छत्तीसगढ़: सिपाही पति को अगवा कर ले गए नक्सली, बहादुर पत्नी चार दिन जंगल में भटकी और सुहाग को बचा ले आई

By भाषा | Published: May 14, 2020 05:44 AM2020-05-14T05:44:55+5:302020-05-14T05:44:55+5:30

सुनीता कहती है कि उसने अपने दम पर ही पति को छुड़ाने का प्रयास शुरू किया। उन्होंने बताया कि उनका परिवार सुकमा जिले के जगरगुंडा क्षेत्र का निवासी है। इसलिए वह नक्सलियों के विषय में बेहतर ज्ञान रखती है।

Chhattisgarh: Naxalites kidnapped cop, brave wife wanders in forest for four days and rescues husband | छत्तीसगढ़: सिपाही पति को अगवा कर ले गए नक्सली, बहादुर पत्नी चार दिन जंगल में भटकी और सुहाग को बचा ले आई

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

Highlightsछत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में एक महिला ने ग्रामीणों और स्थानीय पत्रकारों की मदद से अपहृत अपने सिपाही पति को नक्सलियों से छुड़ा लिया है। धुर नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले के भोपालपटनम थाना क्षेत्र के अंतर्गत गोरना गांव से इस महीने की चार तारीख को नक्सलियों ने सिपाही संतोष कट्टाम का अपहरण कर लिया था। लगभग एक सप्ताह बाद संतोष की पत्नी सुनीता उसे छुड़ाने में सफल रही हैं।

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में एक महिला ने ग्रामीणों और स्थानीय पत्रकारों की मदद से अपहृत अपने सिपाही पति को नक्सलियों से छुड़ा लिया है। धुर नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले के भोपालपटनम थाना क्षेत्र के अंतर्गत गोरना गांव से इस महीने की चार तारीख को नक्सलियों ने सिपाही संतोष कट्टाम का अपहरण कर लिया था। लगभग एक सप्ताह बाद संतोष की पत्नी सुनीता उसे छुड़ाने में सफल रही हैं।

सुनीता ने बुधवार को बताया कि गोरना गांव में चार मई को मेला लगा हुआ था। संतोष इस मेल में शामिल होने निकले, लेकिन वह वापस घर नहीं लौटे। सुनीता ने बताया कि दो दिनों बाद जानकारी मिली कि नक्सलियों ने उनके पति का अपहरण कर लिया है।

उन्होंने कहा कि जब संतोष के अपहरण की पुष्टि हो गई तब उसने पुलिस को इसकी जानकारी दी तथा पति को छुड़ाने के लिए स्थानीय लोगों से मदद लेने की कोशिश की।

सुनीता कहती है कि उसने अपने दम पर ही पति को छुड़ाने का प्रयास शुरू किया। उन्होंने बताया कि उनका परिवार सुकमा जिले के जगरगुंडा क्षेत्र का निवासी है। इसलिए वह नक्सलियों के विषय में बेहतर ज्ञान रखती है। सुनीता ने बताया कि इस महीने की छह तारीख को वह अपनी 14 वर्षीय बेटी, कुछ स्थानीय ग्रामीणों और कुछ पत्रकारों को लेकर अपने पति के बारे में जानकारी लेने के लिए जंगल के भीतर चली गई। उसने अपने दो अन्य बच्चों को दादी के पास बीजापुर के पुलिस लाइन स्थित मकान में छोड़ दिया था।

उन्होंने बताया कि वह और अन्य लोग संतोष की खोज में चार दिनों तक जंगल में मोटरसाइकिल से और पैदल रास्ता तय करते रहे। 10 मई को जानकारी मिली कि उनके पति को नक्सलियों ने कहां रखा है। सुनीता ने बताया कि अगले दिन नक्सलियों ने संतोष की सुनवाई के लिए जनअदालत का आयोजन किया था। वह कहती हैं 'जब मैने अपने पति को सुरक्षित देखा, तब राहत की सांस ली।'

सूत्रों के मुताबिक नक्सलियों ने जनअदालत में संतोष को चेताया कि वह पुलिस की सेवा छोड़ दे। इसके बाद नक्सलियों ने उन्हें जाने दिया। जब सुनीता से पूछा गया कि अपने पति को छुड़ाने के लिए इस तरह का साहस कैसे जुटा लिया तब उसने कहा कि एक महिला अपने पति को छुड़ाने के लिए कुछ भी कर सकती है।

इधर बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने बताया कि जब पुलिस को संतोष के अपहरण की जानकारी मिली तब पुलिस लगातार पता लगाने की कोशिश कर रही थी। लेकिन उनकी सुरक्षा को देखते हुए अभियान शुरू नहीं किया गया था। सुंदरराज ने बताया कि संतोष का परिवार भी छुड़ाने की कोशिश कर रहा था। संतोष के 11 मई को बीजापुर लौटने पर चिकित्सकीय जांच करायी गयी। पुलिस उससे इस संबंध में पूछताछ कर रही है।

Web Title: Chhattisgarh: Naxalites kidnapped cop, brave wife wanders in forest for four days and rescues husband

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