भारत ने दिया ड्रैगन को झटका, 5G पर चीन की नो इंट्री, चीनी टेलीकॉम कंपनी हुवेई ट्रायल्स से बाहर
By हरीश गुप्ता | Published: June 19, 2020 07:13 AM2020-06-19T07:13:03+5:302020-06-19T07:18:43+5:30
भारत ने पहले अमेरिकी विरोध के बावजूद चीनी टेलीकॉम कंपनी हुवेई को 5जी ट्रायल्स में मौका दिया था. अब भारत ने हुवेई को ट्रायल्स से बाहर कर दिया है.
भारत ने चीन को एक और करारा झटका देते हुए बड़ी चीनी टेलीकॉम कंपनी हुवेई को 5 जी प्रौद्योगिकी के ट्रायल्स से बाहर कर दिया है. बुधवार को ही टेलीकॉम विभाग ने चीनी कंपनियों से होने वाली 4 जी टेलीकॉम उपकरणों की आपूर्ति पर रोक लगाई थी. उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2019 में अमेरिका के कड़े विरोध की अनदेखी करते हुए हुवेई को अंतिम क्षणों में 5 जी ट्रायल्स की अनुमति दी गई थी.
दिसंबर में ही अमेरिकी अधिकारियों के एक उच्चस्तरीय दल ने भारत आकर मोदी सरकार को रोकने का प्रयास किया. लेकिन भारत सरकार ने चेतावनी की अनदेखी करते हुए हुवेई को 5 जी ट्रायल्स का हिस्सा बनने की मंजूरी दे दी थी. भारत के अनेक सुरक्षा सलाहकारों और अन्य लोगों ने भी हुवेई के 5 जी प्रौद्योगिकी के ट्रायल्स का मुखर विरोध किया था.
बदल गया परिदृश्य
अब गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर लद्दाख क्षेत्र में चीन के साथ विवाद और सैनिक झड़प ने एक झटके में परिदृश्य को बदल डाला है. टेलीकॉम विभाग की एक उच्चस्तरीय बैठक में दिसंबर 2019 में शुरु हुई 5 जी प्रौद्योगिकी की समूची प्रक्रिया को ही टाल दिया गया है.
कई देशों में प्रतिबंधित
हुवेई के 5 जी नेटवर्क को अमेरिका, जापान, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में प्रतिबंधित कर दिया गया है, जबकि यूनाइटेड किंग्डम जैसे देशों में उसकी सीमित भागीदारी है. भारत सहित 63 देश चीन की कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोक पाने में नाकामी से नाराज हैं. ऐसे में विश्वस्तर पर 5 जी निवेश में चीन के और अधिक अलग-थलग पड़ जाएगा.
ट्रायल्स शुरु होने को थे
सरकार के ताजा फैसले से पहले भारत 5 जी ट्रायल्स बस शुरु ही करने वाला था. इसका उद्देश्य हाई स्पीड इंटरनेट नेटवर्क का लाभ 60 करोड़ वेब यूजर्स तक पहुंचाना था. अब यह स्पष्ट है कि भारत में 5 जी ट्रायल्स इस साल के अंत या 2021 तक के लिए टल गए हैं.
योजना होगी प्रभावित
इस कदम से भारत की 5 जी स्पेक्ट्रम नीलामी से संसाधन जुटाने की योजना भी प्रभावित होगी. ताजा अनिश्चितता के दौर में नीलामी के लिए बहुत कम दावेदार सामने आएंगे, जो भारत के लिए घाटे का ही सौदा रहेगा.