एमपी और राजस्थान में तो राहुल को दो में से एक को चुनना था, छत्तीसगढ़ में है सीएम पद के 6 दावेदार

By जनार्दन पाण्डेय | Published: December 14, 2018 04:20 PM2018-12-14T16:20:33+5:302018-12-14T16:20:33+5:30

सीएम चुनने के प्रॉसेसे में सभी कवायदें पूरी हो चुकी हैं, अब गेंद पूरी तरह से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को थमा दी गई है। ऐसे में उनके सामने कई तरह की चुनौतियां आ रही हैं। एमपी और राजस्‍थान में यह चुनौतियां फिर भी थोड़ी आसान थीं कि क्योंकि दोनों ही राज्यों में सीएम पद के लिए दो-दो दावेदार थे। लेकिन यह चुनौती छत्तीसगढ़ में बड़ी है।

Choosing CM in Chhattisgarh is not easy for Rahul Gandhi, six claimant are there | एमपी और राजस्थान में तो राहुल को दो में से एक को चुनना था, छत्तीसगढ़ में है सीएम पद के 6 दावेदार

फाइल फोटो

11 दिसंबर को मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्‍थान में चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस मुख्यमंत्री चुनने के धर्म संकट में फंसी हुई है। दो दिनों तक चले हाईवोल्टेज ड्रामा के बाद गुरुवार को आधी रात को मध्यप्रदेश के सीएम के लिए कमलनाथ का नाम तय हुआ। राजस्‍थान में अशोक गहलोत को सीएम और सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाया। लेकिन छत्तीसगढ़ में अब भी सीएम कुर्सी का उम्मीदवार तय नहीं हो पाया है।

सीएम चुनने के प्रॉसेसे में सभी कवायदें पूरी हो चुकी हैं, अब गेंद पूरी तरह से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को थमा दी गई है। ऐसे में उनके सामने कई तरह की चुनौतियां आ रही हैं। एमपी और राजस्‍थान में यह चुनौतियां फिर भी थोड़ी आसान थीं कि क्योंकि दोनों ही राज्यों में सीएम पद के लिए दो-दो दावेदार थे। लेकिन यह चुनौती छत्तीसगढ़ में बड़ी है।

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने बीजेपी का सूपड़ा साफ कर दिया था। कुल 90 सीटों में कांग्रेस ने यहां 68 सीटें जीतीं। 11 दिसंबर को दोपहर तक ही यहां कांग्रेस की जीत पक्की हो गई थी। इसके बाद सीएम चुनने के लिए वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को पर्यवेक्षक के तौर भेजा गया। लेकिन वे किसी अंतिम नतीजे पर नहीं पहुंच पाए। चुनौती इन छह दावेदारों में से किसी एक को चुनने की-

कौन बनेगा छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री?

छत्तीसगढ़ के सीएम पद के दावेदार नंबर एक- टीएस सिंहदेव

सरगुजा के राजपरिवार के सदस्य टीएस सिंहदेव छत्तीसगढ़ में नेता प्रतिपक्ष हैं। वे  ठाकुर (सामान्य) जाति आते हैं। वे अंबिकापुर में 39,624 वोटों से जीत दर्ज कर तीसरी बार विधानसभा सदस्य बने। वे नेता प्रतिपक्ष रहने के अलावा किसी प्रशासनिक पद पर नहीं रहे, कभी मंत्री भी नहीं रहे इसलिए प्रशासनिक अनुभव शून्य है।

घोषणा-पत्र समिति के अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने हर ज़िले में जनसंपर्क किया है और अपनी पहचान बनाने की कोशिश की है। वे विनम्र छवि के नेता हैं और किसी भी नेता के ख़िलाफ़ बयान देने से बचते हैं इसलिए वे पिछले पांच साल मुख्यमंत्री रमन सिंह के मित्र की तरह ही दिखते रहे।

टीएस सिंहदेव की कमज़ोरियां: वर्तमान मुख्यमंत्री रमन सिंह और राजपरिवारों से जुड़े भाजपा के नेताओं से मधुर संबंध। प्रशासनिक अनुभव न होने से प्रभावी होने में संदेह। कारोबारी हैं इसलिए लोगों को लगता है कि वे समझौते बहुत करते हैं।

आरोप है कि वे अडानी की खदानों में किसी न किसी रूप में भागीदार हैं। वे ठाकुर हैं, जिस समुदाय का न तो प्रदेश में प्रभाव है और न ही संख्या बल है। हालांकि वर्तमान मुख्यमंत्री भी ठाकुर हैं लेकिन भाजपा ऐसे प्रयोग कर सकती है, कांग्रेस के लिए कठिनाई होगी।

छत्तीसगढ़ के सीएम पद के दावेदार नंबर दो- भूपेश बघेल

भूपेश बघेल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष (लगातार दूसरा कार्यकाल) हैं। वे कुर्मी (ओबीसी) से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने पाटन से विधानसभा चुनाव जीता। वे पांचवीं बार विधायक बने। वे अविभाजित मध्यप्रदेश में मंत्री रहे, छत्तीसगढ़ में भी मंत्री रहे, पूर्व उपनेता प्रतिपक्ष रहे हैं।

उनकी आक्रामक और लड़ाके नेता की छवि है। पिछले चुनावों में हार के बाद उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। अध्यक्ष बनने के बाद से लगातार पूरे प्रदेश में यात्राएं करते रहे, कार्यकर्ताओं के साथ खड़े होकर आंदोलन करते रहे, लंबी लंबी पदयात्राएं कीं।

भूपेश बघेल की कमज़ोरी: छत्तीसगढ़ के मंत्री राजेश मूणत सेक्स सीडी कांड में नाम‌ आया। हालांकि यह आरोप भी राजनीति से प्रेरित दिखता है। प्रदेश के प्रभारी पीएल पुनिया की कथित सीडी को लेकर भी नाम आया। हालांकि इस मामले में भी सरकार की भूमिका खुल गई और ऐसा कुछ भी नहीं मिला जिससे वे दोषी साबित होते हों।

छत्तीसगढ़ के सीएम पद के दावेदार नंबर तीन- चरण दास महंत

पूर्व केंद्रीय मंत्री चरण दास महंत, छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष हैं। वे पनिका (ओबीसी) जाति ताल्लुक रखते हैं। वे अविभावित मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल के सदस्य रहे। लंबा प्रशासनिक अनुभव है। वे बहुत पढ़े लिखे हैं। प्रदेश के वरिष्ठतम नेताओं में से एक हैं। कई बार विधानसभा और लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं। पूरे प्रदेश में जनता के बीच पहचान है।

लेकिन पिछले पांच वर्षों में प्रदेश की राजनीतिक गतिविधियों में सीमित सक्रियता रही है। एकाध को छोड़कर किसी आंदोलन में भाग नहीं लिए हैं। राज्य में चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष पद संभालने के बाद सक्रिय हुए।

चरण दास महंत की कमज़ोरी: लंबे प्रशासनिक अनुभव के बावजूद कोई छवि बनाने में विफल रहे। केंद्रीय मंत्री रहते हुए चर्चित भी हुए तो मंदिर में सोना निकालने के लिए खुदाई करवाने के विवाद की वजह से।

पार्टी के भीतर गुटबाज़ी के आरोप। मुख्यमंत्री रमन सिंह से नज़दीकी के भी आरोप। सत्तारूढ़ दल के ख़िलाफ़ कभी कोई लड़ाई नहीं लड़ी। निजी जीवन में छवि पर सवाल। उद्योगपतियों और कारोबारियों से मित्रता, किसानों के प्रति निरपेक्ष रहने के आरोप। ओबीसी से आने के बावजूद ओबीसी वर्ग में कोई ख़ास लोकप्रियता नहीं।

छत्तीसगढ़ के सीएम पद के दावेदार नंबर चार-  ताम्रध्वज साहू

ताम्रध्वज साहू लोकसभा सदस्य हैं। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में पिछड़ा वर्ग विभाग के अध्यक्ष हैं। कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य व छत्तीसगढ़ पूर्व राज्यमंत्री हैं। वे साहू(ओबीसी) जाति से हैं। ये तीन बार विधानसभा के सदस्य रहे और 2014 के लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ से जीतने वाले अकेले सांसद बने।

राज्यमंत्री के रूप में संक्षिप्त प्रशासनिक अनुभव है। साहू समाज के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में संगठन का बहुत अच्छा काम किया, जिसकी वजह से साहू समाज के लोकप्रिय नेता ज़रूर हैं।

ताम्रध्वज साहू की कमज़ोरी: कम पढ़े लिखे हैं। सिर्फ़ हायर सेकेंड्री तक। दुर्ग ज़िले के दिग्गज नेता रहे वासुदेव चंद्राकर की बेटी और पूर्व विधायक प्रतिमा चंद्राकर की टिकट काटकर लड़ने के फ़ैसले से नकारात्मक असर हुआ। कहा जाता है कि वे भूपेश बघेल के विरोधियों की उम्मीद के रूप में ख़ुद को अवसर मिलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ के सीएम पद के दावेदार नंबर पांच- धनेंद्र साहू

धनेंद्र साहू छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष ‌हैं। ये छत्तीसगढ़ में पूर्व मंत्री रहे हैं। वे साहू(ओबीसी) जाति से ताल्लुक रखते हैं। पिछले पांच वर्षों में प्रदेश में सीमित सक्रियता रही है लेकिन किसानों के मुद्दों पर मुखर रहे हैं। समय समय पर मीडिया में सवाल उठाते रहे हैं।

धनेंद्र साहू की कमज़ोरियां: अपने विधानसभा तक सीमित। नेतृत्व क्षमता का अभाव। सीमित शिक्षा (12वीं पास) भी बाधा।

छत्तीसगढ़ के सीएम पद के दावेदार नंबर छह- सत्यनारायण शर्मा

सत्यनारायण शर्मा पूर्व मंत्री हैं। वे ब्राह्मण (सामान्य) हैं। इस बार वे सातवीं बार विधानसभा सदस्य बने हैं। प्रदेश के वरिष्ठतम नेताओं में से एक हैं। यही नहीं वे एक बार छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष रह चुके हैं। इसके अलावा लंबे समय तक अविभाजित मध्यप्रदेश के मंत्री रहे हैं और छत्तीसगढ़ में भी मंत्री रहे हैं।

इनका लंबा प्रशासनिक अनुभव है। राष्ट्रीय आवास संघ के अध्यक्ष भी हैं। छत्तीसगढ़ में अच्छी लोकप्रियता रही है।

सत्यनारायण शर्मा की कमज़ोरी: राजनीति पर उम्र का असर दिखने लगा है। अस्वस्थता सक्रियता में बाधक बन रही है। उनके बेटों ने उनकी राजनीति पर विपरीत असर डाला है।

Web Title: Choosing CM in Chhattisgarh is not easy for Rahul Gandhi, six claimant are there

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे