चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "कानून का प्रयोग प्रताड़ना के लिए नहीं बल्कि न्याय के लिए होना चाहिए"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: November 12, 2022 09:57 PM2022-11-12T21:57:43+5:302022-11-12T22:02:54+5:30
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एक कार्यक्रम में कहा कि कानून का प्रयोग न्याय के लिए होना चाहिए न कि इसके जरिये किसी को प्रताड़ित किया जाए।
दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में बोलते हुए शनिवार को कहा कि नागरिकों से उम्मीदें रखना बहुत अच्छा है लेकिन हमें अपनी सीमाओं के साथ-साथ अदालतों की क्षमता को भी समझने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, "कभी-कभी कानून और न्याय आवश्यक रूप से एक ही पथ का अनुसरण नहीं करते हैं। कानून न्याय पाने के लिए एक साधन हो सकता है, लेकिन यही कानून उत्पीड़न का भी साधन हो सकता है। हम जानते हैं कि कैसे औपनिवेशिक काल से चले आ रहे कानून आज भी भारत की न्यायपालिका में और संवैधानिक दस्तावेजों में मौजूद है। वहीं कानून की किताबें आज उत्पीड़न के तौर पर भी प्रयोग में लायी जा सकती है।"
चीफ जस्टिस ने कहा, "तो ऐसी परिस्थिति में हम नागरिकों के रूप में यह कैसे सुनिश्चित करेंगे कानून न्याय का साधन बने न कि उत्पीड़न का। मुझे लगता है कि इस विमर्श में सभी को शामिल होना चाहिए न कि सिर्फ हम जैसे जज जो उन्हीं कानून के आधार पर फैसले देते हैं।"
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "न्यायिक संस्थानों को लंबे समय तक असरदार बनाए रखने के लिए करुणा की भावना, सहानुभूति की भावना और नागरिकों के दुख-दर्द के प्रति जवाबदेह होना होगा। जब जज कानून और न्याय के बीच सही संतुलन करेंगे तभी वो बतौर जज अपने मिशन को पूरा कर सकते हैं।"
उन्होंने कहा कि आज के दौर में सोशल मीडिया ने सबसे बड़ी चुनौती पेश की है क्योंकि एक जज द्वारा अदालत में कहे गए हर छोटे शब्द की वास्तविक समय पर रिपोर्टिंग होती है और इसके साथ ही जज के तौर पर आपका लगातार मूल्यांकन किया जाता है।"
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "आज के समय में जज द्वारा अदालत में कहे गए प्रत्येक शब्द की रीयल-टाइम रिपोर्टिंग होती है। आप में से जो वकील हैं वे अपने सहयोगियों को यह बताने में सक्षम होंगे कि अदालत में बातचीत के दौरान न्यायाधीश द्वारा कही गई हर बात से नहीं समझा जा सकता है कि जज के दिमाग या अंतिम निष्कर्ष से फैसला क्या होगा।"
जस्टिस चंद्रचूड़ ने अंत में कहा, "अदालतों में न्याय करने की प्रक्रिया कानूनी संवाद है। अदालत में वकीलों और न्यायाधीशों के बीच औपचारिक और अनौपचारिक प्रवाह से बातचीत होती है, जो सच्चाई को उजागर करने की दिशा में होती है।" (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)