नागरिकता संशोधन विधेयकः जब युगांडा से चुन-चुन कर खदेड़े गए लोगों को मिली भारत की शरण

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 11, 2019 03:06 PM2019-12-11T15:06:22+5:302019-12-11T15:06:22+5:30

कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने अपने भाषण में 1972 के जिस युगांडा संकट का जिक्र किया है, आइए उसके बारे में थोड़ा विस्तार से जानते हैं।

Citizenship Amendment Bill Debate: Expulsion of Asians from Uganda in 1972 | नागरिकता संशोधन विधेयकः जब युगांडा से चुन-चुन कर खदेड़े गए लोगों को मिली भारत की शरण

नागरिकता संशोधन विधेयकः जब युगांडा से चुन-चुन कर खदेड़े गए लोगों को मिली भारत की शरण

Highlightsआनंद शर्मा ने कहा कि अभी तक 9 संशोधन आए हैं जिसके तहत गोवा, दमन-दीव, पुड्डूचेरी, युंगाडा, श्रीलंका, केन्या से आए लोगों को भारत की नागरिकता दी गई। भारत ने सदियों से लोगों को शरण दी है। यहूदी-पारसी-ईसाई सभी को भारत ने शरण दी थी।

नागरिकता संशोधन विधेयक बुधवार को राज्यसभा में भी पेश कर दिया गया है। इस विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि अभी तक 9 संशोधन आए हैं जिसके तहत गोवा, दमन-दीव, पुड्डूचेरी, युंगाडा, श्रीलंका, केन्या से आए लोगों को भारत की नागरिकता दी गई। उन्होंने कहा भारत ने सदियों से लोगों को शरण दी है। यहूदी-पारसी-ईसाई सभी को भारत ने शरण दी थी। लेकिन यह विधेयक संविधान की परीक्षा में फेल होता है। आनंद शर्मा ने अपने भाषण में 1972 के जिस युगांडा संकट का जिक्र किया है, आइए उसके बारे में थोड़ा विस्तार से जानते हैं।

ईदी अमीन ने किया 'आर्थिक युद्ध' का ऐलान

अफ्रीकी देश युगांडा में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग रहते हैं। इनमें अधिकांश गुजराती हैं। ये यहां पर मुख्यतः व्यवसाय करते हैं। यह 1972 का दौर था जब तत्कालीन शासक ईदी अमीन  ने 'आर्थिक युद्ध' का ऐलान कर दिया। इसके तहत युगांडा में मौजूद एशियाई और यूरोपीय लोगों की संपत्तियों को जब्त करना शुरू कर दिया।

80 हजार लोगों की नागरिकता का संकट

रिपोर्ट्स के मुताबिक उस वक्त युगांडा में एशियाई मूल के 80 हजार लोग रहते थे। ये ऐसे लोग थे जिनके पूर्वज अंग्रेजी हुकूमत के दौरान भारत छोड़कर युगांडा में बस गए थे। युगांडा में इनके बड़े-बड़े उद्योग थे। ईदी अमीन ने इनके खिलाफ अभियान चला दिया। अमीन ने कहा कि ये युगांडा के लिए वफादार नहीं हैं। भारतीय इन आरोपों से इनकार करते रहे।

रातों-रात युगांडा छोड़कर भागे हजारों लोग

ईदी अमीन के खौफ से रातों रात करीब 30 हजार लोगों ने युगांडा छोड़ दिया। वे ब्रिटेन, ऑस्ट्रिया, दक्षिण अफ्रीका, कनाडा, स्वीडन, फिजी और भारत आ गए। भारत आए लोगों में अधिकांश गुजराती थे। ईदी अमीन ने इन लोगों की संपत्तियां जब्त कर ली और इसे समर्थकों में बांट दिया। ईदी अमीन के फैसले की चौतरफा निंदा हुई। भारत ने युगांडा के साथ अपने राजनयिक रिश्ते तोड़ लिए थे। उस वक्त भारत में इंदिरा गांधी की सरकार थी।

1986 में हजारों गुजराती लौटे युगांडा

1986 में ईदी अमीन का तख्तापलट हो गया और योवेरी मुसेवेनी युगांडा के राष्ट्रपति बने। उन्होंने ईदी अमीन की नीतियों की कड़ी आलोचना की और गुजरातियों से वापस आने की अपील की। इस दौरान हजारों लोग वापस युगांडा लौटे और कारोबार संभाला।

Web Title: Citizenship Amendment Bill Debate: Expulsion of Asians from Uganda in 1972

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