INX मीडिया केस- पी चिदंबरम को सुप्रीम कोर्ट से भी नहीं मिली राहत, जानें साल दर साल के घटनाक्रम का सिलसिलेवार ब्योरा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 20, 2019 07:28 PM2019-08-20T19:28:51+5:302019-08-20T19:28:51+5:30
उच्चतम न्यायालय के एक अधिकारी ने सिब्बल को चिदंबरम की याचिका रजिस्ट्रार (न्यायिक) के समक्ष रखने को कहा जो इसे प्रधान न्यायाधीश के समक्ष रखने के बारे में फैसला करेंगे। सिब्बल से कहा गया है कि चिदंबरम की अपील का उल्लेख उच्चतम न्यायालय में बुधवार सुबह 10:30 बजे किया जाए।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम से जुड़ा आईएनएक्स मीडिया मामला ‘‘धनशोधन का एक बेहतरीन उदाहरण’’ है और उसकी प्रथम दृष्टया राय है कि मामले में प्रभावी जांच के लिए उनसे हिरासत में पूछताछ की जरूरत है। न्यायमूर्ति सुनील गौड़ ने चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में जमानत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा।
उन्होंने यह भी गौर किया कि जब कांग्रेस नेता को अदालत से राहत मिली हुयी थी, उन्होंने पूछताछ में जांच एजेंसियों को स्पष्ट जवाब नहीं दिया। अदालत ने मामले में उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए गिरफ्तारी से अंतरिम राहत देने से भी इनकार कर दिया। उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो जाने के बाद चिदंबरम ने आगे के कदम के बारे में विचार करने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ताओं कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और सलमान खुर्शीद से मुलाकात की।
उच्चतम न्यायालय के एक अधिकारी ने सिब्बल को चिदंबरम की याचिका रजिस्ट्रार (न्यायिक) के समक्ष रखने को कहा जो इसे प्रधान न्यायाधीश के समक्ष रखने के बारे में फैसला करेंगे। सिब्बल से कहा गया है कि चिदंबरम की अपील का उल्लेख उच्चतम न्यायालय में बुधवार सुबह 10:30 बजे किया जाए। उच्च न्यायालय ने 25 जुलाई, 2018 को दोनों मामलों में चिदंबरम को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत प्रदान की थी और इसे समय-समय पर बढ़ाया गया था।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता की भूमिका 3,500 करोड़ रुपये के एयरसेल-मैक्सिस सौदे और 305 करोड़ रूपये से जुड़े आईएनएक्स मीडिया मामले को लेकर विभिन्न जांच एजेंसियों की जांच के घेरे में थी। संप्रग-1 सरकार में वित्त मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) से दो उपक्रमों को मंजूरी दी गई थी।
सीबीआई ने 15 मई 2017 को एक प्राथमिकी दर्ज करते हुए आरोप लगाया था कि वित्त मंत्री के रूप में चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान 2007 में 305 करोड़ रुपये का विदेशी धन प्राप्त करने के लिए मीडिया समूह को दी गयी एफआईपीबी मंजूरी में अनियमितताएं हुयी थीं। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 2018 में इस संबंध में धनशोधन का मामला दर्ज किया था। चिदंबरम की याचिका में कहा गया था कि यद्यपि इस मामले में ईडी की ओर से उन्हें कभी कोई समन नहीं जारी किया गया है लेकिन उन्हें आशंका है कि सीबीआई द्वारा उन्हें जारी समन के मद्देनजर उनकी गिरफ्तारी की जा सकती है।
आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार, धनशोधन मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दीं। इस मामले से जुड़े घटनाक्रम का सिलसिलेवार ब्योरा इस प्रकार है-
15 मई 2017 : आईएनएक्स मीडिया मामले में सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की जिसमें इस समूह पर 2007 में विदेशों से 305 करोड़ रुपये लेने के लिए एफआईपीबी की मंजूरी हासिल करने में अनियमितता का आरोप लगाया गया।
2018: प्रवर्तन निदेशालय ने इस संबंध में धन शोधन का मामला दर्ज किया। सीबीआई ने पूछताछ के लिए वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम को समन किया।
30 मई: चिदंबरम ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दे कर सीबीआई द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में अग्रिम जमानत का अनुरोध किया।
23 जुलाई: चिदंबरम ने प्रवर्तन निदेशालय के धन शोधन मामले में अग्रिम जमानत के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय में गुहार लगाई।
25 जुलाई: उच्च न्यायालय ने दोनों ही मामलों में गिरफ्तारी से उन्हें अंतरिम सुरक्षा दी।
25 जनवरी 2019: उच्च न्यायालय ने दोनों ही मामलों में चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा।
20 अगस्त: उच्च न्यायालय ने चिदंबरम की अग्रिम जमानत की याचिका ठुकराई। साथ ही उच्च न्यायालय ने कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए गिरफ्तारी से अंतरिम राहत देने से भी इनकार कर दिया।
(एजेंसी इनुपट)