नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा में पास, देश के लिए कब-कब चुनौती बने बांग्लादेशी घुसपैठिए?

By विकास कुमार | Published: January 8, 2019 06:25 PM2019-01-08T18:25:21+5:302019-01-08T19:06:09+5:30

गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि बांग्लादेश की सरकार अपने देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है और यथासंभव कोशिश भी कर रही है लेकिन कुछ ऐसे तत्त्व मौजूद है जिनके कारण अल्पसंख्यकों को लगातार निशाने पर लिया जा रहा है.

Citizen Amendment bill passed, Bangladeshi infiltrator become challenge for country | नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा में पास, देश के लिए कब-कब चुनौती बने बांग्लादेशी घुसपैठिए?

नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा में पास, देश के लिए कब-कब चुनौती बने बांग्लादेशी घुसपैठिए?

लोकसभा में सिटीजन अमेंडमेंट बिल(2019) पास हो गया. देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने विपक्ष के तमाम सवालों का जवाब देते हुए कहा कि हमारी सरकार चाहती है कि हमारे पड़ोस में स्थित देशों के अल्पसंख्यक अपने देश में सुरक्षा की भावना को महसूस करते हुए एक खुशहाल जिंदगी व्यतीत करें, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि हम असम के लोगों के साथ हैं और उनकी हर चिंताओं का समाधान निकालेंगे.

उन्होंने ये भी कहा कि बांग्लादेश की सरकार अपने देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है और यथासंभव कोशिश भी कर रही है लेकिन कुछ ऐसे तत्त्व मौजूद है जिनके कारण अल्पसंख्यकों को लगातार निशाने पर लिया जा रहा है. 

केंद्र सरकार की इस बिल के अनुसार पड़ोसी देशों से आये हिन्दू, सिख और बौद्धों को भारत में नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो जायेगा. और इस बिल के मुताबिक बांग्लादेशी घुसपैठिए को देश छोड़कर जाना होगा. एक अनुमान के मुताबिक देश में इस वक्त 4 करोड़ घुसपैठिए मौजूद हैं. नरेन्द्र मोदी ने 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान असम में अपनी रैली के दौरान इन घुसपैठियों को बाहर निकालने की बात कही थी. 

1971 में पाकिस्तान की सेना पूर्वी पाकिस्तान में उठ रहे अलग बांग्लादेश की मांग को कुचलने के लिए बड़े पैमाने पर कत्लेआम शुरू करती है. जिसमें 30 लाख बंगालियों की निर्मम हत्या और 3 लाख महिलाओं के साथ बलात्कार किया जाता है. पाकिस्तानी सेना के पागलपन से बचने के लिए बड़ी संख्या में बंगाली भाषा बोलने वाले लोग भारत में शरण लेते हैं. एक अनुमान के मुताबिक उनकी संख्या 1 करोड़ के आसपास होती है. 

उस दौर में अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन की आलोचना के बावजूद देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने इन्हें शरणार्थी के रूप में जगह दिया. लेकिन बांग्लादेश की स्थापना के बाद भी इन शरणार्थियों ने भारत में ही डेरा जमाये रखा और कुछ वर्षों के बाद देश की राष्ट्रीय अखंडता के लिए चुनौती के रूप में उभरने लगे.

कब-कब बने चुनौती

2012 में असम के कोकराझार में वहां के स्थानीय बोडो आदिवासी और बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों के बीच जबरदस्त सांप्रदायिक झड़प के कारण 77 लोगों की मौत हो जाती है. इस घटना के बाद से ही असम में घुसपैठियों के प्रति अविश्वास का माहौल तैयार होता है और इस मुद्दे का बहुत तेज़ी से राजनीतिकरण होता है.

इसी साल रोहिंग्या मुसलमानों और कोकराझार के दंगों में मरने वाले मुसलमानों को लेकर मुंबई के आज़ाद मैदान में बांग्लादेशी मुसलमानों के द्वारा एक रैली का आयोजन किया जाता है जिसमें बांग्लादेशी मुसलमानों की हिंसक भीड़ पुलिस कर्मचारियों को दौड़ा- दौड़ा कर मारती है. 

महिला सिपाहियों के साथ बदसलूकी की जाती है और करोड़ों रुपये की सरकारी सम्पति को नुकसान पहुँचाया जाता है. इस बीच बंगाल और असम में कई बांग्लादेशी घुसपैठियों के तार प्रतिबंधित इस्लामिक संगठन 'हूजी' से जुड़े होने के मामले सामने आते हैं. इस्लामिक स्टेट ने भी भारत में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए घुसपैठियों को अपने एजेंडे में शामिल होने का न्योता दिया था.

हिन्दुस्तान सरकार के बॉर्डर मैनेजमेंट टास्क फोर्स की वर्ष 2000 की रिपोर्ट के अनुसार 1.5 करोड़ बांग्लादेशी घुसपैठ कर चुके हैं और लगभग तीन लाख प्रतिवर्ष घुसपैठ कर रहे हैं। हाल के अनुमान के मुताबिक देश में 4 करोड़ घुसपैठिये मौजूद हैं. पश्चिम बंगाल में वामपंथियों की सरकार ने वोटबैंक की राजनीति को साधने के लिए घुसपैठ की समस्या को विकराल रूप देने का काम किया.

 तीन दशकों तक राज्य की राजनीति को चलाने वालों ने अपनी व्यक्तिगत राजनीतिक महत्वाकांक्षा के कारण देश और राज्य को बारूद की ढेर पर बैठने को मजबूर कर दिया. उसके बाद राज्य की सत्ता में वापसी करने वाली ममता बनर्जी बांग्लादेशी घुसपैठियों के दम पर जिहादी दीदी का तमगा लेकर मुस्लिम वोटबैंक की सबसे बड़ी धुरंधर बन गईं.

नरेन्द्र मोदी ने किया था वादा 

हाल के दिनों में बंगाल के कई इलाकों में हिन्दुओं के ऊपर होने वाले सांप्रदायिक हमलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों का ही हांथ रहा है. 2014 में पश्चिम बंगाल के सीरमपुर में नरेंद्र मोदी ने कहा था कि चुनाव के नतीजे आने के साथ ही बांग्लादेशी ‘घुसपैठियों’ को बोरिया-बिस्तर समेट लेना चाहिए.

2016 में असम में भाजपा की सरकार आने के बाद राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में अपडेट किया जा रहा है. लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार हिंदुत्व के मोर्चे पर किये गए अपने वादों का संज्ञान लेना चाहती है.

1991 में असम में मुस्लिम जनसंख्या 28.42% थी जो 2001 के जनगणना के अनुसार बढ़ कर 30.92% प्रतिशत हो गई और 2011 की जनगणना में यह बढ़कर 35% को पार कर गयी. बांग्लादेशी मुस्लिमों की एक बड़ी आबादी ने देश के कई राज्यों में जनसंख्या असंतुलन को बढ़ाने का काम किया है जिसके कारण देश में कई अप्रिय घटनाएं घटित हुई हैं. इसलिए इस समस्या का तुरंत निष्पादन जरूरी है.

Web Title: Citizen Amendment bill passed, Bangladeshi infiltrator become challenge for country

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