लद्दाख: चीनी सेना का 'गैर-पेशेवर' अंदाज, पेंगोंग त्सो के पास भारतीय सैनिकों से झड़प में किया था कंटीले तारों और पत्थरों का इस्तेमाल

By मनाली रस्तोगी | Published: May 26, 2020 02:53 PM2020-05-26T14:53:13+5:302020-05-26T15:03:14+5:30

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे विवादित क्षेत्र पेंगोंग त्सो और गलवान घाटी में चीनी सैनिक अव्यवसायिक सेना की तरह पेश आए। दरअसल चीनी सेना ने पेंगोंग त्सो में आमने-सामने होने के दौरान भारतीय सुरक्षाबलों से लड़ने के लिए लाठी और पत्थरों के साथ आई थी।

Chinese Army behaved as an unprofessional army used sticks and stones against Indian Army in face off near Pangong Tso | लद्दाख: चीनी सेना का 'गैर-पेशेवर' अंदाज, पेंगोंग त्सो के पास भारतीय सैनिकों से झड़प में किया था कंटीले तारों और पत्थरों का इस्तेमाल

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे विवादित क्षेत्र में भारत और चीन के बीच विवाद (फोटो सोर्स- ANI)

Highlightsपैंगोंग त्सो झील के पास कांटेदार तार, पत्थर लेकर आई थी चीनी सेनासूत्रों के अनुसार चीन सेना पाकिस्तान समर्थित पत्थरबाजों की तरह व्यवहार करती नजर आई

नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे विवादित क्षेत्र पेंगोंग त्सो और गलवान घाटी में भारत और चीनी सेना के बीच तनाव बढ़ता हुआ नजर आ रहा है। इस बीच खुद के पेशेवर सेना होने का दावा करने वाली चीनी सेना का हैरान करने वाला सच सामने आया है। चीनी सेना ने हाल में ईस्टर्न लद्दाख सेक्टर के पेंगोंग त्सो झील के पास भारतीय सेना के साथ झड़प के दौरान कंटीले तारों, डंडे और पत्थरों जैसी चीजों का इस्तेमाल किया था। 

न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि, 'चीनी सेना का व्यवहार पाकिस्तान समर्थित पत्थरबाजों की तरह था, जो कश्मीर घाटी में भारतीय सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए पत्थर और लाठियों का इस्तेमाल करते हैं। पेंगोंग त्सो में आमने-सामने होने के दौरान चीनी सेना भारतीय सुरक्षाबलों से लड़ने के लिए लाठी और पत्थरों के साथ आई थी।'

यही नहीं, आमने-सामने होने के दौरान चीनी सैनिकों को भले ही संख्यात्मक लाभ मिला हो, लेकिन वो भारतीय सुरक्षाबलों के प्रति अनुचित आक्रामकता दिखाते हुए एक गैर-पेशेवर सेना की तरह पेश आए।

गौरतलब है कि भारतीय और चीनी सेनाएं लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की सभी जगहों पर राइफल से लैस हैं। इसके बावजूद इस क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए 1967 से लद्दाख क्षेत्र में गोलियां नहीं चलाई गई हैं।

बता दें कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे विवादित क्षेत्र पेंगोंग त्सो और गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिक लंबे गतिरोध की ओर बढ़े हैं। तनाव को बातचीत के जरिये कम करने के चल रहे प्रयासों के बीच गतिरोध खत्म होने का अभी कोई ठोस संकेत नहीं मिला है।

इलाके में गतिरोध के बीच भारतीय सेना ने रविवार को उन खबरों का खंडन किया जिसमें पूर्वी लद्दाख में गत कुछ दिनों में चीनी सैनिकों द्वारा भारतीय गश्ती दल को हिरासत में लेने का दावा किया गया था।  मगर सेना ने इलाके की मौजूदा स्थिति के बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी।

(भाषा इनपुट भी)

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