नागरिक संशोधन बिल: राज्यसभा में 11 दिसंबर को किया जाएगा पेश, पूर्वोत्तर में हो रहा है भारी विरोध
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 10, 2019 10:41 AM2019-12-10T10:41:42+5:302019-12-10T10:41:42+5:30
बिल में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होकर भारत आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समेत छह धर्मों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है।
नागरिकता संशोधन बिल को बुधवार (11 दिसंबर) को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। लोकसभा से यह बिल पास हो चुका है। यह जानकारी समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से दी है। लोकसभा में बिल के पक्ष में 311 और विरोध में 80 वोट पड़े हैं।
Sources: Citizenship Amendment Bill 2019 to be tabled in Rajya Sabha tomorrow pic.twitter.com/nSARNY1RpU
— ANI (@ANI) December 10, 2019
राज्यसभा में होगा सरकार का असली इम्तिहान
एनडीए के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं है, लेकिन कुछ अन्य पार्टियों के समर्थन की बदौलत वह इसे राज्यसभा में भी पास कराने की उम्मीद कर रहा है।
राज्यसभा में क्या है एनडीए का गणित:
राज्यसभा में भले ही एनडीए के पास बहुमत न हो लेकिन उसका संख्याबल विपक्षी दलों से मजबूत है, और यही वजह है कि सरकार इस बिल को राज्यसभा में भी पास कराने को लेकर आत्मविश्वास से भरी नजर आ रही है। राज्यसभा में एनडीए के कुल 106 सांसद हैं। इनमें से अकेले भारतीय जनता पार्टी के ही 83 सांसद हैं। इसके अलावा इसमें शामिल दलों में जेडीयू के छह, शिरोमणि अकाली दल के 3 और अन्य दलों के 13 सांसद हैं।
राज्यसभा में यूपीए के पास है कितना समर्थन:
राज्यसभा में यूपीए के कुल 62 सांसद हैं, जिनमें से 46 तो अकेले कांग्रेस से हैं। वहीं आरजेडी और एनसीपी के चार-चार और डीएमके के 5 सांसद हैं, तीन सांसद अन्य सहयोगी दलों के हैं।
ये पार्टियां भी बिल के विरोध में:
वहीं राज्यसभा में ऐसी पार्टियां, जो न एनडीए और न ही यूपीए का हिस्सा हैं, में से ज्यादातर इस बिल के विरोध में नजर आ रही हैं। इनमें तृणमूल कांग्रेस के सर्वाधिक 13 सांसद, समाजवादी पार्टी के 9, तेलंगाना राष्ट्रवादी समिति के 6, सीपीएम के 5, बहुजन समाज पार्टी के 4, आम आदमी पार्टी के 3, पीडीपी के 2, सीपीआई और एचडी कुमारास्वामी की जेडीएस के 1-1 सांसद हैं। इन सभी दलों का आंकड़ा 44 बैठता है।
बिल का इन दलों ने भी किया है समर्थन:
वहीं कई ऐसे भी दल हैं जो एनडीए और यूपीए का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन इस बिल के समर्थन में हैं। इनमें तमिलनाडु की एआईएडीएमके के 13 सांसद, बीजू जनता दल के 7, आंध्र प्रदेश की वाईएसआर कांग्रेस के 2, तेलुगू देशम पार्टी के 2, और हाल ही में कांग्रेस, एनसीपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाने वाली शिवसेना के 3 सांसद भी शामिल हैं, जो इस बिल के समर्थन में हैं। इन दलों के सांसदों का आंकड़ा 28 तक पहुंचता है।
राज्यसभा में किसका पलड़ा भारी?
राज्यसभा में कुल 245 सीटें हैं, लेकिन वर्तमान में 5 सीटें खाली होने की वजह से मौजूदा स्ट्रेंथ 240 सदस्यों का है, जिससे बहुमत का आंकड़ा 121 का हो जाता है। ऊपर के गणित पर नजर डालें तो एनडीए के पास 106 सांसद हैं, जबकि अन्य दलों के 28 सांसदों का समर्थन मिलने पर ये आंकड़ा 134 तक पहुंच जाएगा, जो बहुमत के 121 के आंकड़े को आराम से पार कर जाएगा।
वहीं यूपीए के 62 सांसदों और इस बिल का विरोध कर रहे 44 सांसदों को मिलाकर भी आंकड़ा 106 तक ही पहुंचता है, जो एनडीए के आंकड़ों से कम है। ऐसे में विपक्ष के लिए सरकार को नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को राज्यसभा में पास कराने से रोकना मुश्किल साबित हो सकता है।