Chhattisgarh Naxal Attack: कौन है नक्सली हिडमा जिसे माना जा रहा है हमले का मास्टरमाइंड
By विनीत कुमार | Published: April 5, 2021 10:03 AM2021-04-05T10:03:58+5:302021-04-05T10:07:25+5:30
Chhattisgarh Naxal Attack: हिडमा की उम्र करीब 40 साल बताई जाती है। उसकी ताजा तस्वीर मौजूद नहीं है। उस पर 40 लाख रुपये का इनाम है।
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर और सुकमा जिले की सीमा पर शनिवार को हुए मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हो गए जबकि 31 घायल हुए हैं। ये इस साल की सबसे बड़ी नक्सली घटना है। सुरक्षाबलों को एक विशेष ऑपरेशन के लिए रवाना किया गया था लेकिन पूरी योजना गड़बड़ साबित हुई और बेहद गंभीर नतीजे सामने आए।
दरअसल, सुरक्षाबलों को यह खबर मिली थी कि वांछित नक्सली नेता हिडमा छत्तीसगढ़ के जंगलों में छिपा है। उसी के लिए ये ऑपरेशन शुरू किया गया था। सुरक्षाबलों के लिए लेकिन ये सूचना किसी फेंके हुए जाल की तरह साबित हुई।
रिपोर्ट्स के अनुसार जहां मुठभेड़ हुई, वहां पहले से ही नक्सलियों का बड़ा समूह इंतजार कर रहा था। सुरक्षाबल के जवान जब वहां पहुंचे तो इसके बाद मुठभेड़ शुरू हुई जो तीन घंटे तक चलती रही।
नक्सली हिडमा उर्फ हिडमन्ना कौन है?
हिडमा की उम्र करीब 40 साल बताई जाती है और वो सुकमा जिले के पुवर्ती गांव का एक आदिवासी है। बताया जाता है कि वह 90 के दशक में नक्सली गतिविधियों में शामिल हो गया।
हिडमा पीपल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGa) की बटालियन नंबर 1 का प्रमुख है और बेहद घातक हमलों के लिए जाना जाता है। ये भी जानकारी अब तक सामने आई है कि हिडमा करीब 180 से 250 नक्सलियों के समूह का सरगना है। इस ग्रुप में महिलाएं भी शामिल हैं।
हिडमा माओइस्ट्स डंडकारण्य स्पेशल जोनल कमिटी (DKSZ) का भी सदस्य है। वो सीपीआई (माओवादी) के 'सेंट्रल कमिटी' के शीर्ष 21 सदस्यों में सबसे कम उम्र का सदस्य है। कुछ अपुष्ट रिपोर्टे्स ये भी बताती हैं कि उसे सेंट्रल मिलिट्री कमिशन का भी मुखिया बनाया गया है।
हिडमा के सिर पर 40 लाख रुपये का है इनाम
हिडमा के सिर पर 40 लाख रुपये का इनाम है। यहां ये भी बता दें कि कोई भी ताजा तस्वीर फिलहाल मौजूद नहीं है। एनआईए ने भी हिडमा के खिलाफ भीम मांडवी मर्डर केस में भी चार्ज शीट फाइल की है। भीमा मांडवी बीजेपी विधायक थे।
भीम मांडवी पर अप्रैल 2019 में दंतेवाड़ा में उनपर हमला हुआ था, जिसमें वे, उनका ड्राइवर और तीन सुरक्षाकर्मी मारे गए थे। रिपोर्ट् के अनुसार शनिवार को भी PLGA बटालियन अपने कमांडर हिडमा के नेतृत्व में ही काम कर रही थी और 22 जवानों की शहादत में उसका हाथ है।
जनवरी से जून के बीच होते हैं ज्यादा नक्सली हमले
नक्सली हर साल जनवरी से जून के बीच बड़े हमलों को अंजाम देते हैं। जानकार इसे टैक्टिकल काउंटर ऑफेंसिव कैंपेन (TCOC) बताते हैं। दरअसल, ये वो मौसम होता है जब पेड़ से बड़ी संख्या में पत्तियां जमीन पर गिरती हैं।
ऐसे में जंगल में नक्सलियों के लिए इधर से उधर आना-जाना आसान होता है, जंगल में सब चीजें साफ-साफ दिखती है और भारी संख्या में पत्तियों के जमीन पर आने से छिपना भी आसान हो जाता है।
आंकड़े भी बताते हैं कि बड़े हमले इन्हीं दिनों में अक्सर किए गए हैं। साल 2019 बीजेपी विधायक भीम मांडवी की हत्या अप्रल में की गई थी। वहीं, पिछले साल मार्च के आखिर में सुकमा के मिनापा एक हमले में 17 जवान शहीद हुए थे। वहीं साल 2010 की घटना भी अप्रैल में हुई थी जब 76 सीआरपीएफ के जवान सुकमा में शहीद हुए थे।