नागरिकता विधेयक पर पूर्वोत्तर राज्यों में विरोध के बीच टीवी चैनलों के लिए सरकार ने जारी की एडवायजरी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 12, 2019 09:35 AM2019-12-12T09:35:02+5:302019-12-12T09:36:14+5:30
सरकार की ओर से ये एडवायजरी सरकार की ओर से बुधवार को उस समय जारी की गई जब राज्य सभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान असम सहित कई पूर्वोत्तर राज्यों में भारी विरोध प्रदर्शन हो रहे थे।
तृणमूल कांग्रेस नेता और राज्य सभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने प्राइवेट टीवी चैनलों को एडवायजरी जारी किये जाने को लेकर सदन में जीरो आवर नोटिस दिया है। इस एडवायजरी को सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से जारी किये गये हैं। इस एडवायजरी में कहा गया है कि प्राइवेट टीवी चैनल हिंसा को भड़काने वाले और जो कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा करें, वैसे कंटेट दिखाने से बचें।
ये एडवायजरी सरकार की ओर से बुधवार को उस समय जारी की गई जब राज्य सभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान असम सहित कई पूर्वोत्तर राज्यों में भारी विरोध प्रदर्शन हो रहे थे। कई जगहों पर आगजनी भी हुई और पुलिस को बल का प्रयोग करना पड़ा। असम में व्यापक असर देखा गया और करीब 10 जिलों में 24 घंटे के लिए मोबाइल इंटरनेट बंद किया गया है। साथ ही गुवाहाटी में कर्फ्यू भी लगाया गया है।
Derek O'Brien, TMC Parliamentary Party Leader in Rajya Sabha, has given zero-hour notice in Rajya Sabha, over 'I&B advisories to TV channels' pic.twitter.com/EQ73lhRIdL
— ANI (@ANI) December 12, 2019
बहरहाल, सरकार की ओर से जारी एडवायजरी में हिंसा को भड़काने वाले कंटेंट नहीं दिखाने से लेकर 'देश-विरोधी नजरिये और ऐसा कुछ भी जो देश की अखंडता को प्रभावित करता हो' से बचने की सलाह दी गई है। एडवायजरी में कहा गया है, सभी प्राइवेट टीवी चैनल से गुजारिश है कि वे बताई गई बातों को सख्त तरीके से पालन करें।
राज्य सभा में पारित हुआ नागरिकता विधेयक
नागरिकता संशोधन विधेयक बुधवार को राज्य सभा में पारित हुआ। ये विधेयक इसी हफ्ते लोकसभा में पास हुआ था। नागरिकता संशोधन विधेयक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थी - हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है। इस विधेयक के खिलाफ सबसे अधिक विरोध पूर्वोत्तर राज्यों में हो रहे हैं जहां कई लोग बांग्लादेश से आने वाले शरणार्थियों को लकर संशकित हैं।