पुलवामा में आतंकवादी हमले पर चीन ने शोक जताने के तुरंत बाद कहा, आतंकी मसूद अजहर पर कायम रहेगा पुराना रूख

By विकास कुमार | Published: February 15, 2019 02:23 PM2019-02-15T14:23:43+5:302019-02-15T15:40:16+5:30

भारत की आर्थिक तरक्की और सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था होने के कारण एशिया में चीन के वर्चस्व को जबरदस्त चुनौती मिल रही है. चीन ने भारत से सीपीईसी प्रोजेक्ट में शामिल होने के लिए कहा था. लेकिन भारत ने चीन की इस मांग को खारिज कर दिया था.

China is silent on PULWAMA ATTACK, being supporter of terrorist Masood Ajhar | पुलवामा में आतंकवादी हमले पर चीन ने शोक जताने के तुरंत बाद कहा, आतंकी मसूद अजहर पर कायम रहेगा पुराना रूख

पुलवामा में आतंकवादी हमले पर चीन ने शोक जताने के तुरंत बाद कहा, आतंकी मसूद अजहर पर कायम रहेगा पुराना रूख

पुलवामा में सीआरपीएफ पर हमले के बाद पाकिस्तान के दोस्त चीन की तरफ से प्रतिक्रिया आई है।  चीन ने इस हमले पर दुःख जताया है लेकिन इसके तुरंत बाद आतंकी मसूद अजहर को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उसने कहा है कि इस मामले पर चीन का पुराना रुख कायम रहेगा। इसके पहले भी चीन ने कई मौकों पर आतंकी मसूद अजहर का साथ दिया है। और ब्लैकलिस्ट करने के मुद्दे पर भारत का संयुक्त राष्ट्र में विरोध करता रहा है।



 

हाल के दिनों में चीन और पाकिस्तान का लव अफेयर पूरी दुनिया में चर्चा का विषय रहा है। चीन पाकिस्तान में सीपीईसी प्रोजेक्ट के तहत 55 अरब डॉलर का निवेश कर रहा है। चीन पाकिस्तान के बलूचिस्तान में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है। यह वही प्रान्त है जहां अलगाववादी आंदोलन आये दिन उग्र होता रहता है। इसलिए पाकिस्तान ने इस क्षेत्र को चीन को सौंपने का फैसला किया है। 



 

आतंकी मसूद अजहर जैश-ए-मोहम्मद का सरगना है। कंधार विमान कांड के समय भारत को मजबूरी में इसे छोड़ना पड़ा था। भारत ने पाकिस्तान का मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा छिन लिया है। लेकिन पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए ये नाकाफी है। चीन के लगातार सहयोग मिलने से पाकिस्तान का मनोबल बढ़ा है। आर्थिक रूप से खस्ताहाल पाकिस्तान चीन के नैतिक समर्थन से पल-बढ़ रहा है। 

पाकिस्तान पर चीन का बेशुमार कर्ज 

चीन ने पाकिस्तान को दी हुई कूल कर्ज का दो तिहाई सात प्रतिशत की उच्च दर पर दिया है। सीपीईसी के तहत बनने वाले प्रोजेक्ट में जो निर्माण सामग्री लग रहे हैं उसका आयात भी पाकिस्तान को चीन से ही करना होता है। जिसके कारण पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार सूखता जा रहा है और प्रधानमंत्री इमरान खान के मुताबिक पाकिस्तान के पास पहले से ली गयी कर्जों के व्याज चुकाने के लिए भी नया कर्ज लेना पड़ रहा है। एक अनुमान के मुताबिक पाकिस्तान के पास तीन महीने के आयात भर ही पैसा बचा है जिसके कारण देश की अर्थव्यवस्था बदहवास स्थिति में पड़ी हुई है। पाकिस्तान ने आईएमएफ से कर्ज लेने से पहले मध्य-पूर्व के अपने सहयोगी सऊदी अरब से भी मदद की गुहार लगायी थी।

चीन की चुप्पी एक तरह से पाकिस्तान को नैतिक समर्थन देने जैसा है. डोकलाम के मोर्चे पर हारने के बाद चीन बौखला गया था. भारतीय सेना चीन की सेना के सामने 73 दिनों तक डट कर खड़ी रही थी. भारत की आर्थिक तरक्की और सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था होने के कारण एशिया में चीन के वर्चस्व को जबरदस्त चुनौती मिल रही है. चीन ने भारत से सीपीईसी प्रोजेक्ट में शामिल होने के लिए कहा था. लेकिन भारत ने चीन की इस मांग को खारिज कर दिया था. 

Web Title: China is silent on PULWAMA ATTACK, being supporter of terrorist Masood Ajhar

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