते थे वो पाकिस्तान बना और दूसरा हिस्सा भारत बना।
लोकसभा में विपक्षी सदस्यों के भारी विरोध के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को नागरिकता संशोधन विधेयक पेश किया, जिसके बाद वह लोकसभा से आधी रात को पारित हो गया। इससे पहले लोकसभा में विधेयक को पेश किये जाने के लिए विपक्ष की मांग पर मतदान करवाया गया था और सदन ने 82 के मुकाबले 293 मतों से इस विधेयक को पेश करने की स्वीकृति दे दी। इस बीच विधेयक पर तीखी बहस हुई, जिसका अमित शाह ने देर रात सदन में जवाब दिया।
उन्होंने कहा कि मैंने पहले ही कहा कि ये बिल लाखों- करोड़ों शरणार्थियों को यातनापूर्ण जीवन से मुक्ति दिलाने का जरिया बनने जा रहा है। इस बिल के माध्यम से उन शरणार्थियों को नागरिकता देने का काम होगा। कई सदस्यों ने आर्टिकल-14 का हवाला देते हुए इसे असंवैधानिक करार दिया। मैं कहना चाहता हूं कि किसी भी तरह से ये बिल गैर संवैधानिक नहीं है। न ही ये आर्टिकल-14 का उल्लंघन करता है।
शाह ने कहा कि इस देश का विभाजन धर्म के आधार पर न होता तो मुझे बिल लाने की जरूरत ही नहीं होती। सदन को ये स्वीकार करना होगा कि धर्म के आधार पर विभाजन हुआ है। जिस हिस्से में ज्यादा मुस्लिम रहते थे वो पाकिस्तान बना और दूसरा हिस्सा भारत बना।
उन्होंने कहा कि नेहरू-लियाकत समझौते में भारत और पाकिस्तान ने अपने अल्पसंख्यकों का ध्यान रखने का करार किया लेकिन पाकिस्तान ने इस करार का पूरा पालन नहीं किया। 3 देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के संविधान में इस्लाम को राज्य धर्म बताया है। वहां अल्पसंख्यकों को न्याय मिलने की संभावना लगभग खत्म हो जाती है।1947 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 23% थी। 2011 में ये 3.7% पर आ गई।
गृहमंत्री ने कहा कि बांग्लादेश में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 22% थी जो 2011 में 7.8 % हो गई। आखिर कहां गए ये लोग। जो लोग विरोध करते हैं उन्हें में पूछना चाहता हूं कि अल्पसंख्यकों का क्या दोष है कि वो इस तरह क्षीण किए गये? 1951 में भारत में मुस्लिम 9.8 प्रतिशत थे। आज 14.23 प्रतिशत हैं, हमने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया। आगे भी किसी के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा। ये कानून किसी एक धर्म के लोगों के लिए नहीं लाया गया है। ये सभी प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के संरक्षण के लिए है। इसलिए इसमें आर्टिकल-14 का उल्लंघन नहीं होता।
उन्होंने कहा कि ये बिल आर्टिकल-14, आर्टिकल-21 और आर्टिकल-25 किसी का उल्लंघन नहीं करता है। ये संविधान के हिसाब से पूरी तरह ठीक है।
उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को अपने परिवार की बहन-बेटी को या अपने धर्म को बचाने के लिए यहां आना पड़े और हम अपनाए नहीं, ये गलती हम नहीं कर सकते। हम उन्हें जरूर स्वीकारेंगे, नागरिकता देंगे और पूरे विश्व के सामने उन्हें सम्मान भी देंगे। भारत ने किसी भी रिफ्यूजी पॉलिसी को स्वीकार नहीं किया है। पारसी भी प्रताड़ित होकर ईरान से भारत आए थे।
अमित शाह ने कहा कि पीओके भी हमारा है, उसके नागरिक भी हमारे हैं और आज भी हम जम्मू कश्मीर की विधानसभा में 24 सीट इनके लिए आरक्षित रखते हैं। जब भी नागरिकता के बारे में कोई हस्तक्षेप हुआ, वो किसी न किसी विशेष समस्या को सुलझाने के लिए हुआ। यूगांडा से जब लोग आए थे, तो केवल वहां से आए लोगों को ही नागरिकता दी गई, अन्य किसी देश से आए लोगों को नागरिकता नहीं दी गई थी।
उन्होंने कहा कि हमारी अल्पसंख्यकों की व्याख्या गलत नहीं है। ये पूरा विधेयक उन तीन देशों के अल्पसंख्यकों के लिए है। बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में जब इस्लाम राज धर्म है तो वहां मुस्लिम लोग अल्पसंख्यक नहीं होते हैं। रोहिंग्याओं को कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा। ये मैं आज फिर कह रहा हूं।
गृहमंत्री ने कहा कि अभिषेक बनर्जी ने आज अपने वक्तव्य में टैगोर, विवेकानंद और बंकिम बाबू का नाम लिया। लेकिन बंकिम बाबू के समय ऐसे बंगाल की कल्पना थी क्या कि दुर्गा पूजा के लिए कोर्ट में जाना पड़े? मैं इतना कहना चाहता हूं कि माइनॉरिटी में कोई डर की भावना नहीं है, अगर है तो भी मैं अपने सभी अल्पसंख्यक भाई बहनों को विश्वास दिलाता हूं कि मोदी जी के प्रधानमंत्री रहते हुए इस देश में किसी भी धर्म के नागरिक को डरने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा कि इतना कहना चाहता हूं कि माइनॉरिटी में कोई डर की भावना नहीं है, अगर है तो भी मैं अपने सभी अल्पसंख्यक भाई बहनों को विश्वास दिलाता हूं कि मोदी जी के प्रधानमंत्री रहते हुए इस देश में किसी भी धर्म के नागरिक को डरने की जरूरत नहीं है। अभिषेक बनर्जी ने कहा कि एनआरसी और सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल ट्रैप है। लेकिन इसमें कोई ट्रैप नहीं है। उन लोगों को ये ट्रैप जरूर लग सकता है जो वोटबैंक के लिए घुसपैठियों का संरक्षण करते हैं। लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे।
उन्होंने कहा कि बंगाल के सभी सांसदों से कहना चाहता हूं कि लाखों लोगों को जो नागरिकता मिलने वाली है वो सारे बंगाली शरणार्थी है, क्या आप नहीं चाहते कि बंगाली हिन्दू, बौद्ध, सिख और ईसाई शरणार्थियों को नागरिकता मिले? इस सदन को फिर से आश्वस्त करना चाहता हूं कि जब हम NRC लेकर आएंगे, एक भी घुसपैठिया इस देश के अंदर बच नहीं पायेगा। जनता को कहना चाहता हूं कि कांग्रेस ऐसी बिन साम्प्रदायिक पार्टी है, जिसकी केरल में मुस्लिम लीग सहयोगी है और महाराष्ट्र में शिवसेना सहयोगी है।
अमित शाह ने कहा कि किसी पंजाबी, बिहारी, मारवाड़ी, ओडिशा के लोग या किसी भी निवासी को घुसपैठिया नहीं करार दिया जाएगा। भारत के मूल निवासियों का यहां रहने का मूल अधिकार है, किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है। पूरी गंभीरता के साथ देश की जनता को विश्वास दिलाता हूं कि जब तक नरेन्द्र मोदी जी प्रधानमंत्री हैं तब तक भारत का संविधान ही हमारा धर्म है। 2014 की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में 1 हजार लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया। UNHRC की रिपोर्ट के अनुसार अब दूसरे धर्मों के मात्र 20 धार्मिक स्थान ही पाकिस्तान में बचे हैं।
उन्होंने कहा कि बंगबंधु शेख मुजीब उर्र रहमान की हत्या के बाद बांलादेश में जो अत्याचार का दौर चालू हुआ, उसने वहां की धार्मिक लघुमतियों की रीड की हड्डी ही तोड़ दी, भोला में एक सुनियोजित हमले में 200 अल्पसंख्यक महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया। इन देशों में ढेर सारे मंदिर तोड़े गए।अफगानिस्तान में 1992 तक करीब 2 लाख हिंदू और सिख थे और 2018 तक वो सिर्फ 500 रह गए। पूरे देश ने देखा था कि धार्मिक स्थलों को तोड़ा गया। भगवान बुद्ध की भव्य प्रतिमा को तोप के गोले दागकर तोड़ा गया। ऐसे में कहां जाते ये अल्पसंख्यक। इस सदन के माध्यम से पूरे देश के सामने स्पष्ट करना चाहता हूं कि घुसपैठिये और शरणार्थी में मौलिक अंतर हैं।
उन्होंने कहा कि जो धार्मिक प्रताड़ना के आधार पर अपने परिवार की सुरक्षा के लिए, अपने धर्म की रक्षा के लिए यहां आता है, वो शरणार्थी है और जो बिना परमिशन के घुस कर आता है वो घुसपैठिया है।