नागरिकता कानूनः बंगाल के राज्यपाल धनखड़ नाराज, मुख्य सचिव और डीजीपी बैठक में नहीं पहुंचे
By भाषा | Published: December 16, 2019 06:37 PM2019-12-16T18:37:18+5:302019-12-16T18:37:18+5:30
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने ट्वीट किया, ‘‘चकित हूं कि मेरे अनुरोध के बावजूद न तो मुख्य सचिव और न ही पुलिस महानिदेशक राज्य की वर्तमान स्थिति के बारे में मुझे बताने के लिए आये। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए यह बिल्कुल अस्वीकार्य है।’’
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने सोमवार को इस बात पर आश्चर्य प्रकट किया कि मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन से गुजर रहे राज्य की वर्तमान स्थिति के बारे में उन्हें बताने के लिए नहीं पहुंचे।
राज्यपाल ने कहा कि उनकी अनुपस्थिति ‘बिल्कुल अस्वीकार्य’ है। उन्होंने इन दोनों वरिष्ठ अधिकारियों को सोमवार सुबह राजभवन बुलाया था। धनखड़ ने ट्वीट किया, ‘‘चकित हूं कि मेरे अनुरोध के बावजूद न तो मुख्य सचिव और न ही पुलिस महानिदेशक राज्य की वर्तमान स्थिति के बारे में मुझे बताने के लिए आये। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए यह बिल्कुल अस्वीकार्य है।’’
पश्चिम बंगाल के कई हिस्से संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन के चलते लगातार तीसरे दिन हलकान रहे। विभिन्न जिलों से तोड़फाड़ और आगजनी की कई घटनाएं सामने आयी हैं।
West Bengal Governor Jagdeep Dhankhar has called Chief Minister Mamata Banerjee at Raj Bhawan in Kolkata tomorrow, to apprise him on the law & order situation in the state. (file pics) pic.twitter.com/waRYi7N9Xe
— ANI (@ANI) December 16, 2019
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने प. बंगाल सरकार से हिंसा पर उठाए गए कदमों पर रिपोर्ट तलब की
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ जारी हिंसक प्रदर्शनों के बीच सोमवार को पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था के संबंध में उठाए गए कदमों पर राज्य सरकार को रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
मुख्य न्यायाधीश टी बी एन राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति एच भट्टाचार्य की खंडपीठ ने हावड़ा के एक निवासी की ओर से दायर याचिका पर ये निर्देश दिए। हावड़ा में तोड़फोड़ और आगजनी की कई घटनाएं हुईं हैं। याचिकाकर्ता सुरजीत साहा ने सरकार को कानून व्यवस्था बनाये रखने का निर्देश देने का अनुरोध किया था जो कि राज्य का विषय है।
अदालत ने राज्य सरकार को 18 दिसंबर तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है जब मामले में अगली सुनवाई होनी है। राज्य सरकार के वकील ने अदालत में बताया कि प्रभावित जिलों से रिपोर्ट मंगवायी गयी है। याचिकाकर्ता ने रेलवे और निजी लोगों को मुआवजा दिये जाने का भी अनुरोध किया जो हिंसा से प्रभावित हुए हैं।