छत्तीसगढ़ चुनावः भाजपा और कांग्रेस दोनों में छटपटाहट, 11 दिसंबर को किसकी सरकार बनेगी?
By गोपाल वोरा | Published: November 20, 2018 06:46 AM2018-11-20T06:46:41+5:302018-11-20T06:46:41+5:30
एकात्म परिसर भाजपा मुख्यालय के वॉर रूम में 20 नवंबर को लेकर अधिक से अधिक मतदान के लिए नई रणनीति बनाई गई है.
छत्तीसगढ़ में 11 दिसंबर के बाद किसकी सरकार बनेगी. यह यक्ष प्रश्न आज तक अपने जगह खड़ा है. पहला ऐसा विधानसभा चुनाव है, जिसमें सत्तारूढ़ भाजपा और सत्ता में 15 वर्षो के वनवास के बाद वापस आने के लिए छटपटा रही कांग्रेस और तीसरी शक्ति के रूप में प्रचारित जोगी कांग्रेस और बसपा कोई भी यह दावे के साथ कहने के लिए तैयार नहीं हैं कि उन्हीं की सरकार बन रही है. सभी दल असमंजस की स्थिति में हैं.
घबराहट भाजपा में भी जबर्दस्त है. इसी वजह से आज एकात्म परिसर भाजपा मुख्यालय के वॉर रूम में 20 नवंबर को लेकर अधिक से अधिक मतदान के लिए नई रणनीति बनाई गई है. आज की इस बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी अनिल जैन, सरोज पांडेय महासचिव, संगठन महासचिव पवन साय और राज्य के प्रमुख रणनीतिकार सौदान सिंह मौजूद थे.
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ नेता भी कम परेशान नहीं हैं. भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को बैठक करने की अनुमति निर्वाचन आयोग ने दी लेकिन कांग्रेस नेता पीएल पुनिया को अनुमति नहीं दी गई. इसको लेकर आज मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल और अन्य नेता धरने पर बैठने पर मजबूर हुए. यह इस बात का प्रमाण है कि कांग्रेस भी भाजपा की गतिविधियों से सतर्क है और उन्हें मौका मिले, इस जुगाड़ में लगी है. अब मौका मिल भी जाए तो क्या. कल सुबह का इंतजार ही शेष है.
सभी प्रत्याशी अब घर-घर दस्तक दे रहे हैं. वे भी कम डरे हुए नहीं हैं. कांग्रेस इस बात से उत्साहित है कि किसानों ने राहुल गांधी की घोषणा के बाद सोसायटियों और मंडियों में धान बेचने के लिए लाना रोक दिया है. वे 12 दिसंबर तक इंतजार करना चाहते हैं, ताकि कांग्रेस की सरकार आने पर उन्हें 25 सौ रुपए क्विंटल में धान बेचने को मिले और दो साल का बकाया बोनस भी मिले. साथ ही साथ कर्जा भी माफ हो. यह तुरुप का पत्ता कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम कर रहा है.
छत्तीसगढ़ के चार संभाग रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग और सरगुजा के 19 जिले 72 सीटों का फैसला करेंगे. वर्तमान स्थिति में रायपुर संभाग की 20 सीटों में भाजपा के पास 15 और कांग्रेस के पास चार और एक निर्दलीय है. बिलासपुर संभाग में 24 सीटें हैं. इनमें अभी भाजपा के पास 12 और कांग्रेस के पास 11 और बसपा के पास एक सीट है.
सरगुजा संभाग में 14 सीटें हैं, जिसमें भाजपा के पास सात और कांग्रेस के पास सात सीटें हैं. ये चारों संभाग और 19 जिलों से आने वाले नतीजे ही कांग्रेस और भाजपा की सत्ता का मार्ग प्रशस्त करेंगे. सरकार बनाने के लिए 90 में कम से कम 45 सीटें चाहिए. इस समय भाजपा के पास 49 और कांग्रेस के पास 39 सीटों का अंक गणित है.